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स्वास्थ्य बीमा के विभिन्न विकल्प

Last Updated- December 09, 2022 | 11:05 PM IST

अधिकांश लोग गंभीर बीमारियों वाली बीमा योजना (क्रिटिकल इलनेस) और स्वास्थ्य योजनाओं (मेडीक्लेम) को लेकर भ्रमित रहते हैं।


मेडीक्लेम योजनाएं जहां लोगों द्वारा दीर्घावधि के लिए ली जाती  हैं वहीं क्रिटिकल इलनेस योजनाएं बहुत कम लोगों द्वारा खरीदी जाती है। हालांकि, मेडीक्लेम और क्रिटिकल इलनेस बीमा अलग-अलग उद्देश्यों के लिए होते हैं और वास्तव में दो भिन्न योजनाएं होती हैं।


मेडीक्लेम साधारण बीमा कंपनियों द्वारा पेश की जाने वाली स्वास्थ्य बीमा है जिसके तहत आप इलाज पर होने वाले खर्च वापस पा सकते हैं।

जबकि, क्रिटिकल इलनेस बीमा एक ऐसी योजना है जिसकी पेशकश साधारण बीमा कंपनियों के साथ-साथ गैर-जीवन बीमा कंपनियां भी करती हैं।

उदाहरण के लिए बजाज अलायंज जनरल इंश्योरेंस और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड दोनों क्रिटिकल इलनेस पॉलिसियों की पेशकश करती हैं।

पारंपरिक मेडीक्लेम योजना में, पॉलिसीधारकों को अस्पताल में होने वाले एवं अन्य खर्चों का वहन खुद करना होता है बाद में साधारण बीमा कंपनियां इसे वापस करती हैं।

दूसरा विकल्प कैशलेस योजना का है जिसके तहत बीमा कंपनियां अस्पताल के खर्चे का निपटान सीधे तौर पर करती हैं। कैशलेस योजना में इलाज के दौरान पहले पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं होती है।

क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी के अंतर्गत, पॉलिसीधारक को कोई गंभीर बीमारी हुई तो बीमा की कुल राशि का भुगतान कर दिया जाता है। पॉलिसीधारक बीमा की राशि का इस्तेमाल इलाज के लिए करे या नहीं करे, बीमा की रकम का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा कर दिया जाता है।

मान लीजिए कि आपने पांच लाख रुपये की मेडीक्लेम पॉलिसी और तीन लाख रुपये की क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी ली हुई है। अगर, आपको कोई ऐसी बीमारी होती है जो क्रिटिकल इलनेस के दायरे में आती है तो आपको दोनों बीमा योजनाओं के भुगतान का लाभ मिलेगा।

पहला, अस्पताल में होने वाले खर्च की भरपाई की जाएगी। दूसरा, क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी के तीन लाख रुपये का भुगतान आपको कर दिया जाएगा, जिसका इस्तेमाल स्वास्थ्य में सुधार होते वक्त या किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया जा सकता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो क्रिटिकल इलनेस की बीमा राशि (सम एश्योर्ड) पॉलिसीधारक को अतिरिक्त लाभ उपलब्ध कराती है। यही वजह है कि इन्हें लाभ वाली योजनाओं की श्रेणी में रखा गया है और ये मेडीक्लेम से भिन्न होते हैं। अधिकांश बीमा कंपनियां एक पॉलिसी के तहत 12 से 16 गंभीर बीमारियों को कवर करती हैं।

कुछ आम गंभीर बीमारियों में कैंसर, हृदयाघात, प्रमुख अंग जैसे वृक्क, फेफड़ा, अग्न्याशय या अस्थि मज्जा का प्रत्यारोपण, हृदय की शल्य चिकित्सा, दोनों वृक्कों का अक्षम हो जाना, मल्टिपल स्क्लेरोसिस और प्राइमरी पल्मोनरी आटर्रियल हाइपरटेंशन शामिल है।

कवर की अधिकतम उपलब्ध सीमा 10 लाख रुपये की है। हालांकि, यहां भी एक शर्त है- अगर पॉलिसीधारक की मृत्यु बीमारी का पता चलने के 30 दिनों के भीतर होती है तो उसे कवर का लाभ नहीं मिल पाता।

अगर पॉलिसी लेने के 90 दिनों के भीतर किसी गंभीर बीमारी का पता चता है तो इस परिस्थिति में भी कवर का लाभ उपलब्ध नहीं हो पाता है।

