बीते कुछ वर्षों में निवेश की मूल्य आधारित शैली ने बेहतर प्रदर्शन किया है। इस प्रदर्शन को भुनाने के लिए ही फंड हाउस वैल्यू फंड पेश करने की होड़ में हैं। हाल में ऐक्सिस और बंधन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) ने निफ्टी 500 वैल्यू 50 इंडेक्स पर नजर रखने वाली योजनाएं पेश कीं, वहीं आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी ने निफ्टी 200 वैल्यू 30 इंडेक्स पर नजर रखने वाले इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के लिए नए फंड ऑफर पेश किए।
कम मूल्य वाले शेयरों की पहचान
वैल्यू फंड सभी श्रेणियों में अंडरवैल्यूड यानी ऐसे शेयरों की पहचान करते हैं जिनका मूल्य उन्हें वाजिब कीमत से कम लगता है। वे कम मूल्य वाले ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं और जब बाजार में इन शेयरों की सही कीमत आती है, तब उन्हें लाभ मिलता है। बंधन एएमसी के उत्पाद प्रमुख शीर्षेंदु बसु ने कहा, ‘वैल्यू स्टॉक ऐसे शेयर होते हैं, जिनकी बिक्री बुक वैल्यू के मुकाबले कम कीमत पर होती है। बुक वैल्यू को कंपनी की शुद्ध हैसियत का एक पैमाना माना जाता है। वे ग्रोथ स्टॉक से बिल्कुल अलग होते हैं।’
सक्रिय तरीके से प्रबंधित होने वाले कोष के अलावा फंड हाउस आजकल मूल्य सूचकांक पर नजर रखने वाले पैसिव फंड योजनाओं की व्यापक श्रृंखला पेश कर रहे हैं। ये योजनाएं अपने निहित सूचकांक के प्रदर्शन को दोहराती हैं। इसमें से बस ट्रैकिंग एरर को समायोजित किया जाता है। निफ्टी 50 वैल्यू 20, निफ्टी 500 वैल्यू 50 और बीएसई एन्हांस्ड वैल्यू जैसी सूचकांकों पर नजर रखने वाली पैसिव योजनाएं मौजूद हैं।
सूचकांक बनाने की रणनीति
वैल्यू सूचकांक में ऐसे शेयर शामिल होते हैं जिनके भाव में उतार-चढ़ाव की रफ्तार अपेक्षाकृत कम होती है। यूटीआई एएमसी के फंड मैनेजर एवं प्रमुख (पैसिव, आर्बिट्रेज एवं क्वांट स्ट्रैटेजी) श्रवण कुमार गोयल ने कहा, ‘मूल्य आधारित सूचकांक में ऐसे शेयर होते हैं, जिनमें आकर्षक मूल्यांकन पर कारोबार होता है। अधिकतर मूल्य सूचकांक कंपनियों का चयन करते समय प्राइस टु अर्निंग, प्राइस टु सेल्स और लाभांश यील्ड अनुपात पर गौर करते हैं।’
नियम वाला नजरिया
मूल्य केंद्रित पोर्टफोलियो की पेशकश करने वाली पैसिव योजनाएं किफायती होती हैं। वे पूरी तरह नियमों पर चलती है, जिससे फंड मैनेजर द्वारा लिए गए खराब फैसलों का जोखिम भी नहीं रहता है। ऐक्सिस एएमसी की प्रमुख (संस्थागत कारोबार और पैसिव) वंदना त्रिवेदी कहती हैं, ‘पैसिव मूल्य निवेश में शेयरों के चयन के लिए एक स्पष्ट दिशानिर्देश आधारित नजरिया होता है, जिससे गलत निर्णय लेने की आशंका नहीं रहती है। पैसिव निवेश किफायती होने से इस निवेश शैली में बेहतर प्रदर्शन होने की संभावनाएं बढ़ जाती है, जिससे इसमें निवेशकों को एक और फायदा मिलता है।’
खराब प्रदर्शन का दौर
बाजार में व्यापक तेजी के दौर में ये इंडेक्स फंड आमतौर पर सक्रिय तौर पर प्रबंधित फंडों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करते हैं। मगर ऐसे वक्त में जब शेयर बाजार में मजबूती आती है और शेयर विशिष्ट गतिविधियां शुरू होती हैं, तब सक्रिय रूप से प्रबंधित योजनाएं बढ़त बरकरार रख सकती हैं।
त्रिवेदी कहती हैं, ‘किसी भी अन्य रणनीति की तरह वैल्यू फंड में भी कई बार खराब प्रदर्शन का दौर आता है, खासकर मंदी के बाजार में।’ यह रणनीति अपेक्षाकृत चक्रीय होती है और इसमें काफी उतार-चढ़ाव होता है। गोयल का कहना है, ‘बाजार में गिरावट आने पर निवेशकों को भारी गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।’
बनाएं संतुलन
चूंकि भारत में अधिकतर फंड वृद्धि आधारित होते हैं, इसलिए निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में अधिक संतुलन के लिए मूल्य रणनीति में कुछ निवेश करना चाहिए। ये फंड दीर्घकालिक निवेशकों के लिए मुफीद होते हैं, खासकर उनके लिए जो तीन से पांच वर्षों तक निवेश करना चाहते हैं।
बसु ने कहा, ‘वैल्यू इंडेक्स फंड उन दीर्घावधि निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प माने जा सकते हैं, जो गहरी गिरावट को भी झेल सकते हैं। निवेशक अपने कुल पोर्टफोलियो का 10 से 30 फीसदी हिस्सा वैल्यू फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें अपनी जोखिम लेने की क्षमता और निवेश अवधि का ध्यान रखना आवश्यक है।’ त्रिवेदी का सुझाव है कि कोर पोर्टफोलियो में वैल्यू फंड को जोड़ना चाहिए। गोयल सिस्टेमेटिक निवेश प्लान (एसआईपी) के जरिये ऐसा करने का सुझाव देते हैं क्योंकि वैल्यू स्टाइल प्रवृत्ति आमतौर पर अस्थिर होती है।