जोनाथन क्लेमेंट और हर्श शेफ्रिन दोनों ही कहते हैं कि अगला लिंच तलाश करना वाकई बेहद टेढ़ा काम है। क्लेमेंट ने 1990 में वाल स्ट्रीट जर्नल में एक लेख लिखा था जबकि हर्श यह बात व्यवहार वित्त पर अपनी किताब में ज्यादा जोरदार तरीके से कहते हैं।
असल में, वे दोनों ही सही हैं। मामूली से 2 करोड़ डालर के फंड से 13 अरब डालर की जोरदार बढ़ोतरी हासिल करना वाकई दुर्लभ मिसाल है। यह सचमुच किसी किताब का अध्ययन विषय हो सकता है।
हालांकि क्लेमेंट और हर्श दोनों एक ही बात कहते हैं। क्लेमेंट जहां ज्यादा कुशलता की ओर इशारा करते हैं, वहीं शेफ्रिन का कहना है कि इसमें कुछ हद तक भाग्य भी शामिल है, सिर्फ निवेश का साधारण नजरिया ही नहीं जिसे लिंच ने अपनाया।
एक और पहलू है पिछले प्रदर्शन का, जिस पर वे दोनों सहमत नहीं हैं। वाल स्ट्रीट जर्नल के पूर्व स्तंभकार भावी प्रदर्शन के लिए पुराने प्रदर्शन के संकेत को एकदम खारिज नहीं करते। लेकिन व्यवहार वित्त के गुरू कहते हैं कि पुराने प्रदर्शन का आकलन करना मुश्किल है।
अतीत ही भविष्य है
दो तरह के लोगों में यह बहस पुरानी है। एक वे, जो अतीत में रहते हैं और मानते हैं कि यहीं से भविष्य निकलेगा और दूसरे वे जो कहते हैं कि अतीत बेकार है और भविष्य हमेशा ही भिन्न होता है।
नास्तिक भूल जाते हैं कि जिंदगी नियम से चलती है, न कि संयोग से और प्रतिक्रिया जीवन के रहस्य या कष्ट का ही हिस्सा है। भविष्य हमेशा अतीत पर बनता है, इसलिए प्रदर्शन अच्छा भी होता है और बुरा भी।
पर अगर हम अतीत में ही रहें तो भविष्य अतीत से अलग कैसे होगा और कैसे पिछला शानदार प्रदर्शन फिर से हासिल नहीं किया जा सकेगा। अगर औचक ही भविष्य है तो फिर ऑप्शन के कारोबारी 1987 से ही क्यों ब्लैक स्वान का इंतजार कर रहे हैं।
पेशेवर खेल
चक्रीयता भी एक पहलू है जिसे व्यवहारवादी भूल जाते हैं। लोगों को भावनात्मक चूक के बारे में पढ़ाना एक अलग बात है और आर्थिक चक्र कैसे बदलते हैं और हमें अपनाने को मजबूर करते हैं, यह बताना दूसरी बात है।
हमें अभी भी यह समझने की जरूरत है कि कैसे बदलता परिसंपत्ति चक्र हमारे विचारों को भी बदल देता है। किसी पेशेवर की पहचान और उसे समझने के लिए काफी साहित्य उपलब्ध है। जब कीमतें गिरती हैं तो यह प्रक्रिया दुरूह हो जाती है और संस्थाओं तथा पेशेवरों में विश्वास का स्तर कम हो जाता है।
किसी आम जन की भांति बहुत से पेशेवरों को अपनी कुशलता पर जरूरत से ज्यादा ही भरोसा हो जाता है। पेशेवरों का संस्थानीकरण करने से अकुशलता बढ़ती है। संस्थाएं नाकामी पर पर्दा डालने के लिए जो खेल करती हैं, हर्श उसे बताते हैं।
घाटे वाले फंड के विलय के कई मकसद हो सकते हैं, जैसे जोखिम और नाकामी छिपाकर सिर्फ विजेता बताना। माइकल जेनसन (1968) ने 1945 से 1964 के दौरान प्रदर्शन का अध्ययन किया। उनने पाया कि पिछले वर्ष का विजेता दुबारा नहीं बना।
उनका कहना था कि उसी फंड से बाजार से ज्यादा के रिटर्न की उम्मीद की जा सकती थी जिसके पोर्टफोलियो में बाजार की तुलना में ज्यादा सिस्टमेटिक जोखिम होता था। ग्रिनब्लाट, टिटमैन और रॉज वर्मर्स ने पाया कि करीब 77 प्रतिशत म्युचुअल फंड तेजी की रणनीति अपनाते हैं।
यानी वे उन शेयरों को खरीदते हैं जो हाल में चढ़े होते हैं। ऐसे शेयरों के प्रति भेड़चाल वाला व्यवहार होता है। वे पिछले विजेता को खरीदने के लिए उसी समय आगे आते हैं पर जब पिछले पराजित को बेचने की बारी आती है तो वे नहीं सुनते।
नई नस्ल?
भावी सफलता के लिए पिछले प्रदर्शन के संकेत सही नहीं हैं। छोटे शहर की चमक के लिए बड़े शहर की चमक को रोकना मुश्किल होता है। जब जोखिम लेना मानदंड बन जाए तो परंपरावादी बने रहना मुश्किल होता है।
साथ के दबाव समूहों के सामने खड़े रह पाना मुश्किल होता है। पर हम जबसे पैदा हुए हैं, साथ के दबाव समूह के साथ रहते आए हैं। भाई-बहनों से स्पर्धा, स्कूल में स्पर्धा।
यही कारण है कि हम झुंड में शामिल हो जाते हैं और ऐसे निवेशक या फंड मैनेजर नहीं बन पाते जो बाजार के दो अंकों के रिटर्न के बजाय पोर्टफोलियो में एक अंक के रिटर्न से खुश हों। हम ऐसे फंड प्रबंधक या निवेशक भी नहीं बन पाते जो रिटर्न बढ़ाने के बजाय जोखिम नियंत्रण पर ही ध्यान लगाए।
जब नई पीढ़ी आएगी, नए पेशेवर नई संस्थाएं बनाएंगे तो आने वाला समय इसे बदलेगा। पीटर लिंच को बाहर या भीतर खोजने का पहला कदम यह वैयक्तिकता ही है।
कहां निवेश करें
सोना ऐतिहासिक ऊंचाइयों से नीचे बरकरार है। इससे संकेत मिलता है कि वैश्विक रुप से दहशत का स्तर बढ़ने के बजाय घटा है। अगर हमें दूसरी तिमाही में इसमें गिरावट नजर आए तो भी अगले 15 से 18 महीने के लिहाज से निवेश के लिए यह तुलनात्मक रुप से आकर्षक है।
एक्सचेंज बंद करने, गांव लौटने और पूंजी बाजार से बाहर रोजगार तलाशने में अब काफी देर हो चुकी है। नुकसान तो हो चुका, अब यह पुनर्निर्माण का समय है। धातु, ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल और एफएमसीजी में तत्काल 10 प्रतिशत आवंटन और पहली तिमाही तक इसे बढ़कर 25 प्रतिशत किया जा सकता है।
बाजार मोटे तौर पर अभी भी गिर रहा हो सकता है लेकिन एफएमसीजी इसे बढ़ा रहा है। बीएसई हेल्थकेयर ने इसे पांच तरंग का बना दिया है जिससे लगता है कि हमें भी आधार मिल सकता है।