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चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में स्मॉल फाइनैंस बैंकों (एसएफबी) के शुद्ध ब्याज आय में गिरावट और तनाव वाली परिसंपत्तियों के लिए बढ़ती ऋण लागत से मुनाफे पर असर पड़ा है। नतीजतन, वित्त वर्ष 2026 की जुलाई-सितंबर तिमाही में एसएफबी का शुद्ध लाभ एक साल पहले के मुकाबले 55.2 फीसदी घटकर 383 करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले की समान अवधि में यह 854 करोड़ रुपये था। मगर एक तिमाही पहले के लिहाज से देखें तो मुनाफे की तस्वीर अलग थी।
बीएस रिसर्च ब्यूरो द्वारा संकलित किए गए आठ सूचीबद्ध स्मॉल फाइनैंस बैंकों के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंकों का मुनाफा 23.9 फीसदी बढ़कर 309 करोड़ रुपये था। समीक्षाधीन अवधि में बैंकों का परिचालन से मुनाफा भी एक साल पहले के मुकाबले 15.6 फीसदी घटकर 2,344 करोड़ रुपये रहा और एक तिमाही पहले के 2,662 करोड़ रुपये के मुकाबले इसमें 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
मुख्य तौर पर ऋण लागत माने जाने वाली प्रावधान और आकस्मिकताएं भी एक साल पहले के मुकाबले 11.8 फीसदी बढ़कर 1,881 करोड़ रुपये हो गईं और एक तिमाही यानी जून 2025 को समाप्त तिमाही के 2,282 करोड़ रुपये से 17.6 फीसदी कम रहीं। इन ऋणदाताओं की आय का प्रमुख स्रोत, शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4.6 फीसदी घटकर वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में 5,543 करोड़ रुपये रह गई। मगर विश्लेषण से पता चला है कि एक तिमाही पहले पहली तिमाही के 5,420 करोड़ रुपये की तुलना में 2.3 फीसदी अधिक रही।
बैंकरों ने कहा कि शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) पर दबाव पड़ा क्योंकि बैंकों ने नीतिगत दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को दिया, खासकर खुदरा क्षेत्र में बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋणों के लिए, जबकि जमाओं का पुनर्मूल्यन अब भी जारी था। भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी और जून, 2025 के बीच नीतिगत रेपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती की है।