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डिजिटल करेंसी से सीमा पार लेनदेन होगा आसान: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास

दास ने कहा, ‘अब तक हुई प्रगति के बावजूद उच्च लागत, सुस्त रफ्तार, सीमित पहुंच और पारदर्शिता का अभाव जैसी सीमा पार भुगतान की प्रमुख चुनौतियां बरकरार हैं

Last Updated- September 04, 2023 | 10:12 PM IST
RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर श​क्तिकांत दास ने आज कहा कि सीमा पार भुगतान की ऊंची लागत और सुस्त रफ्तार की समस्याओं से निपटने में केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है जिसके जरिये लेनदेन में तुरंत निपटान की सुविधा मिलती है।

दास ने कहा कि सीमा पार लेनदेन जी20 का एक प्रमुख मुद्दा है। उन्होंने कहा कि अब तक हुई तमाम प्रगति के बावजूद इस प्रकार के लेनदेन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

दास ने कहा, ‘अब तक हुई प्रगति के बावजूद उच्च लागत, सुस्त रफ्तार, सीमित पहुंच और पारदर्शिता का अभाव जैसी सीमा पार भुगतान की प्रमुख चुनौतियां बरकरार हैं।’ उन्होंने कहा कि कहीं अ​धिक तेज, सस्ती, पारदर्शी और अधिक समावेशी सीमा पार भुगतान सेवाओं से दुनिया भर के लोगों और अर्थव्यवस्थाओं को जबरदस्त लाभ होगा।

आरबीआई और बैंक फॉर इंटरनैशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) द्वारा आयोजित जी20 टेक​स्प्रिंट फिनाले को संबो​धित करते हुए दास ने कहा, ‘इससे आ​र्थिक वृद्धि, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय समावेशन में भी मदद मिलेगी।’

भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत चौथे जी20 टेक​स्प्रिंट की शुरुआत 4 मई, 2023 को की गई थी। इसका विषय था: सीमा पार भुगतान के लिए तकनीकी समाधान। पिछले साल आरबीआई ने परीक्षण के तौर पर दो सीबीडीसी परियोजनाएं शुरू की थीं। इनमें से एक खुदरा क्षेत्र के लिए और दूसरा थोक श्रेणी के लिए था। दास ने कहा कि आरबीआई धीरे-धीरे इसका विस्तार कई अन्य बैंकों, तमाम शहरों, अ​धिक से अ​धिक लोगों और अ​धिक उपयोग के मामलों तक कर रहा है।

दास ने कहा, ‘हम अनुभव के आधार पर जो डेटा तैयार कर रहे हैं, वह नीतियां बनाने और भविष्य का रुख निर्धारित करने में काफी मददगार साबित होगा। मैं समझता हूं कि सीबीडीसी अपनी तत्काल निपटान सुविधा के साथ सीमा पार भुगतान की लागत को कम करने, उसकी रफ्तार बढ़ाने और उसे कहीं अधिक सुरक्षित बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।’

दास ने कहा कि भारत में डिजिटल भुगतान के लिए एक परिवेश तैयार करने में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) काफी महत्त्वपूर्ण साबित हुआ है। इससे वित्तीय समावेशन को रफ्तार देने में मदद मिली। यूपीआई के जरिये उन लाखों लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ा गया जिनके पास बैंकिंग सुविधा नहीं थी।

दास ने कहा, ‘यूपीआई के जरिये हर महीने 10 अरब से अ​धिक लेनदेन होते हैं। इसके साथ ही यूपीआई अब भारत में डिजिटल भुगतान की बुनियाद बन चुका है और यह फिनटेक क्षेत्र में नवाचार की लहर को बढ़ावा देने में भी मदद कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि 70 से अ​धिक मोबाइल ऐप और 5 करोड़ से अधिक व्यापारी यूपीआई भुगतान को स्वीकार कर रहे हैं।

First Published - September 4, 2023 | 10:12 PM IST

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