Tata Capital-Tata Motors Merger: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने टाटा ग्रुप की अनलिस्टेड कंपनी टाटा कैपिटल और टाटा मोटर्स फाइनेंस के विलय को मंजूरी दे दी है। इस मर्जर के बाद भारत की 12वीं सबसे बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के बनने का रास्ता साफ हो गया है।
कंपनी की रेगुलेटरी फाइलिंग के मुताबिक, RBI ने इस महीने की शुरुआत में दोनों कंपनियों को “नो-ऑब्जेक्शन” (NOC) भेजी थी। इस विलय के तहत, टाटा कैपिटल अपने इक्विटी शेयर टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड (TMFL) के शेयरधारकों को जारी करेगी। विलय के बाद बनी एंटिटी में टाटा मोटर्स की हिस्सेदारी 4.7 प्रतिशत हो जाएगी।
सितंबर में प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने भी इस विलय को मंजूरी दी थी। कानूनी सूत्रों के अनुसार, RBI की मंजूरी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अहम है। इसके साथ ही, विलय के बाद कंपनी को सितंबर 2025 तक शेयर बाजार में लिस्ट होना है। गौरतलब है कि RBI ने पहले ही निर्देश दिया था कि सभी अपर लेयर वाली NBFC को शेयर बाजार में लिस्ट होना जरूरी है।
31 मार्च, 2024 तक, टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस, टाटा कैपिटल के 92.83 प्रतिशत इक्विटी शेयरों की मालिक है। बाकी बची हिस्सेदारी अन्य टाटा ग्रुप की कंपनियों और ट्रस्टों के पास है।
इस विलय के जरिये, टाटा कैपिटल का उद्देश्य कमर्शियल वाहन और पैसेंजर कार फाइनेंसिंग के तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में नए ग्राहकों को आकर्षित करना है। कंपनी अपने डिजिटल ऑफरिंग के साथ ग्राहक सेवा को बेहतर बनाने और कर्मचारियों के लिए नए विकास के अवसर प्रदान करने की योजना बना रही है।
पिछले पांच वर्षों में, टाटा संस ने टाटा कैपिटल में कुल 6,097 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिससे समूह के लोन बिजनेस को मजबूत करने और इसे रिटेल फोकस्ड फाइनेंशियल सर्विस फर्म में बदलने की प्रतिबद्धता जाहिर होती है। इसके अलावा, टाटा कैपिटल टाटा ग्रुप के विभिन्न सहयोगियों, सप्लायर्स, वेंडर्स और डीलरों की वित्तीय जरूरतों को भी पूरा कर रही है।
टाटा संस, टाटा ऑटोकॉम्प सिस्टम्स (TACO) में 2,122 करोड़ रुपये में 12.65 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदने की भी योजना बना रही है। इससे कंपनी का कुल इक्विटी वैल्यूएशन 16,800 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी।
वर्तमान में टाटा संस की TACO में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि टाटा मोटर्स की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है। TACO एक ऑटो कंपोनेंट्स निर्माता कंपनी है।