विशाल रिटेल, रिटेल सेक्टर में देश की तेजी से बढ़ती कंपनी है,जो कि मध्यम वर्गीय आबादी को ध्यान में रखकर उत्पाद को तैयार करती है।
यह देश भर में फैले अपने रिटेल स्टोर्स के जरिये अपना कारोबार करती है जिसका संचालन विशाल मेगामार्ट करता है। उल्लेखनीय है कि कंपनी ने सबसे पहले 2001 में कोलकाता में रेडीमेड एपेरल उतारा था।
फिलहाल कंपनी देश में रिटेल सेक्टर के प्रमुख खिलाड़ी के रुप में उभरा है, जो कि उपभोक्ताओं को हाउसहोल्ड मर्केंटाइल के साथ टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं जिसमें एपेरल के साथ एफएमसीजी भी शामिल हैं, उपलब्ध करा रही है। पिछले साल जून के अंत तक कंपनी के देश में 50 स्टोर्स थे ,जो कि 13 लाख वर्गफीट में फैले थे। आज कंपनी के 108 रिटेल स्टोर्स हैं, जो कि 22.9 लाख वर्ग फीट में फैले हुए हैं। साथ ही कंपनी की स्थिति उत्तर भारत में ज्यादा मजबूत है।
कंपनी की अगली योजना दूसरे क्षेत्रों में रिटेल स्टोर्स के विस्तार की है। विशाल रिटेल के मुख्य प्रबंध निदेशक आर सी अग्रवाल ने प्रिया कंसारा से कंपनी के आगे की विस्तार योजना, वृध्दि रणनीति , देश में रिटेल सेक्टर के भविष्य के संबंध में बातचीत की।
भविष्य में कंपनी की कारोबार के प्रसार के लिये क्या योजनाएं हैं?
इस समय हमारे पास 22.9 लाख वर्गफुट में फैले हुए 108 स्टोर्स हैं। हमनें 29 नये शहरों में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है जिससे अब 31 मार्च 2008 तक 67 शहरों में हमारी पहुंच हो गयी है। हमनें इस वित्तीय वर्ष के दौरान जम्मू, रुद्रपुर, फगवारा, शिलांग, सिरसा और तिनसुकिया जैसे शहरों में अपने स्टोर खोले हैं।
वित्तीय वर्ष 2009 के अंत तक 190 स्टोर खोलने की हमारी योजना है। इससे हमारे स्टोर का प्रसार 37 लाख वर्ग फुट तक हो जाएगा (इसमें कंपनी का एचपीसीएल के साथ किया गया समझौता भी शामिल है। अगले तीन सालों में हमारी योजना 500 रिटेल स्टोर्स खोलने की है।
फिलहाल इन योजनाओं में क्या प्रगति हुई है?
हमारे विस्तार की योजना हमारे लक्ष्य के अनुरूप है। हम अपने स्टोर के प्रसार के लिये इक्विटी के जरिये करीब 200 करोड़ रुपये उगाहने की प्रक्रिया में हैं। इसके अतिरिक्त कंपनी 15 लाख वर्ग फुट केसमझौता ज्ञापन पर पहले ही हस्ताक्षर कर चुकी है। हमें हर महीनें करीब 31 रुपये प्रति वर्ग फुट का किराया देना पड़ा है।
हम अपनी सप्लाई चेन और आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने पर फोकस कर रहे हैं। इसके लिये हमनें अपनी गारमेंट बनाने की क्षमता को वित्तीय वर्ष 2008 में तीन गुना किया है। अब यह बढ़कर 45 लाख पीस सालाना हो गई है।
हमनें 5.8 लाख वर्ग फुट केसात नये वेयर हाउसों को जोड़ा है। हमनें 7.5 करोड़ के खर्च से सैप के उत्पादन और रिटेल मॉडयूल को अपनाया है। कंपनी के सारे रिटेल स्टोर को वर्चुअल नेटवर्क कनेक्शन के जरिये जोड़ दिया गया है। सारे रिटेल केंद्रों की आपस में वीडियो कांफ्रे सिंग की सुविधा है।
कंपनी की भविष्य में ग्रोथ के लिये क्या रणनीतियां हैं?
हमारा फोकस हाई पोटेंशियल क्रय क्षमता वाले तृतीय श्रेणी के शहरों और प्रथम श्रेणी के शहरों के मध्यम आय वाले लोगों पर है। हमारी योजना सबसे ज्यादा शहरों तक पहुंचने और पूरे मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को अपने प्रोफाइल में शामिल करने की है। हमारे पास जगहों की पहचान के लिये 22 लोगों की टीम है।
वे शहरों की जनसंख्या, शिक्षा, व्यवसाय और आय के स्तर के आधार पर विश्लेषण करते हैं। हम लक्षित उपभोक्ताओं, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर को देखते हुए स्थान का निर्धारण करते हैं। इसके अतिरिक्त हमारी ग्रोथ प्लान में तेज सप्लाई चेन बनाने और आईटी नेटवर्क को सुधारने की बातें भी शामिल है। हमनें विशाल रिटेल को द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में एक ब्रांड के रुप में स्थापित किया है। जो हमारे कारोबार के 78 फीसदी भाग को कवर करता है और हमारा अधिकंाश लाभ भी इन्ही शहरों से आता है।
आप भविष्य में बढ़त को बरकरार रखने के लिए किस तरह से योजना बनाते हैं?
