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समूह स्वास्थ्य बीमा होगा आसान अगर सब करें योगदान

Last Updated- December 12, 2022 | 4:51 AM IST

दुनिया भर में फैली कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य बीमा की मांग बढ़ती जा रही है। मगर बहुत से लोगों खासकर बुजुर्गों को व्यक्तिगत बीमा कवर नहीं मिल पा रहा है क्योंकि उन्हें पहले से ही कुछ बीमारियां होती हैं।
जिन बुजुर्गों के पास पहले से स्वास्थ्य बीमा नहीं है, उनमें से कई ने इसका रास्ता निकाल रखा है। वे अपने बच्चों के नियोक्ता यानी कंपनी द्वारा दी जा रही समूह चिकित्सा बीमा योजना में शामिल हो रहे हैं। इसी तरह कुछ लोग अपनी हाउसिंग सोसाइटी की रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्लयूए) के जरिये समूह स्वास्थ्य बीमा खरीदने की संभावना भी खंगाल रहे हैं।
बीमा खरीद सकती है?

आरडब्ल्यूए भी अपनी हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले लोगों के लिए समूह बीमा खरीद सकती है। लेकिन शर्त यह है कि कम से कम 100 परिवार उसके लिए तैयार हों। अगर इतने परिवार जुट जाते हैं तो बीमा कंपनी प्रीमियम वगैरह की बात कर सकती है।
मगर यहां भी कुछ दिक्कतें होती हैं। जब कोई बीमा कंपनी किसी नियोक्ता को समूह स्वास्थ्य बीमा देती है तो उसे विभिन्न आयु वर्ग के ग्राहक मिल जाते हैं क्योंकि वहां 20 साल के युवाओं से लेकर 58-60 साल के बुजुर्ग तक काम कर रहे होते हैं। हाउसिंग सोसाइटी में ऐसा नहीं होता है। वहां सेवानिवृत्त हो चुके लोगों को भी स्वास्थ्य बीमा में शामिल करना पड़ता है। इसीलिए यदि वहां रहने वाले सभी परिवार समूह बीमा में शामिल हों तो कंपनी को कोई हिचक नहीं होती।
सिक्योर नाउ इंश्योरेंस ब्रोकर के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक कपिल मेहता कहते हैं, ‘मान लीजिए 500 में से केवल 150 परिवार ही समूह बीमा में हिस्सेदारी कर रहे हों तो बीमा कंपनी बीमा सुरक्षा देने में आनाकानी कर सकती है। उसे मालूम होगा कि समूह स्वास्थ्य बीमा में वे ही आ रहे हैं, जिन्हें व्यक्तिगत बीमा नहीं मिल सकता।’ ऐसे में बीमाकर्ता इनकार कर सकता है या अधिक प्रीमियम मांग सकता है।
कैसे तय होगा प्रीमियम?

बीमाकर्ता प्रीमियम तय करते समय समूह के सदस्यों की उम्र को ध्यान में रखते हैं। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के मु य तकनीकी अधिकारी टीए रामलिंगम कहते हैं, ‘यदि समूह कंपनी-कर्मचारी का नहीं है तो बीमा के लिए प्रीमियम तय करते समय कंपनी देखती है कि समूह में मौजूद लोगों की उम्र कितनी है और उसमें कितने महिला, पुरुष, बच्चे हैं।’
कम उम्र वाले व्यक्तियों के लिए प्रति लाख रुपये बीमा राशि पर 1,000 से 1,500 रुपये और बुजुर्गों के लिए प्रति लाख रुपये पर 8,000 रुपये से 10,000 रुपये तक प्रीमियम वसूला जा सकता है। प्रतिभागियों की जन्म की तारीख ली जाती है और उसका इस्तेमाल कर मिश्रित प्रीमियम तय किया जाता है।
स्वास्थ्य जांच नहीं

