लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) की लाभप्रदता पर मार्च, 2025 की समाप्ति पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है। दरअसल, कोषों की बढ़ती लागत और उच्च ऋण लागत से विशेष तौर पर माइक्रोफाइनैंस ऋण चूक बढ़ी है। इसका परिणाम यह हुआ है कि वित्त वर्ष 25 में परिसंपत्तियों पर रिटर्न (आरओए) घटकर 1.4 से 1.6 प्रतिशत हो सकता है जबकि यह वित्त वर्ष 24 में 2.1 प्रतिशत था। इस बारे में इक्रा का अनुमान है कि यह वित्त वर्ष 26 में मामूली रूप से सुधर कर 1.6 से 1.8 प्रतिशत हो सकता है।
इक्रा के फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग्स की सेक्टर हेड मनुश्री सागर ने बताया कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में एसएफबी की लाभप्रदता पर दबाव रहा सकता है। लिहाजा इन इकाइयों को चूक वाले ऋण का इंतजाम करना होगा / बट्टे खाते में डालना पड़ेगा। इन इकाइयों को यूनिवर्सल लाइसेंस आवेदन के लिए सकल गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) और शुद्ध एनपीए को निर्धारित स्तर में रखने की जरूरत है।
ऋणदाताओं से नकदी की उपलब्धता में क्रमश: सुधार होने से वसूली बेहतर हुई और बड़े पैमाने पर बट्टे खाते में डालने से उद्योग के संपत्ति गुणवत्ता संकेतकों ने वित्त वर्ष 23 की तुलना में वित्त वर्ष 24 में अनुमान से कहीं बेहतर प्रदर्शन दर्ज किया। हालांकि यह रुझान अप्रैल-सितंबर 2024 (वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही) में पूरी पलट गया। इससे एसएफबी का माइक्रोफाइनैंस बही खाते पर दबाव पड़ा और हेडलाइन संपत्ति गुणवत्ता संकेतकों पर भी प्रभाव पड़ा।
इस अवधि में जीएनपीए प्रतिशत करीब 50 आधार अंक बढ़ना दर्ज हुआ। वित्त वर्ष 24 में सकल एनपीए गिरकर 2.3 प्रतिशत हो गया जबकि यह वित्त वर्ष 23 में 2.8 प्रतिशत था।
इक्रा ने बताया कि कोषों की लागत बढ़ने और सुरक्षित ऋण की हिस्सेदारी बढ़ने से एसएफबी मार्जिन पर दबाव बढ़ने का अनुमान है। इसके अलावा वित्त वर्ष 24 में औसतन परिसंपत्तियों की तुलना में संचालन लागत बढ़ गई। इसका कारण इस वित्त वर्ष में शाखाओं का विस्तार, कर्मचारियों पर अधिक खर्च और चूक करने वाले उपभोक्ताओं से वसूली पर बढ़ते प्रयास थे।