वित्तीय सेवा विभाग ने बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स (बीसी) की कार्यप्रणाली की निगरानी समिति की बैठक 21 जनवरी को बुलाई है। सूत्रों के मुताबिक इसमें मुख्य तौर पर बैंकों के ग्रामीण केंद्रों में बीसी को निश्चित कमीशन का भुगतान देने और जुर्माने को समाप्त करने जैसे प्रमुख मसलों पर चर्चा होनी है। कॉरपोरेट बीसी के लिए एक इन्फ्रास्ट्रक्चर और इक्विटी फंड की स्थापना पर भी चर्चा होगी।
इसके लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के फाइनैंशियल इनक्लूजन फंड और भारतीय रिजर्व बैंक के पेमेंट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के इस्तेमाल पर भी विचार किया जाएगा। इस बैठक में बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स रिसोर्स काउंसिल, बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के अलावा सरकारी और निजी बैंकों के अधिकारी उपस्थित होंगे।
इस बैठक में सीएस शेट्टी की अध्यक्षता में कार्यसमूह की दिसंबर, 2022 में पेश की गई रिपोर्ट के मुद्दों पर भी नए सिरे से विचार किया जाएगा। शेट्टी (एसबीआई के वर्तमान चेयरमैन और उस समय बैंक के प्रबंध निदेशक) और उनकी समिति ने यह सिफारिशें की थीं : बीसी की आय में इजाफे के लिए उन्हें कई तरह की सेवाएं उपलब्ध करने का मौका देना; कॉरपोरेट बीसी व उनके एजेंटों के बीच कमीशन साझा करने का समझौता; ग्रामीण, कस्बाई, शहरी व मेट्रो इलाकों में ग्रेड आधारित कमीशन सेवाएं; बीसी की विशेषज्ञता व शिक्षा के आधार पर उन्हें श्रेणी व ग्रेड में बांटना और उनके नकदी संकट पर विचार।
इसके बाद बीसी ने हाल में वित्त मंत्रालय के समक्ष व्यवहार्यता का मुद्दा उठाया था। बीसी ने चेतावनी दी है कि उनका काम आर्थिक रूप से अव्यावहारिक होता जा रहा है। बीसीआरसी ने बीते वर्ष नवंबर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के समक्ष इन मुद्दों को उठाया था।
कमीशन की दरें एक दशक पहले तय की गई थीं और इसे महंगाई या बढ़ती लागत के साथ समायोजित नहीं किया गया है। इसकी वजह से इस माध्यम की लाभप्रदता पर घटी है। इस ठहराव के कारण खासकर ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में बैंक मित्र तेजी से काम छोड़ रहे और इससे उनकी आजीविका का नुकसान भी हुआ।
वित्तीय समावेशन की बढ़ती जरूरत के कारण बीसी और व्यापक वित्तीय प्रणाली में परस्पर तालमेल बढ़ गया है और यह शासन के बेहतर मानकों, उच्च निवेश और टिकाऊ बिजनेस मॉ़डल की जरूरत पर जोर देता है। जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कई एजेंट एमेजॉन, फ्लिपकार्ट और ब्लिंकइट जैसी कॉमर्स कंपनियों में बेहतर अवसरों के कारण आकर्षित हुए हैं और बीसी चैनल छोड़ रहे हैं।
बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स धन जमा कराने व निकासी पर ही बहुत ज्यादा आश्रित रहते हैं और मूल्य वर्धित सेवाओं के लिए इनको प्रशिक्षण भी बहुत कम है। इससे उनकी अन्य वित्तीय उत्पादों जैसे बीमा या म्युचुअल फंड उत्पाद बेचने की क्षमता प्रभावित होती है। साझेदार इन मुद्दों से निपटने के लिए सघन क्षमता निर्माण प्रयास, जमीनी स्तर पर काम करने वाले स्टॉफ के लिए बेहतर प्रशिक्षण और कुशल प्रशिक्षकों का बड़ा पूल विकसित करने की मांग कर रहे हैं।