बीमा

वृद्धि व आकर्षक मूल्यांकन से एलआईसी बनेगी दमदार

एलआईसी का एपीई मार्जिन वित्त वर्ष 2025 के अंत में 56,800 करोड़ रुपये के साथ सपाट बना रहा।

Published by
देवांशु दत्ता   
Last Updated- June 08, 2025 | 10:39 PM IST

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की एनुअलाइज्ड प्रीमियम इक्विलेंट (एपीई) वृद्धि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कमजोर और पूरे वित्त वर्ष 2025 में सपाट रही। लेकिन प्रबंधन को वित्त वर्ष 2026 में वृद्धि के फिर से पटरी पर लौटने की उम्मीद है। कंपनी का मुख्य ध्यान व्यक्तिगत एपीई में नॉन-पार्टिसिपेटिंग या नॉन-पार प्रोडक्ट्स की बिक्री बढ़ाकर योजना मिश्रण में सुधार करना है। नए व्यवसाय की वैल्यू (वीएनबी) वित्त वर्ष 2025-27 के दौरान दो अंक में बढ़ सकती है। कंपनी  एजेंसी चैनल के माध्यम से बढ़त पर जोर दे रही है, हालांकि बैंकएश्योरेंस और वैकल्पिक चैनलों ने भी अच्छी वृद्धि दर्ज की है।

वित्त वर्ष 25 के अंत में वीएनबी मार्जिन सालाना आधार पर 80 आधार अंक बढ़कर 17.6 प्रतिशत पर पहुंच गया। वीएनबी मार्जिन में वृद्धि मुख्य रूप से लाभदायक नॉन-पार योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने से हुई है। वित्त वर्ष 2025 में वीएनबी में सालाना आधार पर 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह लगभग 10,000 करोड़ रुपये रही। वीएनबी में वित्त वर्ष 2025-27 में 11 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हो सकती है और यह वैल्यू लगभग 12,300 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।

एलआईसी का एपीई मार्जिन वित्त वर्ष 2025 के अंत में 56,800 करोड़ रुपये के साथ सपाट बना रहा। लेकिन वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में इसमें सालाना आधार पर 11 फीसदी की गिरावट आई। एपीई वित्त वर्ष 2025-27 के दौरान सालाना 7 प्रतिशत बढ़कर 65,300 करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है। कंपनी प्रबंधन ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2026 मजबूत वर्ष होगा क्योंकि नियमों ने वित्त वर्ष 2025 में पार योजनाओं की वृद्धि को धीमा कर दिया था। लेकिन इनमें अब फिर तेजी की उम्मीद है। एलआईसी की इंडिवजुअल एपीई बाजार भागीदारी वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के आखिर में सालाना आधार पर 287 आधार अंक घटकर 28.7 फीसदी रह गई थी। तिमाही आधार पर इसमें 389 आधार अंक की कमजोरी आई।

लाभकारी योजनाओं पर एलआईसी के लगातार जोर देने का असर नॉन-पार योजनाओं की भागीदारी पर देखा जा सकता है। इन उत्पादों का वित्त वर्ष 2025 के आखिर में इंडिवजुअल एपीई में 27.7 प्रतिशत योगदान था जो वित्त वर्ष 2024 के आखिर में 18.3 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2025 के आखिर में संपूर्ण एपीई में पार योजनाओं की भागीदारी घटकर 49 प्रतिशत रह गई, जो वित्त वर्ष 2024 में 55 फीसदी थी। यह सालाना आधार पर 12 प्रतिशत की गिरावट है।

एपीई में सेविंग्स का योगदान वित्त वर्ष 2024 के अंत के 7 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 8 प्रतिशत हो गया। यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स (यूलिप) में मजबूत वृद्धि जारी रही, जिसमें सालाना 166 प्रतिशत की वृद्धि हुई और वित्त वर्ष 2025 के अंत में यह एपीई का 7 प्रतिशत हो गई, जबकि वित्त वर्ष 2024 के अंत में यह 3 प्रतिशत थी।

यदि वृद्धि दर में सुधार होता है और वीएनबी मार्जिन में तेजी बनी रहती है तो रेटिंग में सुधार संभव है, इसलिए बदलावों पर नजर रखे जाने की जरूरत है। यहां तक कि अगर एलआईसी का भाव अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में नीचे रहता है तो तेजी से बढ़ोतरी के फलस्वरूप ऊंचा कीमत लक्ष्य हासिल हो सकता है। विश्लेषक इसे अच्छे रिस्क-रिवार्ड के साथ मूल्यांकन बदलाव के रूप में देख रहे हैं क्योंकि रेटिंग में बदलाव या बेहतर वृद्धि से कीमत को बढ़ावा मिल सकता है।

एलआईसी का शेयर शुक्रवार को बीएसई पर पिछले बंद भावके मुकाबले करीब 0.20 फीसदी की बढ़त के साथ 958.35 पर बंद हुआ।

First Published : June 8, 2025 | 10:39 PM IST