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थीम में अब दूसरे सेक्टर भी हुए शामिल

Last Updated- December 09, 2022 | 10:17 PM IST

साल 2004 में यूटीआई म्युचुअल फंड बुनियादी ढांचा क्षेत्र में उतरने वाला पहला फंड था। उसके बाद इस क्षेत्र ने इतना आकर्षित किया कि लगभग सभी फंड हाउसों ने इसे अपना लिया और धीरे-धीरे अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड लांच कर दिए।


साल 2007 इस कैटेगरी के लिए सबसे अच्छा रहा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के फंडों ने पूरे साल ही बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन अगले ही साल यानी 2008 में उनके भारी रिटर्न में जबरदस्त कमी आ गई। ज्यादातर प्रोजेक्ट या तो रद्द हो गए या फिर उनमें देर हो गई।

पिछले साल बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियों के शेयर मंदड़ियों के निशाने पर रहे और उन्होंने इनका खूब शिकार किया। जाहिर है ऐसे में इन्फ्रास्ट्रक्चर फंडों के लिए यह सबसे खराब सालों में रहा है।

उनकी थीम लगता है आर्थिक मंदी की भेंट चढ़ गई लेकिन फंड अब अपना हाथ फाइनेंशियल सेक्टर, एफएमसीजी और टेक्नोलॉजी जैसे दूसरे सेक्टरों में आजमा रहे हैं।

अब वे इन्फ्रास्ट्रक्चर की परिभाषा को बढ़ा कर इसमें हर आर्थिक गतिविधि को शामिल कर रहे हैं और एक हार्डकोर थीमेटिक फंड के बजाए किसी विविधता वाले फंड की तरह काम कर रहे हैं।

लेकिन अब सरकार के इस सेक्टर में और पैसा डालने के आश्वासन के बाद फिलहाल यह थीम उतनी थकी नहीं लग रही है जैसा कि इसके रिटर्न संकेत दे रहे हैं।

लेकिन इस मौके को पूरी तरह से भुनाने के लिए उन्हे ट्रैक बदल दूसरे सेक्टरों में जाने के बजाए अपनी थीम के साथ रहना होगा।


यहां हम तीन प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर फंडों का विश्लेषण करते हैं:


आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर- स्मार्ट एलोकेशन

इस फंड ने दूसरों में जलन पैदा की है। इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंडों में इसकी सफलता उसकी इन्फ्रास्ट्रक्चर थीम की वजह से कही जा सकती है जिसने 2006 और 2007 में उसके हक में काम किया।

दूसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर फंडों की तुलना में इसने बेहतर कारोबार किया है, पिछली तेजी के दौर में इसने ना केवल सबसे ज्यादा रिटर्न दिया, यह गिरावट के दौरान सबसे कम कमजोर भी हुआ। ऐसे मौके भी आए जब फंड मैनेजर ने बाकी प्रबंधकों से अलग फैसले लिए। 

जब भी उनके पास मौका आया, उन्होंने समय को आंकते हुए अपने आवंटन में बदलाव किया। उनके पोर्टफोलियो में जो शेयर समय लंबे समय से पढ़े हुए थे, वे उनको पकड़कर नहीं रहे।

यह असामान्य नहीं है कि फंड मैनेजर किसी शेयर से पैसा निकालते हैं, तो कुछ समय बाद फिर उसी में निवेश करते हैं।

 इस फंड में शेयरों की संख्या 40 के करीब रही है जो एक समय 53 तक गई और नीचे में 33 तक आई। इसके अलावा फंड प्रबंधक अपनी होल्डिंग्स में बहुत कंसन्ट्रेशन नही रखता यानी एक ही जगह ज्यादा नहीं निवेश करता। किसी एक शेयर में निवेश शायद ही कभी सात फीसदी से ऊपर गया हो।

ऐसे भी मौके आए हैं जब फंड ने आर्बिट्राज के मौकों को पूरी तरह भुनाया है अधिक से अधिक लाभ लेने की कोशिश की है। इस फंड की सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि इसका डेट एक्सपोजर कैश की तुलना में काफी ठीक रहा है।

यह जून 2008 से सितंबर 2008 के बीच 36 फीसदी रहा है, जबकि इसका इक्विटी एक्सपोजर 86.53 फीसदी से गिरकर 65.28 फीसदी पर आ गया। इस फंड ने अपने थोड़े से समय में ही अपनी काबिलियत साबित की है और इ इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में इसकी अच्छी पकड़ है।