क्रिटिकल इलनेस कवर दो तरीकों से लिया जा सकता है-

किसी भी गैर-जीवन बीमा कंपनी से अकेले क्रिटिकल इलनेस बीमा के रूप में।

जीवन बीमा पॉलिसी के राइडर के तौर पर।

जीवन बीमा पॉलिसी के राइडर के तौर पर जब आप क्रिटिकल इलनेस कवर लेते हैं तो पॉलिसी के अवधि के दौरान आपका प्रीमियम एकसमान बना रहता है।

परिणामस्वरूप, 10 से 20 साल की अवधि में इस पर होने वाला खर्च गैर-जीवन बीमा कंपनी की पॉलिसी की तुलना में काफी कम होती है।

गैर-जीवन बीमा कंपनी के क्रिटिकल इलनेस कवर के अंतर्गत हर पांच साल बाद प्रीमियम में बढ़ोतरी होती है और उम्र के साथ-साथ इसमें बढ़ोतरी होती जाती है।

जब इसे जीवन बीमा कंपनी के राइडर के तौर पर लिया जाता है तो 35 वर्षीय व्यक्ति के लिए 10 लाख रुपये की पॉलिसी के लिए लगभग 6,000 रुपये का प्रीमियम देना होता है।

पॉलिसी की पूरी अवधि के दौरान प्रीमियम की राशि में कोई बदलाव नहीं होता है। इस मामले में भी उम्र के साथ-साथ प्रीमियम राशि में बढ़ोतरी होती जाती है। अगर आप अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को समाप्त कर देते हैं तो क्रिटिकल इलनेस का कवर भी समाप्त हो जाता है।

बीमा पॉलिसी के राइडर के रूप में क्रिटिकल इलनेस कवर के चयन करने का यह एक नुकसान है। जब कभी आप क्रिटिकल इलनेस कवर लेने जाएं तो एक बात का खास खयाल रखें कि मूल पॉलिसी का सम एश्योर्ड कितना है।

दस लाख रुपये के क्रिटिकल इलनेस कवर के लिए आपको कम से कम 25 लाख रुपये का जीवन बीमा कराना चाहिए। नौकरी की शुरुआती दिनों में क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी लेने की कोई जरूरत महसूस नहीं होती लेकिन एक खास उम्र सीमा को पार करने के बाद आपको इस पर विचार करना चाहिए।

आइए कुछ ऐसी परिस्थितियों की चर्चा करते हैं जब क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी की खरीदारी करनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर जब आपकी उम्र 35 वर्ष हो जाती है या आपके परिवार में किसी गंभीर बीमारी का इतिहास रहा है तो आपको क्रिटिकल इलनेस राइडर के साथ जीवन बीमा लेनी चाहिए।

इससे कम उम्र में, मतलब 21 से 35 वर्ष तक, आप गैर-जीवन बीमा कंपनियों का कवर ले सकते हैं। अधिकांश मामलों में जीवन बीमा पॉलिसी की जरूरत नहीं होती है, यही वजह है कि गैर जीवन बीमा कंपनियों की पॉलिसी का सुझाव दिया जाता है।

हालांकि, कुछ खास परिस्थितियों में जहां कुछ लोग आर्थिक रूप से आप पर निर्भर करते हैं या जीवन बीमा लेने की जरूरत वास्तव में है तो इस बात का आकलन किया जाना चाहिए के क्रिटिकल इलनेस राइडर पर कितना खर्च होना है और किस उम्र तक इसकी जरूरत हो सकती है।

अगर आपकी उम्र 50 साल से अधिक है तो अधिकांश बीमा कंपनियां आपको विशुध्द जीवन बीमा देने में आनाकानी कर सकती हैं। और अगर वे कवर उपलब्ध भी कराती हैं तो मेडिकल अन्डरराइटिंग में कड़ाई बरती जाती है।

उम्र की इस अवस्था में स्टैंडअलोन कवर लेने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नजर नहीं आता है। 55वें साल के बाद इसकी लागत बहुत बढ़ जाती है। बीमा पॉलिसी पर हस्ताक्षर करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपने अपवादों को भली-भांति पढ़ लिया है।

अधिकांश लोग इसे नजरंदाज कर देते हैं। इसके अतिरिक्त, पारिवारिक चिकित्सक से भी इस बारे में सलाह ले लें कि पॉलिसी में इस्तेमाल किए गए शब्द और शरतॅ ठीक-ठाक हैं।

First Published - January 25, 2009 | 9:25 PM IST

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