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कुछ कम नहीं दम

Last Updated- December 06, 2022 | 10:44 PM IST

जनवरी और मार्च, 2008 के बीच भारतीय बाजार में तकरीबन 30 फीसदी की गिरावट देखी गई। इस गिरावट का कई शेयरों पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ा है।


आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि बाजार में हालात सुधरने पर भी कई शेयरों को सही दिशा नहीं मिल पाई है। शेयरों की कीमत की पहचान के कई तरीके हैं जिनमें प्राइस टु अर्निंग (पीई) और प्राइस-टु-बुक-वैल्यू (पीबीवी) के साथ-साथ रीप्लेसमेंट कोस्ट और लाभांश जैसे कारकों पर ध्यान दिया जाना शामिल है।


ऐसे शेयरों की पहचान के प्रयास में ‘स्मार्ट इन्वेस्टर’ ने बाजार पूंजीकरण (250 करोड़ रुपये से अधिक), पीई (15 से नीचे) फाइनैंशियल, रिटर्न रेशियो और कैश फ्लो जैसे कारकों पर विचार कर कंपनियों का अवलोकन किया है। वहीं लाभांश ट्रेक रिकॉर्ड के साथ कंपनियां अपने विकास परिदृश्य को अत्यधिक महत्व दे रही हैं।


इनमें से कई कंपनियां उन क्षेत्रों से हैं जिन्होंने विभिन्न कारणों की वजह से अतीत में आशाजनक प्रदर्शन नहीं किया। इन कारणों में स्थूल परिवेश और लागत दबाव आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं, लेकिन इन कारणों का असर स्थायी नहीं है। इनमें से अधिकांश कंपनियों का दीर्घावधि विकास परिदृश्य सकारात्मक दिख रहा है।


इनके शेयरों के लिए अच्छी संभावनाएं हैं। इन कंपनियों के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंक भी अपनी स्थिति मजबूत बनाए हुए हैं। इसके अलावा अरबिंदो फार्मास्युटिकल्स, एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस, वैनबरी ऐंड लोक हाउसिंग जैसी कंपनियों के शेयर भी अच्छा कारोबार कर रहे हैं।


आलोक इंडस्ट्रीज


पिछले चार वर्षों की अवधि में आलोक इंडस्ट्रीज ने टेक्स्टाइल अपग्रेडेशन फंड (टीयूएफ) का लाभ उठाया है। कंपनी धागा से लेकर घरेलू वस्त्र एवं परिधानों के क्षेत्र में अपनी क्षमता में विस्तार कर रही है। विस्तार का अंतिम चरण मार्च, 2009 तक शुरू हो जाएगा और इससे अगले दो वर्षों में कंपनी को लाभ में 20-25 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने में मदद मिलेगी। कंपनी द्वारा मूल्यवर्धित उत्पादों और रिटेलिंग पर जोर दिए जाने से मार्जिन बनाए रखने में मदद मिलेगी।


रिटेल क्षेत्र में कंपनी आलोक होम्स ऐंड अपेरल्स के तहत अपने सभी व्यवसायाें को एकीकृत कर रही है जहां इसने अगले दो वर्षों में 40 स्टोर चलाने का लक्ष्य रखा है। आलोक विकास चालक के रूप में रियल एस्टेट पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके तहत कंपनी ने कुछ परियोजनाओं के लिए समझौता किया है।


इन परियोजनाओं में मुंबई के भांडुप में 10 लाख वर्ग फुट भूखंड पर फैली एक आवासीय टाउनशिप परियोजना और मध्य मुंबई में दो परियोजनाएं शामिल हैं। किसी तरह के जोखिमों से बचने के प्रयास में कंपनी ने संयुक्त उपक्रम का रास्ता अपनाया है और वह कुछ चुनिंदा बड़ी परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है।


अपने विस्तार अभियान पर चलते हुए आलोक द्वारा अगले दो वर्षों के दौरान तेज वृद्धि दर्ज किए जाने की संभावना है जिसमें रियल एस्टेट और रिटेल कारोबार का बड़ा योगदान रहेगा। 68 रुपये के स्तर पर इस शेयर का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 की अनुमानित आमदनी के 6 गुना पर किया जा रहा है।


