भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को अपनी 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि मौद्रिक नीति ढांचे की समीक्षा और बैंकिंग प्रणाली में नकदी के अधिकतम स्तर का अध्ययन करना चालू वित्त वर्ष के एजेंडे में शामिल है। रिजर्व बैंक के साथ विचार विमर्श करके सरकार 5 साल में एक बार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर का लक्ष्य तय करती है। 31 मार्च, 2021 को केंद्र सरकार ने महंगाई दर का लक्ष्य 4 प्रतिशत बरकरार रखा था, जिसमें 2 प्रतिशत की घट-बढ़ हो सकती है। यह अगले 5 साल यानी 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च, 2026 तक के लिए लागू है।
यह समीक्षा आर्थिक समीक्षा और विभिन्न क्षेत्रों से हाल ही में आई टिप्पणियों को देखते हुए महत्त्वपूर्ण है। इसमें खाद्य कीमतों में बढ़ती अस्थिरता को देखते हुए केंद्रीय बैंक के लिए लक्ष्य के रूप में प्रमुख महंगाई दर यानी खाद्य और ईंधन को छोड़कर महंगाई दर निर्धारित करने की बात कही गई है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘खाद्य महंगाई अक्सर मांग नहीं बल्कि आपूर्ति की वजह से बढ़ती है। कम अवधि के लिए काम करने वाली मौद्रिक नीति मांग ज्यादा बढ़ने के कारण पैदा हुई महंगाई से निपटने के लिए होती है।’ समीक्षा में इस ढांचे पर पुनर्विचार करने की बात कही गई थी। मौद्रिक नीति का कारगर असर सुनिश्चित करना और नकदी के अधिकतम स्तर का फिर से मूल्यांकन करना भी चालू वित्त वर्ष के रिजर्व बैंक के महत्त्वपूर्ण एजेंडे में शामिल है।
सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी ब्याज दर ने नीतिगत दरों में परिवर्तन का असर आम आदमी तक पहुंचान की रफ्तार बढ़ाई है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2024-25 के दौरान फ्लोटिंग दर वाले बकाया कर्जों में बाहरी बेंचमार्क दर से जुड़े कर्ज का अनुपात और बढ़ गया है। इसके साथ ही वर्ष के दौरान एमसीएलआर से जुड़े ऋणों की हिस्सेदारी में भी गिरावट आई।’
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी से नीतिगत रीपो दर में 25 आधार अंक कटौती की है। केंद्रीय बैंक ने प्रणाली में पर्याप्त नकदी भी डाली है, जिससे मौद्रिक नीति का असर प्रभावी तरीके से नजर आ सके।