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छाया है लॉयड ही

Last Updated- December 07, 2022 | 3:00 AM IST

इस बात की संभावना है कि आप इस कॉलम को वातानुकूलित कमरे में पढ़ रहें हों और इस बात की संभावना अधिक है कि इसे पढ़ने के तत्काल बाद आप अपने एयर कंडीशंड ऑफिस की ओर रुख कर लें।


गर्मी की तपन परवान चढ़ रही है, सड़कों पर शोरगुल है और आपके आसपास का वातावरण धूलभरा है। ऐसे में अगर बाहर बारिश भी हो रही हो तो उस स्थिति में भी एयर-कंडीशन चालू रहता है। और एक नहीं ज्यादातर कमरों में रहता है। जाड़े में अगर आपको रात्रि में यात्रा करना हो तो भी आप एसी-2 को चुनेंगे। रोड या मेट्रो में आपकी पसंद मेट्रो ही होगी। सब के पीछे एक ही वजह है ज्यादा आराम पाना है।

ऐसा क्यों हो रहा है ?

पिछले 18 महीने में एअर-कंडीशनर्स की कीमतों में 35-40 प्रतिशत की गिरावट आई है। और तब यह और सस्ता लगने लगता है जब आपने इस दौरान मोटा बोनस उठाया हो और शेयर बाजर से खासा मुनाफा कमाया हो। इसके अलावा एअर-कंडीशनर्स  बिजली बिल खपत के लिहाज से भी किफायती हो गए है। लिहाजा घरों में ये जुमला भी अब कम ही सुना जाता है कि, बेटा एसी बंद करो, बिजली का बिल बढ़ेगा ।

इन दिनों मध्यम कीमतों वाली आरामदायक वस्तुओं की खरीददारी में बढ़ोतरी हुई है, हम में से अधिकांश लोगों ने अगली कार खरीद ली है। अगली ये और अगली वो….अब बचा क्या है? एअर-कंडीशनर? चलो शुरुआत के लिए तो एक खरीद ही लेते  हैं। ऐसा कहने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होते जा रहा है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि एयर कंडीशंडर ऑफिस में काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। पूरी जिंदगी एक पंखे के नीचे बिताने का ख्याल उसे अब नहीं भा रहा है।

भले ही हम भारत को खपत पर आधारित इंडिया शाइनिंग अर्थव्यवस्था मान लें, जहां लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ी है, बड़े मॉल्स की संख्या में बढ़ती जा रही है और जीरो फाइनेंसिंग, प्लॉस्टिक मनी, इंटरनेशनल एक्सपोजर इस अर्थव्यवस्था की अन्य आकर्षक फीचर हैं। यहां दुनिया की सबसे बड़ी मध्यमवर्गीय आबादी है, जिसकी खरीद क्षमता संभवत: दुनिया में सर्वाधिक है। इसके बाद भी यहां एयरकंडीशनर की खपत 1.5 से 2 प्रतिशत ही है।

इसकी तुलना में विकसित बाजारों में यह 20 प्रतिशत से अधिक है। चीन के 3 करोड़ की तुलना में भारत में एअर-कंडीशनर धारकों की संख्या महज 20 लाख ही है। इसके बावजूद कि भारत तेजी से विकास कर रहा है यहां एअर-कंडीशनिंग मशीनों की सालाना खरीददारी विश्व के अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। इसे देखते हुए यह बताने की आवश्यकता नहीं कि आखिर अवसर हैं कहां?

वास्तव में भारत में नब्बे के दशक के अंतिम वर्षों में और बाद में एअर-कंडीशनर  बाजार की विकास दर इकाई में ही अटकी रही। फिलहाल इसका बाजार 25-30 प्रतिशत सालान चक्रवृध्दि दर के हिसाब से आगे बढ़ रहा है। एयर कंडीशनर उद्योग की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में जितने एसी एक साल में निर्मित हो रहे हैं, उस संख्या पर पहुंचने में कुछ समय पहले सालों लग गए।

अवसर

मुझे लगता है कि  इस बात से आप चौंक गए होंगे। संभावनाएं कहां है?