एमटेक इंडिया


एमटेक इंडिया विभिन्न कंपनियों के लिए ऑटो कलपुर्जों का निर्माण एवं कास्टिंग करती है। अन्य कंपनियों की तरह एमटेक को भी खर्च के बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है। मार्च, 2008 में समाप्त हुई तिमाही के लिए राजस्व वृद्धि की तुलना में इसके परिचालन लाभ में वृद्धि धीमी रही।


पिछले वर्षों के दौरान एमटेक इंडिया ने एक पूर्ण समेकित कास्टिंग कंपनी के रूप में उभरने के लिए एकीकरण के रास्ते पर अमल किया है। कंपनी अपनी फाउंडरी क्षमता में 60 प्रतिशत तक का विस्तार कर रही है जिसे 2008-09 तक पूरा कर लिया जाएगा।


इसके अलावा एमटेक ब्रिटेन में अपनी सहयोगी कंपनी सिगमाकास्ट की क्षमता (45,000 टन) को इस वर्ष भारतीय इकाई में स्थानांतरित कर रही है जिससे परिसंपत्ति का बेहतर तरीके से उपयोग करने में मदद मिलेगी और भारत में सस्ती लागत की वजह से मार्जिन बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी।


कंपनी के इन कदमों से अगले दो वर्षों के लिए कंपनी के आमदनी में 15 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हासिल करने में मदद मिलेगी। इन विस्तार और विकास योजनाओं के लिए कोष उगाही कंपनी के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है।


कंपनी का कैश एवं बैंक बैलेंस 265 करोड़ रुपये है और अप्रेल, 2008 में इसने एक समूह कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेच कर तकरीबन 300 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसके शेयर का कारोबार बुक-वैल्यू के एक गुना और वित्तीय वर्ष 2009 की अनुमानित आमदनी के 8 गुना पर किया जा रहा है।


ग्रासिम


ग्रासिम इंडस्ट्रीज सीमेंट क्षेत्र की प्रमुख कंपनी है। इसकी सहयोगी कंपनी अल्ट्राटेक की विस्कोज स्टेपल फाइबर, लौह अयस्क और टेक्स्टाइल के बाद ग्रासिम इंडस्ट्रीज के समेकित राजस्व में 70 फीसदी की भागीदारी है। वित्तीय वर्ष 2008 की चौथी तिमाही में राजस्व वृद्धि की तुलना में ग्रासिम के परिचालन लाभ में धीमी बढ़ोतरी दर्ज की गई जिसकी प्रमुख वजह उच्च लागत खर्च है। इसके शेयर का कारोबार निराशाजनक रहा है।


वहीं अल्पावधि परिदृश्य भी उत्साहजनक नहीं है। ग्रासिम अपनी विस्तृत सीमेंट क्षमता (66 लाख टन प्रति वर्ष की क्षमता हाल ही में हासिल की है और 27 लाख टन प्रति वर्ष की क्षमता दिसंबर, 2008 तक प्राप्त किए जाने की संभावना है।) के फलस्वरूप अगले 18 महीनों के दौरान उत्पादन में मजबूत वृद्धि हासिल करेगी जिससे इसे लाभ में शानदार बढ़ोतरी हासिल करने में मदद मिलेगी।


कंपनी के अन्य व्यवसायों में भी क्षमता विस्तार किया गया है। ग्रासिम उन कुछ सीमेंट कंपनियों में शामिल है जो क्षमताओं की पूर्व शुरुआत से लाभान्वित होंगी। इस क्षमता विस्तार का लाभ 2009 के मध्य तक दिखेगा जब ये कंपनियां नई क्षमता के साथ आपूर्ति करने की स्थिति में होगी। लेकिन कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कंपनियों द्वारा परियोजना में विलंब से इसके आगे बढ़ाया जा सकता है।


