फिनटेक क्षेत्र की दो प्रमुख कंपनियों ने हाल ही में पीयर-टु-पीयर (पी2पी) उधारी के क्षेत्र में उतरने का ऐलान किया है। क्रेड ने नया पी2पी प्लेटफॉर्म क्रेड मिंट शुरू किया है, जिसके लिए उसने भारतीय रिजर्व बैंक में पंजीकृत पी2पी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लिक्विड लोन्स के साथ हाथ मिलाया है। भारतपे ने भी 12त्न क्लब नाम की ऐप के जरिये पी2पी उधारी शुरू करने का फैसला किया है।
अधिक प्रतिफल
पी2पी प्लेटफॉर्म पर कर्ज देने वालों को ऊंची दर से ब्याज कमाने का मौका मिलता है। उदाहरण के लिए क्रेड अपने प्लेटफॉर्म से कर्ज देने वालों को 9 फीसदी तक का प्रतिफल मिलने का वादा कर रही है। क्रेड के प्रवक्ता कहते हैं, ‘क्रेड इतना प्रतिफल मिलने की गारंटी तो नहीं दे रही मगर हमारे जोखिम विश्लेषण में इस बात की पूरी संभावना नजर आती है कि सदस्यों को 9 फीसदी प्रतिफल मिल जाएगा क्योंकि कर्ज लेने वालों के चूक करने की आशंका बहुत कम है।’ भारतपे का कहना है कि कर्ज देने वालों को सालाना 12 फीसदी तक ब्याज मिल जाएगा।
पिछले कुछ समय से काम कर रहे प्लेटफॉर्म भी दो अंकों में प्रतिफल की वादा करते हैं। लेनदेनक्लब के मुख्य कार्य अधिकारी और सह-संस्थापक भविन पटेल कहते हैं, ‘हमारे प्लेटफॉर्म पर उधार देने वाला आसानी से 10-12 फीसदी सालाना प्रफिल कमा सकता है।’
विविधता से जोखिम में कमी
क्रेड मिंट पर उधार दी जाने वाली रकम औसतन 200 से अधिक कर्ज मांगने वालों के बीच बांटी जाएगी। लेनदेनक्लब भी ऐसा ही करता है। पटेल बताते हैं, ‘अगर आप ऑटो-इन्वेस्ट फीचर का इस्तेमाल करते हैं तो हमारे प्लेटफॉर्म पर उधार दी गई 1 लाख रुपये की रकम अल्गोरिदम का इस्तेमाल कर 400-500 लोगों के बीच बांट दी जाएगी।’ उधारी देने वाला चाहे तो थोड़े से लोगों में कर्ज बांटने का विकल्प भी चुन सकता है।
इस मैदान के नए खिलाड़ी पूरी सतर्कता बरतेंगे ताकि कर्ज लौटाने में चूक कम से कम हो। क्रेड उन्हीं ग्राहकों को कर्ज देगी, जो उसके ऋण उत्पाद क्रेड कैश का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। कंपनी के मुताबिक इन ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर काफी ऊंचा है और कर्ज लौटाने में चूक की दर बहुत कम है। पिछले एक साल में क्रेड कैश पर चूक यानी डिफॉल्ट की दर 1 फीसदी से भी कम रही है।
पी2पी प्लेटफॉर्म अधिक तरलता का वादा भी करते हैं। क्रेड के प्लेटफॉर्म पर कर्ज देने वाले किसी भी समय पूरी या आंशिक रकम निकाल सकेंगे। आवेदन करने के केवल एक दिन के भीतर उन्हें रकम मिल जाएगी और जितने समय के लिए निवेश किया था, उतने समय का ब्याज भी मिल जाएगा। भारतपे भी कर्ज देने वालों को किसी भी समय रकम निकालने का आश्वासन देती है और निकासी पर कोई शुल्क भी नहीं लेती।
समझें डिफॉल्ट का जोखिम
पी2पी प्लेटफॉर्म पर उधारी देने का फैसला करने वाले हरेक व्यक्ति को उसमें शामिल जोखिम पूरी तरह समझ लेने चाहिए। फिनसेफ इंडिया की संस्थापक-निदेशक मृण अग्रवाल समझाती हैं, ‘इस तरह के प्लेटफॉर्म पर उधार की तलाश में आम तौर पर वे लोग आते हैं, जिनका क्रेडिट स्कोर कम होता है और दूसरी जगहों से कर्ज हासिल करने में जिन्हें दिक्कत होती है। यही वजह है कि ये लोग कर्ज के एवज में ऊंचा ब्याज देने को तैयार रहते हैं। मगर ऐसे कर्ज लेने वालों में डिफॉल्ट का खतरा भी ज्यादा होता है।’
अग्रवाल के मुताबिक ऐसे ज्यादातर प्लेटफॉर्मों पर पर्याप्त पुराना रिकॉर्ड नहीं होता। वह कहती हैं, ‘हमें यह देखने और समझने में थोड़ा वक्त लगेगा कि उधारी का यह मॉडल कारगर है या नहीं।’
इन प्लेटफॉर्मों पर उधार देने का विकल्प उन्हें ही चुनना चाहिए, जिनके अंदर ज्यादा जोखिम लेने की भूख है और जो यह बात भली भांति समझते हैं कि यहां उनकी पूंजी डूब भी सकती है। मगर अग्रवाल इस तरह के जोखिम से बचने की सलाह देती हैं। वह कहती हैं, ‘अगर आप ज्यादा जोखिम लेना चाहते हैं तो आपको इक्विटी म्युचुअल फंड जैसे विकल्प चुनने चाहिए। क्रेडिट रिस्क फंड का रास्ता भी चुना जा सकता है। इन रास्तों पर आपको कई कंपनियों और सेक्टरों में विविधता भरे निवेश का फायदा मिल जाएगा।’
मनी मंत्रा के संस्थापक विरल भट्टï की राय है, ‘अगर आप अपने डेट पोर्टफोलियो में विवधता लाना चाहते हैं तो पी2पी प्लेटफॉर्म पर उधार दे दीजिए मगर इस तरह के कर्ज की आपके डेट पोर्टफोलियो में 5 से 10 फीसदी हिस्सेदारी ही होनी चाहिए।’
ये जरूर जांच लें
जाने-माने और रिजर्व बैंक के नियमन में आने वाले प्लेटफॉर्म ही चुनें। अगर आप कर्ज देने के लिए लोगों को खुद चुनना चाहते हैं तो उनके क्रेडिट स्कोर जरूर जांच लें। भट्ट कहते हैं, ‘प्लेटफॉर्म पर डिफॉल्ट की दर मालूम कर लें और गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) का भी पता लगा लें।’
छोटी रकम से शुरुआत करें और धीरे-धीरे उधारी की रकम बढ़ाएं। पटेल का सुझाव है, ‘25,000 रुपये से शुरुआत करें और कर्ज मांगने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच रकम बांटने के लिए कम से कम 1 लाख रुपये पर पहुंचें।’ उनकी सलाह है कि 12 से 24 महीनों के लिए रकम लगाएं। वह कहते हैं, ‘अच्छे नतीजे चाहिए तो हमारे ऑप्टिमाइजेशन अल्गोरिदम को कम से कम इतना समय देना ही पड़ेगा।’