वित्तीय वर्ष 2009 में हम 1,800 करोड़ के राजस्व को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। जबकि इबीआईडीटीए मार्जिन के 11.5 से 12 फीसदी के स्तर पर रहने के आसार हैं और हमारे नेट मार्जिन 4 फीसदी रहने की संभावना है। वित्तीय वर्ष 2009 के बाद स्पेशियलिटी स्टोर, कैस और कैरी बिजनेस में भी हमारे उतरने की संभावना है।
क्या आप कुल बिक्री में विभिन्न उत्पादों के योगदान का एक खाका दे सकते हैं? इसके अतिरिक्त क्या प्राइवेट लेबल और स्टोर सेल के आंकड़े भी मिल सकते हैं?
वित्तीय वर्ष 2008 में 61 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले कपड़ों की श्रेणी की हिस्सेदारी में कमी आने की संभावना है, जबकि कपड़ों के अतिरिक्त और उपभोक्ता आधारित वस्तुओं की हिस्सेदारी 19 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी होने और अगले दो सालों में 30 फीसदी तक पहुंचने की संभावना है।
प्राइवेट लेबल जिनकी बिक्री में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में पांच फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, के आगे बढ़कर वित्तीय वर्ष 2009 में 25 फीसदी और वित्तीय वर्ष 2013 तक 50 फीसदी तक पहुंचने के आसार हैं।
रिटेल सेक्टर के प्रति सरकार के रवैये पर आपके क्या विचार हैं? कुछ राज्यों में रिलायंस रिटेल के विस्तार पर हुये विरोध पर आपके क्या विचार हैं?
हम हाल केबजट में केंद्र सरकार के प्रावधानों से संतुष्ट हैं, क्योंकि इसने उपभोक्ताओं का सशक्तीकरण किया है। जहां तक विरोध की बात है तो कुछ जगह विरोध हुए है और हम इन्हे स्वीकार करते हैं। किराना स्टोर को बड़े रिटेल खिलाड़ियों केफ्रेंचाइजी के रुप में स्थापित करना इन हालातों का हल प्रतीत होता है और यह दोनों के लिये फायदेमंद होगा।
रिटेल सेक्टर के खिलाड़ी क्वालिटी स्पेस की गैरमौजूदगी,ऊंचे किराये और संपत्ति की कीमतों जैसे मुद्दों से कैसे निपटते हैं?
क्वालिटी रियल एस्टेट उद्योग के विकास का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। 2011 तक 3000 वर्ग फुट जगह ही रिटेल स्पेस के रुप में उपलब्ध होगी। उद्योगों से जुडे स्राेतों के अनुसार अगले कुछ सालों में रियल एस्टेट प्लेयर इस क्षेत्र में 1000 से 1200 अरब का निवेश करेंगे। इसके अतिरिक्त कुछ रिटेलरों ने लैंड डेवलेपमेंट में भी उतरे हैं। इस तरह से हम क्वालिटी स्पेस, ऊंची किराये की दरों और संपत्ति के मूल्यों की समस्या से निपट सकेंगे।
अगर विदेशी रिटेल कंपनियों को कारोबार करने की खुली छूट दे दी जाए?
अगले तीन सालों में घरेलू रिटेल कंपनियों का अर्थव्यवस्था में अच्छी खासी हिस्सेदारी हो जाएगी। जो घरेलू कंपनियों के लिये फायदेमंद होगी। हमारा विश्वास है कि घरेलू रिटेल कंपनियों को भारतीय बाजार में पहले से जमे रहने का फायदा मिलेगा जब तक कि विदेशी कंपनियां इस आर्कषक बाजार में प्रवेश करती है।
एचपीसीएल के आउटलेट पर बिकने वाले एसबीआई के को-ब्रांडेड जैसे मुद्दे पर आपके क्या विचार हैं?
एचपीसीएल से हुए समझौते के तहत कंपनी पेट्रोल पम्प पर अपना आउटलेट खोलेगी और इस प्रक्रि या के तहत कंपनी ने दिल्ली में दो पेट्रोलियम आउटलेट पर अपने स्टोर खोल भी दिये हैं। हमारा वर्तमान लक्ष्य 20 से 25 ऐसे स्टोर खोलने का है। जहां तक एसबीआई के को-ब्रांडेड कार्ड का सवाल है हमारे पास पहसे से ही 50,000 सक्रिय ग्राहक हैं। भविष्य में हमारे ग्राहकों के बढ़ने की पूरी संभावना है।