बीमा नियामक द्वारा बीमा कंपनियों को 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों सहित सभी आयु वर्ग को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां बेचने को प्रोत्साहित करने का मकसद बीमा की पैठ बढ़ाना है। लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च जोखिम के कारण इसमें मूल्य निर्धारण चुनौती भरा होगा।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में उम्र को लेकर नियामक की ओर से कोई सीमा तय नहीं की गई है। लेकिन ज्यादातर कंपनियों की आंतरिक नीति है कि वे 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को पॉलिसी बेचने की अनुमति नहीं देती थीं।
बीमा उद्योग के एक अधिकारी ने नाम सार्वजनिक न करने की इच्छा जताते हुए कहा, ‘ज्यादा उम्र के लोगों के बीमा में चिंता का मुख्य मसला सामर्थ्य को लेकर है। इस तरह की पॉलिसी की कीमत हमेशा अधिक होगी क्योंकि इसमें जोखिम अधिक होगा। ऐसे में हमेशा ही आयु वर्ग एक मसला रहा है। इसी के साथ बीमा कवर की राशि को लेकर भी चिंता है। साथ ही मौजूदा बीमारियों का भी मसला है।’
पिछले सप्ताह भारतीय जीवन बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने कहा था कि बीमा कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सभी आयु वर्ग के लोगों को बीमा पॉलिसियां मुहैया कराएं, जो 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी होगा।
बीमा नियामक के इस कदम से इन ग्राहकों को बीमा पॉलिसियों की बिक्री में तेजी आने की संभावना है और इससे बीमा की पहुंच बढ़ेगी।
एसीकेओ जनरल इंश्योरेंस में रिटेल हेल्थ के वाइस प्रेसीडेंट रुपिंदरजीत सिंह ने कहा, ‘आईआरडीएआई का नया आदेश बीमाकर्ताओं के लिए सहयोगी कदम है, क्योंकि इससे ग्राहकों की पात्रता का आधार बढ़ेगा, जो स्वास्थ्य बीमा खरीद सकेंगे।’
सिंह ने कहा, ‘कुछ बीमाकर्ता पहले स्वास्थ्य बीमा खरीदने के मामले में ग्राहकों की आयु सीमा रखते थे। इस कदम से 65 साल से ज्यादा उम्र की श्रेणी में ज्यादा प्रतिस्पर्धा आएगी और पारदर्शिता बढ़ेगी। कंपनियां नई पॉलिसियां ला सकती हैं या पूरे परिवार के समग्र कवरेज को ध्यान में रखते हुए मौजूदा पॉलिसियों का दायरा बढ़ा सकती हैं। इस समय रुख यह होता है कि वरिष्ठ नागरिकों को इससे बाहर रखा जाए।’
आईआरडीएआई की हाल की अधिसूचना में बीमा कंपनियों को कैंसर, हृदय या किडनी की समस्या और एड्स जैसी गंभीर चिकित्सा की स्थिति वाले व्यक्तियों को पॉलिसी देने से मना करने पर भी रोक लगा दी गई है।
आईआरडीएआई ने पहले से मौजूद स्थितियों के कवरेज के मामले में प्रतीक्षा की अवधि भी 48 महीने से घटाकर 36 महीने कर दी है। इस अवधि के बाद, शुरुआत में बीमारी की जानकारी देने की परवाह किए बगैर पहले से मौजूद सभी स्थितियों को कवर करना होगा। हालांकि पहले से मौजूद बीमारी के मामसे में प्रतीक्षा की अवधि का मानक विदेश यात्रा पॉलिसियों पर लागू नहीं होगा। इसमें कहा गया है कि ट्रैवल पॉलिसियां केवल स्वास्थ्य और जनरल इंश्योरेंस करने वाली कंपनियां ही दे सकेंगी।
उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि पहले के सीमिति अनुभवों के मुताबिक वरिष्ठ नागरिकों के लिए बीमा पॉलिसियां लाने में कंपनियों के सामने पॉलिसियों की ज्यादा कीमत का मामला सामने आएगा। साथ ही ऐसे पॉलिसीधारकों के लिए पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करना भी कठिन होगा।
कंपनियों को मेडिकल अंडरराइटिंग प्रॉसेस को अपडेट करने में भी कठिनाई आ सकती है। आईआरडीएआई ने स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराने वाली कंपनियों को खास जरूरतों जैसे वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों के मुताबिक पॉलिसी तैयार करने को भी कहा है। साथ ही उनके दावे व शिकायतों के निपटान के लिए समर्पित व्यवस्था बनाने को कहा है।
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के हेड-कंप्लायंस कृष्णन गोपालकृष्णन ने कहा, ‘इस पूरे बदलाव का एक प्रमुख मकसद 2047 तक सभी के लिए बीमा के आईआरडीएआई के व्यापक दृष्टिकोण को हासिल करना भी है। आईआरडीएआई की हर पहल, खासकर नियामक सुधारों में यह प्रमुखता से शामिल है, जो पिछले 2 साल में सामने आई हैं।’