पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में काफी बदलाव देखने में आया है। कहानी यहीं खत्म नहीं होती क्योंकि आगामी कुछ महीनों में इस क्षेत्र में और कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
इन बदलाव में से एक बदलाव यह हो सकता है कि मार्च के अंत तक लोग एक कंपनी को छोड़कर दूसरी कंपनी की ओर रुख कर सकते हैं और पिछली अवधि के दौरान इन्होंने जो भी मुनाफा कमाया है उसे भी अपने साथ आगे रखते हुए नई कंपनियों से पॉलिसियां खरीद सकते हैं।
इस कवायद से प्रतिस्पध्र्दा की बात काफी बढ सकती है और ऐसे पॉलिसीधारक जो अपनी मौजूदा बीमा कंपनी से खुश नहीं हैं उन्हें इससे कुछ फायदा मिल सकता है। पोर्टेबिलिटी के अलावा सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनियां सहित कुछ अन्य बीमा कंपनियां दीर्घ अवधि की पॉलिसियों को भी शुरू करने की योजना बना रही हैं।
मौजूदा समय में जिन लोगों ने अपना स्वास्थ्य बीमा करवाया है उन्हें हर साल इसे खरीदना पड़ता है। अगर आगामी कुछ समय में इस तरह के परिवर्तन होते हैं तो निश्चित तौर पर नई पॉलिसियां खरीदने वालों के लिए खुशी की बात साबित हो सकती है।
हालांकि एक स्वाभाविक सवाल यह पैदा होता है कि दीर्घ अवधि की पॉलिसियों से आखिर क्या फायदा हो सकता है? सामान्य तौर पर स्वास्थ्य पॉलिसियों को केवल एक ही साल के लिए खरीदा और बेचा जा सकता है। मतलब यह कि पॉलिसीधारक को इस बात का खासा ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है कि कहीं बीमा कवर की वैधता समाप्त न हो जाए।
इसमें थोड़ी सी भी देरी का मतलब यह निकलता है कि आपको अपने बीमा कवर से हाथ धोना पड सकता है। इन हालातों में दीर्घ अवधि की स्वास्थ्य बीमा काफी परेशानियों से निजात दिला सकती है। यह पॉलिसियां 3-10 वर्षों तक की अवधि तक की हो सकती है जो हर एक साल पॉलिसी के नवीकरण के झंझटों से निजात दिला सकती है।
बस सिर्फ एक बात का ध्यान रखना जरूरी है और यह कि प्रत्येक साल प्रीमियम का भुगतान सही समय पर किया जाता है। हर साल नवीकरण की समस्या के समाप्त होते ही कागजातों से जुड़े काम का बोझ भी खासा कम हो जाएगा और इसे कुछ सालों में एक ही बार करवाना पड सकता है।
मौजूदा समय में पॉलिसी खरीदने की जांच को सालाना अधार पर करना पड़ता है, खासकर ऐसे लोगों के लिए जो नई कंपनी से पॉलिसियां खरीद रहे हैं उनकेलिए तो यह और भी जरूरी हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि कई लोग इस प्रक्रिया को समय पर पूरा नहीं कर पाते हैं जिससे उनकी पॉलिसी की वैधता समाप्त हो जाती है।
दीर्घ अवधि की पॉलिसी के तहत लाभ लेने के लिए सिर्फ समय पर प्रीमियम का भुगतान करना होता है। एक बार दीर्घ अवधि की स्वास्थ्य बीमा शुरू हो जाने के बाद पॉलिसी की खरीदारी के समय पूरी अवधि के लिए प्रीमियम की बात पैदा हो जाती है और यह समान भुगतान के रूप में विभिन्न अवधियों के लिए होती हैं।
इसे पूरी अवधि के खर्चों को जानना सुनिश्चित हो पाता है। लेकिन इसके विपरीत इस समय पॉलिसी के नवीकरण की बात सामने आती है तो फिर ऐसी स्थिति में पॉलिसीधारक के पास अगले साल भुगतान किए जानेवाले प्रीमियम के बारे में जानने का कोई तरीका नहीं होता है।
कुछ ऐसी भी परिस्थितियां होती हैं जब प्रीमियम में अचानक बढ़ोतरी कर दी जाती है और फिर उसके बाद पॉलिसीधारक के पास पॉलिसी को जारी रखने के लिए ज्यादा प्रीमियम का भुगतान करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है।
दीर्घ अवधि की पॉलिसियों के रास्ते में भी कई कठिनाईयां सामने आ सकती हैं। मिसाल के तौर पर अगर कोई व्यक्ति एक या दो साल के बाद अपने बीमा कवर को बदलते परिदृश्य में बढाना चाहता है तो इसमें कुछ परेशानियां आ सकती हैं।
बीमा कंपनियां जब इस तरह की पॉलिसियों को बाजार में उतार रहीं होंगी तो उन्हें इन बातों का ध्यान रखना पड सकता है। एक विकल्प जो अभी हाल में ही सामने आया है वह है बीमा कवर की सीमा बढाने के लिए टॉप-अप कवर की शुरुआत।
फिलहाल इसे सामान्य बीमा कंपनियों ने शुरू किया है। यह खासकर युवाओं के लिए अधिक फायदेमंद हो सकता है जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना अपेक्षाकृत कम करना पडता है। कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि दीर्घ अवधि की पॉलिसी के साथ परेशानी कम और लाभ ज्यादा है।