गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने घरेलू म्युचुअल फंडों द्वारा विदेशों में की जाने वाली निवेश की सीमा पांच अरब डॉलर से बढ़ा कर सात अरब डॉलर कर दी है।
केंद्रीय बैंक ने अपने बयान में कहा है कि यह निर्णय ‘विदेश में निवेश के बेहतर अवसरों उपलब्ध कराने के लिए’ लिया गया है। आने वाले सप्ताहों में विदेशी पूंजी प्रवाह के बढ़ने की संभावना को देखते हुए आरबीआई के इस कदम को बहिर्प्रवाह बढ़ाने के नजरिये से देखा जा रहा है।
म्युचुअल फंड उद्योग भी अचानक उठाए गए इस कदम से आश्चर्य में है क्योंकि विदेश में निवेश की वर्तमान सीमा का इस्तेमाल भी अभी तक नहीं किया जा रहा था। उद्योग जगत के अनुमानों के मुताबिक विदेशों में निवेश की गई राशिएक से दो अरब डॉलर के बीच है। पिछले सितंबर महीने में आरबीआई ने म्युचुअल फंडों द्वारा विदेशों में की जाने वाली निवेश की सीमा चार अरब डॉलर से बढ़ा कर पांच अरब डॉलर कर दिया था।
आरबीआई ने अपनी घोषणा में कहा है कि विदेशें के एक्सचेंज-ट्रेडेड फंडों में कुल निवेश की उच्चतम सीमा एक अरब डॉलर ही बनी रहेगी।असोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के चेयरमैन ए पी कुरियन ने कहा, ‘विदेशों में निवेश की सीमा बढ़ाने की मांग हमने नहीं की थी। लोगों को यह समझना चाहिए कि विदेशों में निवेश की गई संपत्ति के क्या मायने होते हैं, लेकिन हमलोगों ने इस दिशा में कुछ प्रगति की है।’
वर्तमान में ऐसी लगभग 17 योजनाएं हैं जिनके तहत विदेशों में निवेश किया जाता है, इसमें इक्विटी और ऋण शामिल हैं। वर्तमान में प्रत्येक फंड हाउस के लिए व्यक्तिगत सीमा 3,000 लाख डॉलर की है।कोटक महिन्द्र बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदेश किरकिरे ने कहा, ‘भारतीय निवेशकों में वैश्विक निवेश के प्रति रुचि धीरे-धीरे बढ़ रही है लेकिन आने वाले दिनों में घेरलू निवेशकों विदेशों में अपेक्षाकृत अधिक परिसंपत्ति आवंटित करते देखे जा सकते हैं।
वर्तमान में विदेशों में निवेश के लिए पांच अरब डॉलर से कम का इस्तेमाल किया जाता है।’ इस फंड हाउस ने वैश्विक बाजार में 1,200 से 1,250 लाख डॉलर का निवेश किया हुआ है।इसी प्रकार, बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड ने विदेशों में 1,500 लाख डॉलर से कुछ अधिक का निवेश किया हुआ है।