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भारत में और बीमा कंपनियों की जरूरत: बजाज आलियांज के CEO तपन सिंघल का बड़ा बयान

बजाज आलियांज के CEO तपन सिंघल ने बीमा उद्योग की चुनौतियों, थर्ड पार्टी दरों, स्वास्थ्य बीमा पर GST और भारत में अधिक बीमा कंपनियों की जरूरत पर विस्तार से बात की।

Published by
आतिरा वारियर   
सुब्रत पांडा   
Last Updated- June 08, 2025 | 10:02 PM IST

बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी तपन सिंघल ने आतिरा वारियर और सुब्रत पांडा के साथ बातचीत में गैर जीवन बीमा उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों का जिक्र किया। इसके अलावा उन्होंने इसके भविष्य की दिशा पर भी नजरिया बताया। मुख्य अंशः

आलियांज के करार खत्म करने के फैसले के बाद कंपनी के लिए चीजें कैसे बदलीं?

हमने पहले भी उद्योग में ऐसे कई बदलाव देखे हैं और उनका कोई असर नहीं हुआ है। हम भारत की बड़ी बीमा कंपनियों में से एक हैं और ऐसे बदलावों से हमारे परिचालन पर कोई असर नहीं होता है। हमारे पास 15 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं और एक विशाल डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क भी है। हमारी टीम से इसे खुद से बनाया है। बीमा दावा का भी हमारा अनुपात अन्य बीमा कंपनियों के मुकाबले अधिक है। 

गैर जीवन बीमा उद्योग की वृद्धि में नरमी का क्या कारण है?

फिलहाल, हम प्रीमियम में जिस एक अंक वृद्धि को देख रहे हैं वह 1/एन लेखांकन पहलू का असर है। अगर आप लेखांकन के हिस्से को छोड़ दें तो मुझे लगता है कि वृद्धि अभी भी दो अंकों में है। लेकिन, थोड़ी देरी के साथ सामान्य बीमा सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था से जुड़ा है। मगर जब आप मंदी देखते हैं तो हम कवर किए गए जीवन बीमा की संख्या नहीं देखते हैं। जीवन बीमा की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। साल 2001 में भारत में सामान्य बीमा प्रीमियम सिर्फ 10 हजार करोड़ रुपये था मगर आज यह आंकड़ा करीब तीन लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह पहले ही रियायती कीमतों के साथ काफी ज्यादा बढ़ चुका है। 

वाहन थर्ड पार्टी (टीपी) दरें नहीं बढ़ रही हैं? उद्योग कह रहा है अब यह टिकाऊ नहीं रह गया है।

हर चीज के लिए मूल्य निर्धारण की आजादी है, तो फिर वाहन टीपी के लिए क्यों नहीं। अगर आप हानि अनुपात के आधार पर कीमत बढ़ाना चाहते हैं तो उद्योग हर साल प्रतिनिधित्व करता रहेगा। इसलिए, यह सिर्फ कीमत बढ़ाने की बात नहीं है। यह उन श्रेणियों के लिए है, जहां कीमत बढ़नी चाहिए और उन श्रेणियों के लिए है जहां हानि अनुपात के आधार पर कीमतों में कमी आनी चाहिए। जब आपके पास मूल्य निर्धारण की आजादी नहीं होती है तो आपके पास अक्षम प्रणाली होती है। 

कोविड के वर्षों के बाद स्वास्थ्य बीमा में सामान्य वृद्धि हो गई है?

इंसानों की स्मृति बहुत छोटी है। स्वास्थ्य बीमा की मांग अभी भी ठीक-ठाक है। हमारे पास अभी भी दो अंकों में वृद्धि है। खुदरा उद्योग अभी भी दो अंकों में बढ़ रहा है। इसलिए, मैं कहता हूं कि भारत में अधिक बीमा कंपनियां होनी चाहिए।

स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी पर आप क्या कहेंगे?

वरिष्ठ नागरिकों के लिए जीएसटी शून्य होना चाहिए, क्योंकि यहीं पर प्रीमियम सबसे अधिक है और वे इसे वहन नहीं कर सकते। बाकी लोगों के लिए इसे 12 फीसदी पर लाया जाना चाहिए, क्योंकि वे इसे वहन कर सकते हैं और सरकार को राजस्व भी नहीं खोना चाहिए। इसे देखने का यह अभी भी एक उचित तरीका है।

First Published : June 8, 2025 | 10:02 PM IST