पिछले कुछ महीनों में इक्विटी योजनाओं में पूंजी प्रवाह वृद्घि और मजबूत मूल्यांकन से उनकी गैर-इक्विटी होल्डिंग्स को बढ़ावा मिल सकता है, जिनमें कैश और कैश इक्विलेंट के साथ साथ डेट योजनाओं में निवेश भी शामिल हैं।
बीएसई के सेंसेक्स और निफ्टी-50 में इस साल अब तक 9.4 प्रतिशत और 12 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि 465 इक्विटी योजनाओं में से करीब 51 प्रतिशत या 236 ने पिछले साल अपनी गैर-इक्विटी पूंजी में वृद्घि दर्ज की। इनमें कई स्मॉल-कैप और मिड-कैप योजनाएं, फोकस्ड फंड, और फ्लेक्सी-कैप श्रेणी से संबंधित योजनाएं भी शामिल हैं।
इनमें से 15 ने अपने गैर-इक्विटी हिस्से में 5 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्घि दर्ज की है। 86 योजनाओं की गैर-इक्विटी होल्डिंग्स 31 मई, 2021 तक 5 प्रतिशत से ऊपर थी, जबकि दिसंबर 2020 के आखिर में यह आंकड़ा 72 था।
पिछले साल, कोविड-19 महामारी की वजह से मार्च और अप्रैल में बाजार गिरने के बाद ज्यादातर पूंजी का निवेश कर चुकीं योजनाओं की लोकप्रियता बढ़ी है।
पिछले साल जुलाई के बाद, अनलॉक प्रक्रिया में तेजी आई और इससे यह स्पष्ट हो गया कि अर्थव्यवस्था को नुकसान उतना ज्यादा नहीं होगा, जितना कि शुरू में अनुमान लगाया गया था। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) फिर से शुद्घ खरीदार रहे और घरेलू फंड प्रबंधकों ने यह महसूस किया कि तरलता-आधारित तेजी बनी रहेगी। इस साल, बाजारों में लगातार तेजी आई है जिससे उन्होंने कोविड की दूसरी लहर के बावजूद नई ऊंचाइयों को छुआ है।
डीएसपी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स में इक्विटी प्रमुख एवं फंड प्रबंधक विनीत सांबे्र ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में, फंड हाउसों ने पूंजी प्रवाह में तेजी दर्ज की है। कुछ योजनाएं इस रकम का धीरे धीरे निवेश कर सकती हैं, क्योंकि मूल्यांकन ऊंचा बना हुआ है, जिससे ऊंचे नकदी स्तरों को बढ़ावा मिल सकता है।’
पिछले तीन महीनों में इक्विटी योजनाओं में 22,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का शुद्घ पूंजी प्रवाह दर्ज किया गया।
सांब्रे के अनुसार, स्मॉल-कैप और मिड-कैप क्षेत्र में मूल्यांकन काफी हद तक बढ़ा हुआ लग रहा है जिससे फंड प्रबंधकों के लिए सीमित अवसर हैं। उनका कहना है कि इन क्षेत्रों के शेयरों में मूल्यांकन वृद्घि के लिए काफी हद तक पिछले साल से अच्छी रिटेल भागीदारी को जिम्मेदार माना जा सकता है। सांब्रे ने कहा, ‘सामान्य तौर पर हमारी इक्विटी योजनाएं ऊंचे नकदी और गैर-इक्विटी होल्डिंग्स से जुड़ी नहीं रहती हैं और वे पूरी तरह निवेशित रहती हैं। हालांकि हमारी मिड-कैप और स्मॉल-कैप योजनाएं 5-8 प्रतिशत हिस्सा लिक्विडिटी बफर के तौर पर बरकरार रख सकती हैं।’
नकदी या गैर-इक्विटी होल्डिंग्स में वृद्घि का निर्णय हर समय निवेश से जुड़े रहने के मूल सिद्घांत के खिलाफ है, लेकिन इसे या तो बाजार गिरने की स्थिति में गिरावट से बचने के लिए निवेश किया जाता है या शेयर के लिए ऊंची कीमत चुकाने से बचने के लिए।
पीपीएफएएस म्युचुअल फंड के सीआईओ राजीव ठक्कर ने कहा, ‘फंड हर समय नकदी बनाए नहीं रख सकते, क्योंकि इससे उनके प्रतिफल पर प्रभाव पड़ सकता है। सही समय पर निवेश की गई कुछ नकदी प्रतिफल बढ़ा सकती है। बेहद आकर्षक स्तरों पर भी, हम 3 प्रतिशत नकदी बनाए रखते हैं, जिससे कि हमें हर समय शेयर खरीदने और बेचने न पड़ें, क्योंकि इससे ऊंची लागत को बढ़ावा मिल सकता है।’
31 मई, 2021 तक, पराग पारेख फ्लेक्सी कैप फंड का निवेश भारतीय इक्विटी में 65.53 प्रतिशत और विदेशी इक्विटी में 28.52 प्रतिशत था। गैर-इक्विटी हिस्सा 5.95 प्रतिशत पर था, जबकि एक साल पहले यह 2.79 प्रतिशत था।
ठक्कर ने इस महीने निवेशकों को भेजी एक रिपोर्ट में कहा, ‘हम स्वयं को हर समय पूरी तरह निवेश के लिए बाध्य नहीं कर सकते और हमारे फंड में कैश इक्विलेंट और/या आर्बिट्राज पोजीशन मौजूद हो सकती है। फिलहाल हम लोकप्रिय क्षेत्रों में नहीं हैं और हम पोर्टफोलियो में कुछ नकदी को शामिल कर सकते हैं, फंड अल्पावधि में कुछ कमजोरी दर्ज कर सकता है।’
मूल्यांकन से जुड़ी चिंताओं और महामारी की दूसरी लहर की वजह से आय वृद्घि पर प्रभाव को देखते हुए गैर-इक्विटी होल्डिंग कुछ समय तक ऊंची बनी रह सकती है। सांब्रे ने कहा, ‘जहां निफ्टी-50 कंपनियों का मूल्यांकन ऐतिहासिक औसत के मुकाबले ज्यादा है, वहीं वित्त, हेल्थकेयर, आईटी और कृषि उत्पाद जैसे क्षेत्रों में उचित मूल्यांकन वाले सेगमेंट भी हैं। ऊंचे मूल्यांकन से संबंधित चिंता दूर करने के लिए एक तरीका अल्पावधि के लिए प्रतिफल उम्मीदों को कम करना और निवेश की अवधि बढ़ाना होगा।’
