जीवन बीमा निगम (एलआईसी) चालू वित्त वर्ष भारतीय के अंत तक बॉन्ड फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट (एफआरए) बाजार में कदम रख सकती है। इस मामले से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि एलआईसी अपने नॉन-पार्टिसिपेटरी बीमा पॉलिसी कारोबार खंड में जोखिम कम करने के लिए एफआरए बाजार में उतरेगी।
एक सूत्र ने कहा, ‘हमने एफआरए में अब तक कारोबार नहीं किया है। हम फिलहाल इसकी तैयारी में लगे हैं। उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक हम इस खंड में कारोबार करना शुरू कर देंगे।’एलआईसी ने यह तैयारी तब शुरू की है जब ब्याज दरों में कमी की गुंजाइश काफी बढ़ गई है और बीमा कंपनियां तयशुदा रिटर्न वाली पॉलिसियां अधिक बेच रही हैं।
एलआईसी के एमडी एवं सीईओ सिद्धार्थ मोहंती ने एक बार कहा था कि देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी को डेरिवेटिव में उतरने के लिए नीतिगत मंजूरी मिल गई है। एफआरए बैंक और बीमा कंपनियों के बीच एक अनुबंध होता है जिसके तहत बीमा कंपनियां भविष्य के लिए एक निश्चित ब्याज दर पर सौदा कर लेती हैं। इससे वे बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रहती हैं। ऐसे समझौते कर बीमा कंपनियां पॉलिसीधारकों को तयशुदा लाभ देने वाली पॉलिसियां बेच सकती हैं।
बॉन्ड बाजार के कारोबारियों ने कहा कि एलआईसी के आगाज के बाद दीर्घ अवधि के बॉन्ड की मांग में काफी इजाफा हो सकता है। पीएनबी गिल्ट्स में वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष विजय शर्मा कहते हैं, ‘एलआईसी अगर एफआरए बाजार में उतरती है तो दीर्घ अवधि के बॉन्ड की मांग शर्तिया बढ़ेगी। पहले एलआईसी दीर्घ अवधि के बॉन्ड खरीदेगी और फिर उन्हें एफआरए में तब्दील करेगी। तो कोई एलआईसी की तरफ से बॉन्ड खरीदेगा और फिर उन्हें ऐसा उत्पाद देगा जो एफआरए होगा।’