वित्त-बीमा

P2P Firms पर RBI हुई सख्त, भेजी सवालों की लंबी लिस्ट

बैंकिंग नियामक ने दिसंबर के मध्य में 18 बिंदुओं वाली विस्तृत प्रश्नावली भेजकर इन कंपनियों से 3 जनवरी तक जवाब देने के लिए कहा था

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अजिंक्या कवाले   
Last Updated- January 27, 2025 | 10:54 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पीयर-टू-पीयर (पी2पी) ऋण प्लेटफॉर्मों की जांच जारी रखते हुए इनके कामकाज के आंकड़ों के अलावा दूसरी अहम जानकारी मांगी है। आरबीआई ने इन फर्मों के लिए दिशानिर्देशों को सख्त किए जाने के महीनों बाद यह पहल की है। केंद्रीय बैंक ने 8 पी2पी ऋणदाता फिनटेक फर्मों से विस्तृत सवाल पूछे हैं। बैंकिंग नियामक ने दिसंबर के मध्य में 18 बिंदुओं वाली विस्तृत प्रश्नावली भेजकर इन कंपनियों से 3 जनवरी तक जवाब देने के लिए कहा था। इन 18 बिंदुओं में से अधिकतर में उप-प्रश्न भी शामिल किए गए थे जिनमें अगस्त में पी2पी मानदंडों को संशोधित किए जाने के बाद पहली बार परिचालन संबंधी जानकारी मांगी गई है। सूत्रों ने बताया कि आरबीआई ने लिक्विलोन्स, मॉनेक्सो, आई2आईफंडिंग, इंडियापी2पी सहित आठ कंपनियों को एक प्रश्नावली भेजी है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी वह प्रश्नावली देखी है।

प्रश्नावली में नए पी2पी मानदंडों के अनुपालन, टी+1 समयसीमा के अनुपालन, फर्मों में धन के प्रवाह का लिखित विवरण, पी2पी ऋण योजनाओं के विज्ञापनों की तस्वीर, क्रॉस-सेल संबंधी विवरण आदि जानकारियां मांगी गई हैं। यह दस्तावेज उन आंकड़ों से अलग है जो नियामक हर तिमाही कंपनियों से मांगता है और जिसमें प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम), बकाया ऋण, सकल गैर-निष्पादित आस्तियों, ऋण वितरण आदि के ब्योरे शामिल होते हैं। एक पी2पी फर्म के संस्थापक ने कहा, ‘नियामक ने परिचालन के बारे में विस्तृत प्रश्नावली का जवाब मांगा है। नियामक यह देखना चाहता है कि पिछले साल अगस्त में दिशानिर्देशों में हुए संशोधन के बाद कंपनियों के अनुपालन स्तर में कितना सुधार हुआ है।’

ऋण देने वाली ऐसी कई पी2पी फर्मों के प्रबंधन से हमने संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। नियामक ने इन प्लेटफॉर्मों की वेबसाइट पर किए गए खुलासे के आधार पर पाया कि कई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के पी2पी ने मूलधन अथवा ब्याज या दोनों पर ऋणदाताओं द्वारा वहन किए गए नुकसान की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। इसलिए नियामक ने कंपनियों से इसका विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

आरबीआई ने पूछा है कि क्या कंपनियों ने यह सुनिश्चित किया है कि टी+1 से अधिक दिन तक रकम एस्क्रो खातों में न रहे। साथ ही 15 दिसंबर, 2024 तक टी+1 से अधिक समय तक एस्क्रो खाते में मौजूद शेष रकम का विवरण मांगा गया है। आरबीआई ने अपने संशोधित दिशानिर्देशों में अनिवार्य कर दिया है कि ऋणदाताओं और उधारकर्ताओं के एस्क्रो खातों में डाली गई रकम टी+1 से अधिक दिन तक नहीं रहनी चाहिए। यहां ‘टी’ रकम प्राप्त होने की तारीख है। कंपनियों को सितंबर 2024 तक के अपने पोर्टफोलियो के प्रदर्शन संबंधी आंकड़े प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

पिछले साल अगस्त में आरबीआई को कुछ पी2पी ऋण वितरण प्लेटफॉर्म द्वारा नियामकीय दिशानिर्देशों के उल्लंघन का पता चला था। उसने कहा था कि कुछ पी2पी फर्मों द्वारा ऋण को निवेश योजनाओं के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा था और वे तरलता विकल्पों की पेशकश करते हुए मध्यस्थ के बजाय ऋणदाता या जमा हासिल करने वाले के रूप में काम कर रहे थे।

बैंकिंग नियामक ने इस संबंध में भी जानकारी मांगी है कि पी2पी ऋण योजनाओं का विज्ञापन कैसे किया जा रहा है। कहीं उसे ऋण अथवा निवेश योजना के रूप में प्रचारित तो नहीं किया जा रहा? फिलहाल पी2पी ऋण वितरण क्षेत्र में 26 लाइसेंस प्राप्त कंपनियां मौजूद हैं, लेकिन 10-11 कंपनियां ही सक्रिय हैं।

First Published : January 27, 2025 | 10:34 PM IST