भारतीय बॉन्डों को जेपी मॉर्गन के ‘गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स’ में शामिल किए जाने के बाद सरकारी बॉन्ड बाजार में विदेशी आवक उम्मीद से कम बनी हुई है। डीलरों का कहना है कि इसके कारण यील्ड स्थिर रही है। उन्होंने कहा कि खास घरेलू संकेतों की कमी तथा सप्ताह के दौरान जारी होने वाले आंकड़ों की कमी के कारण भी यील्ड पर नियंत्रण रहा।
शुक्रवार को आधिकारिक रूप से शामिल किए जाने के बाद के दो ट्रेडिंग सेशन में घरेलू डेट मार्केट में 3,370 करोड़ रुपये आए हैं। एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘कुछ ऐसे आंकड़े हैं, जो इस सप्ताह जारी होंगे, लेकिन खराब स्थिति में भी यील्ड 7.03 से 7.04 प्रतिशत तक जा सकता है, क्योंकि यह खरीद के लिए अच्छा स्तर है।’ उन्होंने कहा, ‘म्युचुअल फंड को छोड़कर हर कोई खरीदारी के पक्ष में है और घरेलू स्थिति मजबूत है।’
बेंचमार्क बॉन्ड पर यील्ड मंगलवार को 7.01 प्रतिशत पर स्थिर बनी रही, जो शुक्रवार को 7 प्रतिशत था। रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘शुरुआत में मुनाफावसूली हुई है। साथ ही सरकार की प्रतिभूतियों की निरंतर आपूर्ति हुई, यह भी समाहित हो गई। यही वजह है कि हम यील्ड में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।’
पिछले साल सितंबर में जेपी मॉर्गन ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी गवर्नमेंट पेपर्स को जीबीआई-ईएम में शामिल किए जाने की घोषणा की थी। बॉन्डों को शामिल करने के लिए 10 महीने तक चलने वाली चरणबद्ध प्रक्रिया 31 मार्च 2025 तक पूरी होगी और इसके तहत भारतीय बॉन्डों का भार हर महीने 1 प्रतिशत बढ़कर चीन के बराबर, 10 प्रतिशत हो जाएगा।
पिछले साल सितंबर में जेपी मॉर्गन की घोषणा के बाद से भारत की सरकारी प्रतिभूतियों में 10.4 अरब डॉलर (करीब 86,000 करोड़ रुपये) विदेशी धन आया है।