प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
बड़ी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी ने निवेशकों की कम रुचि के कारण बॉन्ड इश्यू को लंबित कर दिया। निवेशकों की रुचि यील्ड उच्च स्तर पर रहने के कारण कम हो गई है। यह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक के स्केल आधारित सुपरविजन सूची के ऊपरी स्तर पर है।
जुलाई की शुरुआत में पेश की गई 15 साल की सरकारी प्रतिभूति की यील्ड बहुत कम समय में 25 आधार अंक बढ़ गई। राज्य सरकार के बॉन्ड की यील्ड भी तेजी से बढ़ी। अप्रैल के पहले सप्ताह में 10 साल के एसडीएल की यील्ड 6.84 से 6.88 प्रतिशत के दायरे में थी और यह 19 अगस्त में उछलकर 7.09 से 7.17 प्रतिशत हो गई है। दीर्घावधि में दरें और बढ़ सकती हैं। दरअसल 30 वर्षीय एसडीएल की दर अप्रैल के 6.87 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 7.44 प्रतिशत हो गई है। फरवरी के बाद से नीतिगत ब्याज दर में 100 आधार अंक की कटौती के बावजूद ज्यादातर बॉन्ड यील्ड में उछाल आया है जिसमें मौद्रिक नीति की जून की समीक्षा में दर में 50 आधार अंक की कटौती (फ्रंड लोडिड कट) भी शामिल है।
दरअसल बॉन्ड मार्केट में कई कारकों के कारण मौद्रिक नीति से आया बदलाव फीका पड़ गया है। इन कारकों में लंबी अवधि के बॉन्ड की बेहद आपूर्ति, नीतिगत दरें और सुस्त होने की उम्मीद का फीका होना, जीएसटी ब्याज दरों में कटौती का हालिया प्रस्ताव और निवेशकों का कम अवधि तक निवेश करना शामिल हैं।
बड़े सरकारी बैंक के कारोबारी ने कहा, ‘कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट से राज्य बॉन्ड पूरी तरह इलिक्विड हो गए हैं। यदि इन्हें कोई बेचना चाहता है तो उन्हें 10 वर्षीय बेंचमार्क सरकारी प्रतिभूति में शॉर्ट पोजिशन लेनी पड़ती है। इससे यील्ड और बढ़ जाती है।’
बाजार के प्रतिभागियों के अनुसार वित्त वर्ष 26 में राज्य सरकार की उधारियों की औसत अवधि में तेजी से इजाफा हुआ जिससे मांग में तालमेल नहीं हो पाया। तेलंगाना, केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार ने इश्यू जारी करने की अवधि को तेजी से बढ़ा दिया है। लिहाजा इस वित्त वर्ष में राज्यों की उधारी सालाना आधार पर 31 प्रतिशत बढ़ गया है।
कोटक महिंद्रा बैंक के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट के अनुसार, ‘सार्वजनिक वित्त की पृष्ठभूमि में एसडीएल की उच्च मात्रा और अवधि दोनों की आपूर्ति हुई। लगातार तीसरे वर्ष राज्यों का वित्त वर्ष 26 का एफडी/जीडीपी का बजट 3 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है।’