इन सभी संकेतों से स्पष्ट होता है कि ग्रासिम अपने कारोबार को ऊंचाई पर पहुंचाने की ओर अग्रसर है। कंपनी की आमदनी अगले दो वर्षों (अनुमानित ईपीएस 320 रुपये, वित्तीय वर्ष 2009 के लिए 7.5 पीई) के लिए सालाना 12-15 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है।


विश्लेषकों के अनुमानों के मुताबिक इसका शेयर इसके व्यवसायों की कम्बाइंड रीप्लेसमेंट कोस्ट से नीचे कारोबार कर रहा है। इसके विकास परिदृश्य के आधार पर भी कंपनी के शेयर की कीमत 2950-3100 रुपये के बीच है। अल्पावधि में ग्रासिम द्वारा अच्छा रिटर्न दिए जाने की संभावना है।


एचपीसीएल


हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) के शेयर का कारोबार इसके बुक वैल्यू से नीचे है और इसका लाभांश 7.3 प्रतिशत है। इसके कारोबार में जल्द कोई बदलाव आने की संभावना नहीं दिख रही है। इसके शेयर को लेकर लोगों को थोड़ा इंतजार करना चाहिए। वित्तीय वर्ष 2006-07 के आधार पर इस वर्ष इसका लाभांश नहीं बना रह सकता है।


दिसंबर 2007 को समाप्त हुए 9 महीनों की अवधि के लिए एचपीसीएल का शुद्ध मुनाफा में बड़ी गिरावट आई। कंपनी ने इस 9 महीने की अवधि (सालाना ईपीएस 29.5 रुपये) में 26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 750.37 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया। कंपनी ने अन्य कई कंपनियों के साथ कंसोर्टियम में 21 खोज एवं उत्पादन ब्लॉकों में दीर्घावधि निवेश किया है।


कंपनी ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनी ओएनजीसी के साथ भी कुछ ब्लॉकों के लिए निवेश किया है। कंपनी की एमआरपीएल में  2902 करोड़ रुपये या एचपीसीएल के 85 रुपये प्रति शेयर के साथ 16.95 प्रतिशत की हिस्सेदारी (29.72 करोड़ शेयर) है। इसके शेयर का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 की अनुमानित आमदनी के  5.4 गुना पर किया जा रहा है।


रॉयल ऑर्किड होटल्स


अधिकांश होटलों के शेयरों ने पिछले एक वर्ष में बाजार में आशाजनक कारोबार नहीं किया है और रॉयल ऑर्किड होटल्स भी इससे अछूता नहीं है। इसके शेयर का प्रदर्शन खराब रहा है। वैसे इसके लाभ में मामूली गिरावट ही देखी गई।


दिसंबर, 2007 को समाप्त हुए 9 महीनों की अवधि में इसके शुद्ध लाभ में 5 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। इस होटल कंपनी की बेंगलुरु में मजबूत उपस्थिति है जहां से इसके राजस्व का 80 फीसदी राजस्व प्राप्त होता है। इसके 10 होटलों में से 2 होटल इस शहर में हैं जिनमें 200 कमरों वाले 5-स्टार बिजनेस होटल और 200 कमरों वाले 4-स्टार बिजनेस होटल शामिल हैं।


हाल के कुछ समय में बेंगलुरु में होटल कमरों की मांग और किराए में कमी आई है। वैसे, नए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों एवं कार्यक्रमों में वृद्धि आदि से भविष्य में इस मांग में तेजी आ सकती है। कंपनी के कुल 10 होटलों के बेंगलुरु, मैसूर, पुणे और जयपुर में लगभग 830 कमरे हैं। 2009 तक रॉयल ऑर्किड की उपस्थिति हैदराबाद, शिमला, दिल्ली, नोएडा और मुंबई में भी होगी।


कंपनी इन शहरों में कम बजट वाले होटल खोलने की भी योजना बना रही है। कंपनी ने पिछले महीने गोवा में 65 कमरों वाले बीच रिसॉर्ट चलाने वाली कंपनी में 17 करोड़ रुपये में 50 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी है। कंपनी ने अपने होटलों के कायाकल्प पर 10 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है जिसे अक्टूबर 2008 तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है।

First Published - May 11, 2008 | 11:34 PM IST

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