टाटा इन्फ्रास्ट्रक्चर- जोखिम से दूर

डाइवर्स शब्द इस फंड को सही तरीके से परिभाषित करता है। लार्ज कैप के प्रति झुकाव होने के बावजूद इस फंड में शेयरों की संख्या कभी भी 50 से नीचे नहीं रही है। दिसंबर 2008 के इसके पोर्टफोलियो में टॉप तीन शेयरों का आवंटन पांच फीसदी से ज्यादा था।

और मंदी के इस माहौल में फंड प्रबंधक नकदी के भंडार पर  बैठे रहने के खिलाफ भी नहीं लगता क्योंकि मई 2008 में इसका नकद आवंटन बढ़कर 27 फीसदी हो गया था। जून 2008 से इसने डेरिवेटिव में एक्सपोजर लेना शुरू किया।

इसके फंड प्रबंधक का सभी सेक्टरों में एक्सपोजर के मामले में आक्रामक रुख है, समय रहते ही किसी सेक्टर में निवेश करता और निकालता है और तगड़ी बेटिंग करता है।

मई 2006 में बाजार की गिरावट से पहले उसने वित्तीय सेवा क्षेत्र में अपना एक्सपोजर घटा दिया था और यह सेक्टर मंदी में सबसे ज्यादा पिटने वाला रहा है।

फरवरी 2007 तक उसने फिर से इस सेक्टर में निवेश किया और अप्रैल से जून 2007 तक इस सेक्टर ने बेहतरीन काम किया। वर्ष 2008 में इस सेक्टर में इसका एक्सपोजर, जो जनवरी में 12.68 फीसदी था, मई तक घटकर 6.38 फीसदी पर आ गया।

लेकिन सितंबर में यह फिर बढ़कर 13.60 फीसदी पर आ गया। बैंकेक्स ने जुलाई से सितंबर की तिमाही में 10 फीसदी की बढ़त दर्ज की थी। इस फंड ने वर्ष 2006 में अपेक्षा से काफी बेहतर काम किया।

वर्ष 2007 में यह दूसरे डाइवर्सिफाइड फंडों के बीच अपनी जगह तो बनाए रख सका, पर प्रदर्शन इसका औसत ही रहा कुल मिला कर देखा जाए तो यह थीम आधारित फंड अपने कुल प्रदर्शन और कम जोखिम की वजह अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा है।

यूटीआई इन्फ्रा.- साबित किया

इस थीम के अगुआ इस फंड ने 2005 में सटीक शुरुआत की थी जब इसने अपने क्षेत्र के इकलौते प्रतिद्वंदवी डीएसपी ब्लैकरॉक टाइगर को पीछे छोड़ा था।

और 2006 में यह फंड अपनी कैटगरी के दूसरे छह फंडों में सबसे अच्छा रहा और सबसे अच्छा डाइवर्सिफाइड फंड भी  साबित हुआ। 2007 में इसके पोर्टफोलियो में कई बदलाव देखने को मिले।

इसने ज्यादा पारंपरिक तरीका अपनाना शुरू किया और इसके तहत इसने बड़ी कंपनियों के शेयर भी भी बढ़ाए और शेयरों की संख्या भी बढ़ाई।

इस फंड ने अपना आवंटन  दूरसंचार में बढ़ाया लेकिन कंस्ट्रक्शन में अपना एक्सपोजर घटा दिया। जबकि 2006 में कंस्ट्रक् शन ही इसके प्रदर्शन का आधार था। इस बदलाव से 2007 में इसकेप्रदर्शन असर पड़ा।

हालांकि 72 फीसदी का रिटर्न काफी दमदार है लेकिन अपनी कैटेगरी में यह सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में रहा। वर्ष 2008 में जब बाजार अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद गिरने लगा, तब यह फंड से चमक उठा ।

यह कैश पर बैठा, कई बार यह 29 फीसदी तक रहा, साथ ही डेट में इसके एक्पोजर ने इसकी मदद की। दिसंबर 2008 में तो इसकी केवल 62.97 फीसदी राशि ही इक्विटी में लगी थी।

इस फंड का मैनेजर व्यक्तिगत स्टॉक होल्डिंग को लेकर सतर्क रहता है लेकिन जरूरत पड़ने पर वह फैसला लेने में नहीं हिचकता, चाहे वह कैश में रहना हो या फिर सेक्टर आवंटन।

वह अपने शेयरों को पकड़े रहना चाहता है। उसके कुछ प्रिय शेयर हैं रिलायंस, बीएचईएल, भारती, ओएनजीसी, ग्रासिम और श्री सीमेन्ट। पिछले साल झटका लगने के बावजूद यह फंड बेहतर प्रदर्शन कर पाने में सफल रहा है।

First Published - January 18, 2009 | 9:01 PM IST

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