एनएसई-500 में 90 प्रतिशत से ज्यादा शेयर मौजूदा समय में अपने 200-दिन के मूविंग एवरेज (डीएमए) से ऊपर कारोबार कर रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यह इसका संकेत है कि बाजार ज्यादा महंगा हो गया है और आगामी वर्षों में इसमें गिरावट को बढ़ावा मिल सकता है।
200-डीएमए कारोबारियों द्वारा बाजार की दिशा को समझने में इस्तेमाल किया जाने वाला मुख्य तकनीकी संकेतक है। यह एक ऐसा स्तर है जो लगभग 40 सप्ताह का औसत है और अक्सर समर्थन या गिरावट के तौर पर काम करता है। जहां किसी शेयर में अपने 200-डीएमए से ऊपर कारोबार को सामान्य तौर पर तेजी के दायरे में समझा जाता है, वहीं इस स्तर से ऊपर ज्यादा शेयरों में कारोबार से महंगे मूल्यांकन को बढ़ावा मिल सकता है।
ब्लूमबर्ग इंटेलीजेंस में इमर्जिंग मार्केट स्ट्रेटेजी के प्रमुख गौरव पटनकर ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘एनएसई निफ्टी-500 में, 95 प्रतिशत शेयर अपने 200-डीएमए औसत से ऊपर कारोबार कर रहे हैं, जो 2014-15 के तेजी के चक्र और 2008 में आए वैश्विक वित्तीय संकट के बाद आए सुधार के मुकाबले सर्वाधिक है। एनएसई निफ्टी-500 के करीब 40 प्रतिशत शेयरों ने एक साल में 100 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिफल दर्ज किया, जो पिछले दशक में सर्वाधिक है। इस तरह की तेजी 2009 की रिकवरी के दौरान दर्ज की गई थी, जिसके बाद बाजार में करीब चार साल तक अस्थिरता दर्ज की गई थी।’
सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने पिछले सप्ताह दिन के कारोबार में नई ऊंचाइयों को छुआ था। सेंसेक्स ने पहली बार 53,000 के निशान को पार किया था। हीरो मोटोकॉर्प और कोटक महिंद्रा बैंक के सिवाय, निफ्टी-50 के सभी शेयरों में मौजूदा समय में अपने 200-डीएमए से ऊपर कारोबार हो रहा है।
इक्विनोमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘डेली मूविंग एवरेज (डीएमए) में तेजी बाजार के महंगे होने का संकेत है। तरलता में वृद्घि, नए निवेशकों के जुडऩे, और अर्थव्यवस्था के महामारी से बाहर निकलने की उम्मीदों से बाजार की धारणा को मजबूती मिली है।’
एचएफसीएल, अदाणी एंटरप्राइजेज, वेंकीज इंडिया, लक्स इंडस्ट्रीज, और अदाणी टोटल गैस कुछ ऐसे शेयर हैं जो अपने 200-डीएमए से ऊपर कारोबार कर रहे हैं। निफ्टी-500 सूचकांक के अन्य 50 शेयर अपने 200-डीएमए से कम से कम 50 प्रतिशत ऊपर कारोबार कर रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में रिटेल रिसर्च प्रमुख सिद्घार्थ खेमका ने कहा, ‘कई शेयर अपने दीर्घावधि औसत से ऊपर कारोबार कर रहे हैं, जो पिछले साल बाजार में आई तेजी को देखते हुए आश्चर्यजनक नहीं है। इससे पता चलता है कि बाजार में तेजी का रुझान बना हुआ है। चौथी तिमाही की आय अच्छी रही है, अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट रही है और टीकाकरण अभियान में तेजी आ रही है। इससे निवेशक उत्साह बढ़ रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था हाल के वर्षों में अपनी अच्छी स्थिति में पहुंची है। कच्चे तेल के लिए मांग बढ़ रही है जिसका मतलब है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था फिर से मजबूत हो रही है। बाजारों में तेजी बरकरार रहेगी क्योंकि कई भारतीय राज्यों ने लॉकडाउन संबंधित सख्ती घटाई है। जहां तक बाजारों का सवाल है, तो सिर्फ अमेरिकी ब्याज दर में वृद्घि से कार्य की रफ्तार कुछ फीकी पड़ सकती है।’ कीमत-आय और कीमत-बुक मल्टीपल में तेजी, माइक्रो-कैप में वृद्घि जैसे कई अन्य कारक भी हैं जिनसे बुनियादी आधार और शेयर कीमतों के बीच अंतर समाप्त होने का संकेत दे रहे हैं। हालांकि बाजार गिरावट के लिए बाहरी कारकों पर ध्यान दे सकता है।
चोकालिंगम ने कहा, ‘अमेरिकी ब्याज दर में अनुमान से पहले वृद्घि या अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौटने की स्थिति में निराशा जैसे कई वैश्विक कारक हैं जिनसे इस तरह की गिरावट को बढ़ावा मिल सकता है। अधिक मूल्यांकन अन्य कारण हो सकता है। इस समय, मेरा मानना है कि स्मॉल-कैप और मिड-कैप गिरावट को बढ़ावा दे सकते हैं। स्मॉल-कैप और मिड-कैप हमेशा एक या दो थीम पर आधारित रहे हैं। इस समय कई क्षेत्र मिड-कैप और स्मॉल-कैप सेगमेंट में तेजी से बढ़े हैं।’