सरकार बैंक में जमा पर बीमा मौजूदा 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने पर विचार कर रही है। इसी क्रम में वित्तीय सेवाओं के विभाग के सचिव एम नागराजू की अध्यक्षता में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंध निदेशकों और मुख्य कार्याधिकारियों की 4 मार्च को बैठक होने जा रही है जिसमें बैंक में जमा पर बीमा कवर बढ़ाने सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
उक्त अधिकारी ने कहा, ‘पिछले सप्ताह न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक संकट को देखते हुए यह बैठक सरकारी बैंकों के लिए महत्त्वपूर्ण है। जमा बीमा कवर बढ़ाने के मुद्दे पर बैंकों के विचार मांगे जाएंगे। साथ ही बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल में रीपो दर में की गई 25 आधार अंक की कटौती के मद्देनजर ब्याज दर पर बैंकों की रणनीति पर भी चर्चा की जा सकती है।’
वित्त वर्ष 2026 के लिए आम बजट पेश किए जाने के बाद वित्त मंत्रालय की सरकारी बैंकों के साथ यह पहली समीक्षा बैठक होगी। नागराजू ने बीते सोमवार को कहा था कि सरकार बैंक जमा पर बीमा कवर को मौजूदा 5 लाख रुपये प्रति जमाकर्ता से बढ़ाने पर विचार कर रही है। डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) अधिनियम के तहत जमा बीमा का प्रावधान है। ऐसे में बीमा सीमा में किसी तरह की बढ़ोतरी के लिए इस अधिनियम में संशोधन करना होगा।
डीआईसीजीसी भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई है जो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लोकल एरिया बैंक और सहकारी बैंकों सहित वाणिज्यिक बैंकों में ग्राहकों की जमा रकम पर बीमा कवर का प्रावधान करता है।
पंजाब ऐंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक संकट के बाद 4 फरवरी, 2020 से ग्राहकों के जमा पर बीमा कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया था।
सूत्रों ने कहा, ‘बैठक में एमएसएमई ऋण मूल्यांकन मॉडल और म्युचुअल क्रेडिट गारंटी योजना (एमसीजीएस) की प्रगति की भी समीक्षा होने की उम्मीद है, जो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों को 100 करोड़ रुपये तक के सावधि ऋण की सुविधा प्रदान करती है। इसके अलावा बैठक में हाल की तिमाहियों में सरकारी बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा करने और ग्रामीण क्रेडिट स्कोर ढांचे सहित बजट की घोषणाओं को लागू करने पर भी विचार किया जाएगा।’
वित्त मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में सरकारी बैंकों का शुद्ध लाभ 31.3 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 1.3 लाख करोड़ रुपये रहा है तथा कुल परिचालन मुनाफा 2.2 लाख करोड़ रुपये रहा है। एक अन्य बैंकर ने कहा, ‘बैठक में पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के माध्यम से बैंकों में हिस्सेदारी कम करने की रणनीति पर भी चर्चा हो सकती है।’