निजी क्षेत्र की कुछ बड़ी जीवन बीमा और जनरल इंश्योरेंस कंपनियों ने पब्लिक लिस्टिंग के लिए भारतीय जीवन बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) से 2027 तक का वक्त मांगा है। इन कंपनियों को भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में सार्वजनिक सूचीबद्धता के लिए मसौदा योजना पेश करने के निर्देश दिए गए थे। इस मामले से सीधे जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्र ने कहा, ‘निजी बीमा कंपनियों ने आईआरडीएआई से कहा है कि उन्हें पब्लिक लिस्टिंग योजना प्रस्तुत करने के लिए 2027 तक वक्त दिए जाने की जरूरत है, क्योंकि भारत 2026 में पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक (आईएफआरएस) 17 स्वीकार करेगा। ’ आईआरडीएआई ने 1 अप्रैल, 2026 से इंड-एएस (इंडियन अकाउंटिंग स्टैंडर्ड) 117 लागू करने का प्रस्ताव किया है, जो आईएफआरएस-17 के समतुल्य होगा।
आईएफआरएस 17 पुराने और कम ढांचागत मानक आईएफआरएस-4 की जगह लेगा। यह बीमाकर्ताओं को बीमा अनुबंधों की रिपोर्टिंग का पूरी तरह से नया ढांचा प्रस्तुत करता है। इन बदलावों से वैलुएशन मैट्रिक्स उल्लेखनीय रूप से प्रभावित हो सकता है, जो सफलतापूर्वक और आसानी से सार्वजनिक सूचीबद्धता के लिए अहम है। इस सिलसिले में खबर प्रकाशित होने के लिए भेजे जाने तक आईआरडीएआई को भेजे गए ई-मेल का कोई जबाव नहीं मिल सका।
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फरवरी में बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि आईआरडीएआई ने कम से कम 10 जनरल और जीवन बीमा कंपनियों को माह के अंत तक सार्वजनिक सूचीबद्धता का विस्तृत खाका प्रस्तुत करने को कहा है। इस समय भारत इंड एएस 104 मानकों का पालन करता है, जिसकी जगह आईएफआरएस-4 को लेनी है, लेकिन यह स्थानीय कानून और स्थितियों के मुताबिक होगा। सूचीबद्ध और गैर सूचीबद्ध बड़ी कंपनियों के लिए इंड एएस अनिवार्य है, जबकि छोटी फर्में अभी भी पुराने अकाउंटिंग मानकों (एएस) का पालन करते हैं।
बीमा नियामक ने इंड एएस-117 या आईएफआरएस-17 के कार्यान्वयन पर विशेषज्ञ समिति का भी पुनर्गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता आईआरडीएआई के सदस्य (वित्त और निवेश) करेंगे। यह समिति नए लेखांकन ढांचे के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों पर काम करेगी, साथ ही चरणबद्ध समयसीमा भी तय करेगी। एक और सूत्र ने स्पष्ट किया कि आईआरडीएआई का लक्ष्य लिस्टिंग रणनीति के माध्यम से बीमा उद्योग में पारदर्शिता और पेशेवर तौर तरीकों को बढ़ावा देना है।
भारत के शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के लिए किसी बीमा कंपनी को कुछ प्रदर्शन मानकों का पालन करना जरूरी होता है। कंपनी या इसके प्रमोटरों को कम से कम बीमा क्षेत्र का 3 साल काअनुभव होना चाहिए और पॉजिटिव नेटवर्थ होना चाहिए। कंपनी को 3 में से 2 वित्त वर्षों में कम से कम 1 करोड़ रुपये परिचालन मुनाफा होना चाहिए और इस अवधि के दौरान इक्विटी में सकारात्मक मुक्त नकदी प्रवाह (एफसीएफई) बनाए रखना होगा।