स्वास्थ्य बीमा के लिए अस्पतालों को मान्यता देने की तैयारी हो रही है। इसके तहत बीमा कवर के लिए केवल मान्यता प्राप्त अस्पतालों से ही इलाज कराया जा सकेगा और यह मान्यता क्वालिटी काउंसिल की एक्रेडिशन कमेटी देगी।
क्वालिटी काउसिंल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) स्वास्थ्य बीमा की सुविधाएं प्रदान करने के लिए उन्हीं अस्पतालों को अनुमति प्रदान करना चाहता है जिसे उसने मान्यता दी हो। इसके लिए काउंसिल बीमा बाजार विनियामक यानी अगले दो दिनों में इरडा को इस बारे में एक प्रस्ताव देने जा रहा है।
एसोचैम द्वारा आयोजित मेडिकल सम्मिट के दौरान काउसिंल के महासचिव गिरधर जे ज्ञानी ने कहा कि हमारी एक्रेडिशन बॉडी (जो मान्यता देती है) इरडा को इस आशय का प्रस्ताव दे रही है जिसके तहत बीमा सुविधाओं (जिसमें इलाज और रीइंबर्समेंट शामिल है)के लिए केवल एक्रेडिटेड अस्पतालों को ही बीमाकर्ता के पैनल में शामिल किया जा सके।
उन्होने कहा कि काउसिंल का प्रस्ताव है कि इरडा अस्पतालों को 18 महीने का समय दे जिससे वे इस दौरान क्वालिटी काउंसिल से मान्यता प्राप्त कर सके और उसके बाद ही उन्हे बीमा कंपनी के पैनल में शामिल किए जाने की अनुमति हो। बाद में यह दिशा निर्देश निजी अस्पतालों पर भी लागू किए जाएंगे जिन्हें किसी लाइसेंस और सरकारी अनुमति की जरूरत नहीं होती।
हालांकि इरडा इस तरह की शर्त रखे जाने के पक्ष में नहीं है क्योकि इससे उद्योग के भीतर काफी शोर-शराबा मच जाएगा लेकिन ज्ञानी का मानना है कि स्वास्थ्य बीमा को प्रोत्साहित करने का यही सही तरीका है। फिलहाल केवल 19 अस्पतालों को क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता मिली हुई है और 55 और अस्पतालों को यह मान्यता मिलने जा रही है, जिसके बाद इन्हे बीमा कंपनी के पैनल में शामिल किये जाने की योग्यता मिल सकेगी।
बीमा कंपनियां इसे बेहतर कदम के रुप में देखती हैं लेकिन उन्हें यह भी डर है कि इससे कारोबार प्रभावित हो सकता है क्योकि ग्राहक व्यापक कवर हासिल करना चाहते हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और स्वास्थ्य बीमा प्रमुख बिनय अग्रवाल के मुताबिक यह निश्चित ही एक अच्छा कदम होगा लेकिन इस शर्त को कम ही अस्पताल मानने को तैयार होंगे। यह एक मध्यम अवधि का कदम होगा।
उनके मुताबिक पहले हमे इस तरह की मान्यता प्राप्त अस्पतालों की संख्या बढ़ानी होगी जिससे कि ग्राहकों को कोई असुविधा न हो। काउंसिल ने अस्पतालों को मान्यता देने के लिए एक अलग नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स ऐंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स बनाया है जिससे कि इस क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें।
आस्ट्रेलिया और अमेरिका का उदाहरण देते हुए ज्ञानी ने कहा कि इन देशों में बीमा कंपनियां तब तक बीमा कवर नहीं दिया जाता जब तक इलाज मान्य अस्पतालों में नहीं मिल जाता।