वित्त-बीमा

अधिग्रहण के लिए रकम देने से बढ़ेगी ऋण की मांग, भारतीय बैंकों के लिए नई संभावनाएं

हाल में ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देसी बैंकों को अधिग्रहण के लिए कंपनियों को ऋण देने की इजाजत दे दी है

Published by
सुब्रत पांडा   
मनोजित साहा   
Last Updated- October 05, 2025 | 10:06 PM IST

भारतीय बैंकों को उम्मीद है कि कंपनियों को अधिग्रहण के लिए जरूरी रकम देने की इजाजत मिलने से ऋण की मांग बढ़ेगी। बैंकों को यह लगता है कि वे कंपनियों से ऋण की घटती मांग के बीच अधिग्रहण के लिए रकम मुहैया कराने वाले कारोबार में एक बड़ी हिस्सेदारी झटक लेंगे। इस बाजार में अब तक गैर-बैंकों, निजी क्रेडिट फंडों और विदेशी बैंकों का दबदबा रहा है।

हाल में ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देसी बैंकों को अधिग्रहण के लिए कंपनियों को ऋण देने की इजाजत दे दी है। भारतीय बैंकों को पहले विलय एवं अधिग्रहण के लिए ऋण देने की इजाजत नहीं थी। बैंकों को लगता है कि अधिग्रहण के लिए ऋण सुविधा बुनियादी ढांचे के लिए रकम मुहैया करने की तर्ज पर ही आगे बढ़ सकती है।

एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि हम फिलहाल उन्हीं कंपनियों को ऋण दे रहे हैं जिन्हें हम अच्छी तरह परख चुके हैं। उनके साथ जुड़े जोखिमों का आकलन हम पहले ही कर चुके हैं। इसे देखते हुए हमें उस कारोबार का हिस्स बनने की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए जिसमें विदेशी बैंक और एनबीएफसी शामिल हैं? ये इकाइयां कंपनियों को अधिग्रहण के लिए दी जाने वाली रकम पर भारी ब्याज एवं शुल्क वसूलती हैं। भले ही इसमें कारोबार 60,000-80,000 करोड़ रुपये कारोबार करने की गुंजाइश ही क्यों नहीं हो लेकिन यह बैंकों के लिए एक बड़ा अवसर है।’

उन्होंने कहा कि बैंक विदेशी बैंकों और एनबीएफसी की तुलना में कम ब्याज पर कंपनियों को अधिग्रहण के लिए ऋण मुहैया करा सकते हैं, इसलिए इस बाजार में काफी गुंजाइश (बैंकों के लिए) है।

उन्होंने कहा, ‘विलय एवं अधिग्रहण के लिए रकम आवंटन की अनुमति मिलने से ऋण की मांग बढ़ेगी। फिलहाल यह नहीं बताया जा सकता कि यह किस स्तर तक पहुंचेगी।‘ विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकिंग नियामक विलय एवं अधिग्रहण के लिए ऋण आवंटन पर कुछ शर्तें जरूर लगा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार नियामक ऐसी गतिविधियों को केवल सूचीबद्ध संस्थाओं तक सीमित रखने और अधिग्रहण के लिए बैंक ऋण का लाभ उठाने से वित्तीय क्षेत्र को बाहर रखने जैसी शर्तें लगा सकता है।

सिंगापुर स्थित निजी ऋण क्षेत्र की कंपनी एसर्टिस क्रेडिट की प्रमुख कंचन जैन ने कहा,’दरअसल आरबीआई इस मामले में बैंकों को बेलगाम भी नहीं छोड़ना चाहता। कुछ शर्तें लादने से बैंक कयास से जुड़ी गतिविधियों के लिए ऋण नहीं दे पाएंगे। आरबीआई कंपनियों को बैंक से रकम लेकर पूंजी बाजार और शेयर बाजार में बेतहाशा तेजी की सूरत पैदा करने की इजाजत नहीं दे सकता।‘

First Published : October 5, 2025 | 10:06 PM IST