भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म फॉर फ्रिक्शनलेस क्रेडिट (PTPFC) तक पहुंच प्रदान कर सकता है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कुछ दिन पहले कहा था कि PTPFC की यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस के रूप में नए सिरे से ब्रांडिंग की जा सकती है।
उन्होंने कहा था कि जिस तरह से एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) से देशभर में भुगतान का तरीका बदल गया है उसी तरह से यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस ऋण देने के तरीके में बदलाव ला सकता है।
केंद्रीय बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाले रिजर्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) ने इस प्लेटफॉर्म को विकसित किया है। इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य ऋणदाताओं की निर्बाध रूप से डिजिटल सूचनाओं तक पहुंच बनाना है। इस एंड टू एंड प्लेटफॉर्म में ओपन आर्किटेक्चर होगा जिससे प्लेटफॉर्म में शामिल होने वाले कंपनियों को पूर्व निर्धारित मानदंडों पर आधारित ‘प्लग-ऐंड-प्ले’ की सुविधा मिलेगी।
औद्योगिक सूत्रों ने संकेत दिया है कि रिजर्व बैंक विरासत वाले और फिनटेक NBFC दोनों में पीटीपीएफसी की भागीदारी की तैयारी कर रहा है। पीटीपीएफसी को विभिन्न स्रोतों से डेटा एकत्र करने के लिए डिजाइन किया गया है ताकि बाधाएं दूर हों और उधारी त्वरित रूप से व समय पर मुहैया कराई जा सके। इन स्रोतों में केंद्रीय और राज्य सरकारें, अकाउंट एग्रीगेटर, बैंक, क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियां और डिजिटल पहचान प्राधिकरण शामिल हैं।
पीटीपीएफसी की शुरुआत 2023 में की गई थी। इसमें प्रायोगिक तौर पर पूरी तरह डिजिटल किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से प्रति व्यक्ति 1.6 लाख रुपये तक के ऋण के भागीदार बैंकों से डेयरी, लघु उद्योगों, वाहन व ट्रैक्टर खरीदने, गोल्ड लोन और घर खरीदारी के लिए ऋण पर ध्यान केंद्रित किया गया था। यह प्लेटफॉर्म आधार ई केवाईसी, भागीदार राज्य सरकारों (मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र) के भूमि रिकार्ड, सैटलाइट डेटा, स्थायी खाता संख्या (पैन) का प्रमाणन, ट्रांसलिटरेशन, आधार ई साइनिंग, एकाउंट एग्रीगेटर, डेयरी कोऑरेटिव के आंकड़े और संपत्ति खोज के आंकड़ों को एकसाथ लेकर आया था।
इनसे मिले अनुभवों के आधार पर इस प्लेटफॉर्म का दायरा और पहुंच बढ़ने की उम्मीद है, जैसे इससे प्लेटफॉर्म में अन्य उत्पाद, सूचना प्रदाता और ऋणदाताओं को शामिल किया जा सकता है। मुद्रा और वित्त पर 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार पीटीपीएफसी ने कई हफ्तों में दिए जाने वाले केसीसी ऋण की अवधि को घटाकर एक घंटे से कम भी कर दिया है।
सरकार ने फरवरी में वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क को (कंपनियों की सहमति से) इस प्लेटफॉर्म पर आंकड़े साझा करने की अनुमति दी थी ताकि ऋण देने की प्रकिया को तेज किया जा सके। इसके बाद अप्रैल में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने एक ऋण-उत्पत्ति प्रणाली पोर्टल शुरू किया था ताकि सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को डिजिटल केसीसी प्रोसेसिंग की सुविधा दी जा सके।