समूह स्वास्थ्य बीमा की अच्छह्वी बात यह होती है कि बुजुर्गों समेत हरेक व्यक्ति को स्वास्थ्य जांच के बगैर ही बीमा कवर दे दिया जाता है। रीन्यूबाई डॉट कॉम के सह-संस्थापक और प्रमुख अधिकारी इंद्रनील चटर्जी बताते हैं कि ये पॉलिसी बीमा लेने वालों की जरूरतों के हिसाब से तैयार की जा सकती हैं। प्रीमियम के हिसाब से सुविधाएं जोड़ी जा सकती हैं और हटाई भी जा सकती हैं।
कुछ बातों को पॉलिसी के दायरे से बाहर भी रखा जा सकता है। मातृत्व बीमा सुरक्षा में प्रतीक्षा अवधि की शर्त हटाई जा सकती है। इसी तरह पहले से मौजूद बीमारी को बीमा में शामिल करने के लिए अमूमन 2-4 साल का इंतजार कराया जाता है। मगर प्रीमियम बढ़ा दिया जाए तो समूह स्वास्थ्य बीमा में यह अवधि कम की जा सकती है या खत्म भी की जा सकती है।
नवीकरण से इनकार का खटका

समूह बीमा एक साल के लिए होता है। पॉलिसीएक्स डॉट कॉम के मुख्य कार्य अधिकारी और संस्थापक नवल गोयल कहते हैं, ‘अगर बीमा कंपनी के पास जरूरत से ज्यादा दावे पहुंच जाते हैं तो अगले साल यानी नवीकरण के वक्त वह दोबारा बीमा देने से इनकार कर सकती है या उसमें से कुछ सुविधाएं हटा भी सकती है।’ 
अगर व्यक्तिग स्वास्थ्य बीमा लिया है तो कानून के मुताबिक बीमा कंपनी को बीमाकर्ता की पूरी जिंदगी उसकी पॉलिसी का नवीकरण करना ही पड़ेगा। अगर पहले साल दावों के सिलसिले में बीमाकर्ता का अनुभव अच्छा नहीं रहता है तो नवीकरण के वक्त वह प्रीमियम में खासी बढ़ोतरी कर सकता है। व्यक्तिगत पॉलिसी में आम तौर पर विनियामक बीमाकर्ताओं को तीन साल बाद ही प्रीमियम में इजाफे की इजाजत देता है और इजाफे की अधिकतम सीमा का भी ध्यान रखता है।
क्या करे आरडब्ल्यूए?

किसी भी बीमा कंपनी से बात शुरू करने से पहले पता कर लें कि आपकी सोसाइटी के कितने परिवार समूह स्वास्थ्य बीमा लेने के लिए तैयार हैं। सोसाइटी सदस्यों से बातचीत के दौरान इस बात का भी फैसला कर लें कि प्रीमियम का भुगतान आरडब्ल्यूए के खाते से जाएगा या हरेक परिवार अपनाना अपनाना प्रीमियम देगा। बीमा कंपनी आरडब्ल्यूए के जरिये प्रीमियम भुगतान को तरजीह देती हैं।
आपको जो पॉलिसी दी जा रही है, उसकी विशेषताओं और सुविधाओं की पड़ताल भी अच्छी तरह से कर लें। खास तौर पर यह देख लें कि पहले से मौजूद बीमारियों को कितनी अवधि के बाद बीमा में शामिल किया जाएगा और बीमा कंपनी अस्पताल के कमरे का अधिकतम कितना किराया देगी। यह भी ध्यान रखें कि दूसरी सब-लिमिट कम से कम होनी चाहिए।

अगर कंपनी आपसे कुछ भुगतान खुद करने यानी को-पेमेंट की शर्त रखती है तो ज्यादा हिचकना नहीं चाहिए। मेहता सुझाते हैं कि प्रीमियम कम रखना है तो आरडब्ल्यूए 15 फीसदी तक को-पेमेंट के लिए राजी हो सकती है। समूह बीमा में बीमा राशि 1 से 5 लाख रुपये के बीच ही रहती है, इससे ज्यादा शायद ही होगी। इस बात का ध्यान रहे कि कंपनी बीमा का नवीकरण करने से इनकार भी कर सकती है। इसीलिए सोसाइटी के सदस्यों को पूरी तरह इसी पर निर्भर रहने के बजाय व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा भी खरीद लेना चाहिए।

First Published - May 13, 2021 | 8:57 PM IST

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