बाजार में गड़बड़ी को रोकने के लिए लागू किए गए हालिया नियमों में छूट के लिए म्युचुअल फंड उद्योग बाजार नियामक सेबी से संपर्क करने जा रहा है।
बड़ी योजनाओं के लिए नवंबर से प्रभावी नए नियमों ने फंड मैनेजरों के लिए परिचालन की चुनौती सृजित कर दी है, खास तौर से तब जब वे बड़े लेनदेन को अंजाम देते हैं या ब्लॉक डील में हिस्सा लेते हैं। म्युचुअल फंड के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उद्योग निकाय द एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने विभिन्न फंड हाउस से सुझाव मांगे हैं, जिसे चर्चा के लिए सेबी को भेजा जाएगा।
एम्फी के मुख्य कार्याधिकारी वेंकट चलसानी ने कहा, हमारी योजना हालांकि पिछले कुछ हफ्तों में मिले अनुभव के आधार पर इसकी समीक्षा व विश्लेषण करने और इस नतीजे को आवश्यक समायोजन की खातिर सेबी को फीडबैक के तौर पर देने की है। लेकिन हमने पाया कि इक्विटी बाजार में म्युचुअल फंड की भागीदारी पर नए नियमों के क्रियान्वयन का बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
यह व्यवस्था बाजार में गड़बड़ी मसलन फ्रंट रनिंग की पहचान के लिए बनी है, जो म्युचुअल फंडों को धोखाधड़ी वाले संभावित लेनदेन को पहचानने के लिए चेतावनी की व्यवस्था बनाना अनिवार्य करता है। यह चेतावनी वैसे लेनदेन को लेकर है जहां म्युचुअल फंडों की किसी शेयर के कुल वॉल्यूम में बड़ी हिस्सेदारी है और शेयर कीमतों में काफी ज्यादा बदलाव हुआ है।
एक उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। लार्जकैप शेयर में ट्रेड से चेतावनी पैदा हो सकती है अगर भागीदार का वॉल्यूम 10 फीसदी ज्यादा है और वॉल्यूम वेटेड ऐवरेज प्राइस (वीडब्ल्यूएपी) 0.5 फीसदी से ज्यादा या समान है।