दिलचस्प है कि भारत में आज कोई भी स्थापित एसी ब्रांड नहीं है। कुछ बड़े ब्रांड तो सूचीबध्द भी नहीं है, जो सूचीबध्द हैं वे और कई तरह के उत्पाद की खिचड़ी बनाते हैं। उनका देश के बड़े एसी बाजार में कोई अहम स्थान नहीं है जिन्हें लोग सिर्फ एसी के उद्देश्य से खरीद सके। इस क्षेत्र में अब एक नाम सामने आता है, वह है लॉयड इलेक्ट्रिक।

यह कंपनी एसी के लिए वेपोरेटिंग और कंडिशनिंग कॉइल (उत्पादन क्षमता 14 लाख यूनिट प्रतिवर्ष) और असेंबल एयर कंडीशनर (4 लाख यूनिट प्रतिवर्ष) का उत्पादन करती है। साथ ही  रेलवे को भी  एयर कंडीशनर सॉल्यूशन उपलब्ध कराती है। यह पूरी तरह से एक एसी कंपनी है। आप भारत में किसी भी ब्रांड का एयरकंडीशनर खरीदें, उसके अंदर लॉयड इलेक्ट्रिक तारों के मिलने की काफी संभावना होगी।

कंपनी पूर्ण रूप से एयरकंडीशनर बनाने की और अग्रसर है और अगली बार जब आप सेमसंग या ओनिडा खरीदेंगे तब इसकी पूरी संभावना होगी कि यह लॉयड इलेक्ट्रिक फैक्ट्री से बनकर आया होगा। कंपनी कूलिंग सिस्टम बनाने में जुटी है और जब आप अगली बार दिल्ली की मेट्रो रेल में यात्रा कर रहे होंगे तब आप को उस शीतलता का एहसास होगा, जिसकी कभी आपने कल्पना भी नहीं की होगी।

तो इस मॉडल की विशेषताएं क्या हैं?

पहला, इसमें 400 तारों को कस्टमाइज करने की क्षमता होती है जो कि ग्राहकों कीजरूरत के अनुरूप होती है और इसकी कीमत 4,000 से लेकर से 13,000 रुपये तक होती है। इसके अलावा यह रेलवे में भी एयरकंडीशनर केरूप में इस्तमाल होता है जिसकी कीमत लाखों में होती है।

दूसरा, इस बात का कोई मतलब नहीं है कि आप किस ब्रांड का एयरकंडीशनर खरीदते हैं, क्योंकि लॉयड इलेक्ट्रिक का एयरकंडीशनर तार बाजार में करीब 60 प्रतिशत हिस्सा है। यह देश की पहली एजेंसी है जिसने दिल्ली मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन के 80 लाख के एयरकंडीशनर ऑर्डर का निर्माण कार्य पूरा किया है।

तीसरा, करार एक कारोबार के जरिए होता है जहां कच्चा माल 80 प्रतिशत से अधिक की मात्रा में होता है। इसका अर्थ यह है कि अगर धातुओं की कीमत में बढ़ोतरी होती है तो उस स्थिति में कंपनी के बेक-टू-बेक कॉन्ट्रेक्ट खरीदारों की संख्या बढ़ा दी जाती है।

चौथा, कंपनी की इकाइयां कर मुक्त क्षेत्र (देहरादून के संयंत्र को 15 साल तक कर छूट मिली है, जबकि काला अंब संयंत्र को 10 साल तक कर छूट मिली है।) में स्थापित हैं, जिससे इसकी लागत में कमी आती है।

पांचवां, पोर्टफोलियो मिक्स में बदलाव आ रहे हैं। असेंबल एयरकंडीशनरों की ज्यादा आवक  से आमदनी का अनुपात वित्त वर्ष 2007 में 35 प्रतिशत से बढ़कर 2008 में 44 प्रतिशत हो सकता है।

छठा, अभी हाल में ही लॉयड ने चेक गणराज्य   लुवाता में अधिग्रहण किया है जिसका यूरोपीय कॉइल बाजार में 5 प्रतिशत हिस्सा है। इस तरह से लॉयड इलेक्ट्रिक क ी क्षमताओं में और अधिक विकास होगा जो कि किसी भी मायने में कम महत्वपूर्ण नहीं है।

अंत में, आंकडों का खेल। वर्ष 2007-08 में लॉयड इलेक्ट्रिक का ईबीआईडीटीए 87.82 करोड़ का रहा और 31 करोड़ के इक्विटी कैपिटल पर इसका मुनाफा 60.4 करोड़ का रहा जिसमें कर शामिल नहीं है। इक्विटी  2009-10 में बढ़कर 36.2 करोड़ रुपये हो जाएगी, लेकिन तब तक कारोबार में 2008-09 में 35 प्रतिशत की वृध्दि होने की संभावना है।

(मुदार के इस कंपनी से हित जुड़े हो सकते हैं।)

First Published - June 1, 2008 | 11:42 PM IST

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