मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद गुरुवार को कारोबार के अंत तक सरकारी बॉन्डों की बढ़त वापस आ गई। बाजार भागीदारों ने कहा कि मौद्रिक नीति का फैसला उतना नरम नहीं था जितनी बाजार ने उम्मीद की थी। मौद्रिक नीति के फैसले से पहले शुरुआती कारोबार में बेंचमार्क बॉन्ड पर यील्ड 7.04 फीसदी तक गिर गई। लेकिन गुरुवार को कारोबार खत्म होने तक बेंचमार्क यील्ड 7.08 फीसदी पर रही जो बुधवार को 7.07 फीसदी थी।
मौद्रिक नीति के फैसले से पहले बाजार भागीदारों के एक तबके को उम्मीद थी कि केंद्रीय बैंक प्रणाली में नकदी किल्लत कम करने के लिए कुछ उपायों पर अमल कर सकता है क्योंकि पिछले चार महीनों से काफी हद तक नकदी की तंगी की स्थिति बनी हुई है। केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में नकदी किल्लत बुधवार को 1.53 लाख करोड़ रुपये थी। इस बीच रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को 14 दिन की वेरिएबल रीपो रेट की नीलामी आयोजित करने की घोषणा की है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के उपाध्यक्ष नवीन सिंह ने कहा, ‘आज बाजार मुख्य रूप से नीति के कारण गिरा। वीआरआर नीलामी का असर बाजार पर ज्यादा नहीं पड़ेगा।’ डीलरों ने कहा कि बेंचमार्क यील्ड इसलिए भी बढ़ा क्योंकि कुछ कारोबारियों ने इसके 7.05 फीसदी टूटने पर ही मुनाफावसूली कर ली।
आईडीबीआई बैंक के ईडी प्रमुख (ट्रेजरी) अरुण बंसल ने कहा, ‘पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से हम देख रहे हैं कि यील्ड 7.04-7.05 फीसदी के स्तर (बेंचमार्क बॉन्ड पर यील्ड) को बरकरार नहीं रख रही हैं। वीआरआर महज थोड़े समय का नकदी प्रबंधन है।’ रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय बैंक नकदी प्रवाह को बरकरार रखने के लिए अपनी तरफ से पहल करेगा। तरीकों का चुनाव मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रख कर किया जाएगा।
एचडीएफसी बैंक के अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में कहा, ‘नीति के बाद 10 वर्षीय बॉन्ड पर यील्ड बढ़कर 7.08 फीसदी हो गया, जो बुधवार को 7.07 फीसदी था। मौद्रिक नीति उम्मीद के मुताबिक नहीं थी। यही कारण है कि गुरुवार दिन के शुरुआती कारोबार में यह 7.04 फीसदी हो गया था। हमें उम्मीद है कि 10 वर्षीय बॉन्ड पर यील्ड निकट अवधि में 7.05 से 7.15 फीसदी पर रहेगी और वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही तक कम होकर 7 फीसदी से कम हो जाएगी।’