facebookmetapixel
सरकार को घरेलू विनिर्माण को स्वार्थी ताकतों से बचाना चाहिएEditorial: विषाक्त कफ सिरप से बच्चों की मौत ने नियामकीय सतर्कता पर उठाए सवालभारतीय IT कंपनियों के लिए एच-1बी वीजा मसला एक झटका, लेकिन यहां अवसर भीवित्त वर्ष 27 तक घरेलू गैस की मांग बढ़ेगी, कीमतों में आएगी कमी: राजेश मेदिरत्ता2050 तक भारत में तेल की मांग दोगुनी होकर 90 लाख बैरल प्रतिदिन होने का अनुमानभारत-चिली वार्ता तेजी से आगे बढ़ रहा, 2025 तक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने का लक्ष्यमहिंद्रा ऐंड महिंद्रा : पूरी रफ्तार से दौड़ रही बोलेरो की उत्पादन क्षमतासितंबर में सेवा क्षेत्र की गति सुस्त, PMI गिरकर 60.9 पर; निर्यात और मांग पर असर पड़ासरकार GST 3.0 के तहत रिफंड प्रक्रिया को स्वचालित करने की तैयारी कर रही, पारदर्शिता बढ़ाने पर जोरभारत प्रतिस्पर्धा आयोग ने AI में स्व-ऑडिट की वकालत की, कहा: इससे पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ेगा

SVB संकट के मद्देनजर सरकार ने बैंकों से बॉन्ड में निवेश का मांगा ब्योरा, वित्त मंत्री कर सकती हैं बैठक

Last Updated- March 23, 2023 | 9:25 PM IST
Finance Ministry

अमेरिका के सिलिकन वैली बैंक (एसवीबी) के धराशायी होने के बाद पैदा हुए संकट को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा है कि शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक से पहले वे सरकारी बॉन्डों में अपने निवेश का ब्योरा दें।

बैंकरों ने कहा कि ब्याज दर संबंधी जोखिम से निपटने की बैंकों की मजबूती तय करने की कवायद के तहत वित्त मंत्रालय ने ​विशेष तौर पर दो श्रे​णियों में बॉन्ड पोर्टफोलियो में निवेश का ब्योरा मांगा है। इनमें परिपक्वता तक हो​ल्डिंग (HTM) पोर्टफोलियो और बिक्री के लिए उपलब्ध (AFS) पोर्टफोलियो शामिल हैं।

सूत्रों ने कहा कि HTM पोर्टफोलियो बैंकों को बॉन्ड हो​ल्डिंग में संभावित नुकसान से सुरक्षा प्रदान करता है। सरकार जानना चाहती है कि बॉन्ड की बड़ी बिक्री हो तो उस स्थिति में बैंकों की किस तरह की प्रतिक्रिया होगी।

सिलिकन वैली बैंक प्रकरण मुख्य रूप से फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में तेज वृद्धि के प्रतिकूल परिणाम की वजह से हुआ था, जिससे बैंक की बॉन्ड हो​ल्डिंग के मूल्य में काफी कमी आई थी। जब प्रतिफल बढ़ता है तो बॉन्ड की कीमतों में कमी आती है। मार्च 2022 के बाद से अमेरिका में दरों में वृद्धि की वजह से बॉन्ड प्रतिफल में काफी इजाफा हुआ था।

एक बैंकर ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘HTM मार्क टु मार्केट की दृ​ष्टि से भारत में सुर​क्षित पोर्टफोलियो है। वित्त मंत्रालय समझना चाहता है कि HTM पोर्टफोलियो बिका तो बैंकों को कितना नुकसान हो सकता है।’

बैंकर ने कहा, ‘यह सिलिकन वैली बैंक घटनाक्रम के बाद पैदा हालात को देखते हुए किया जा रहा है। उदाहरण के लिए अगर किसी बैंकन ने नोटबंदी की अवधि यानी 2016-17 के दौरान बॉन्ड खरीदा होगा तो उस समय प्रतिफल 6 फीसदी के करीब था। अब प्रतिफल ज्यादा है, इसलिए इन प्रतिभूतियों में नुकसान हो सकता है।’

देसी बैंकों के पास ज्यादातर बॉन्ड सरकारी होते हैं क्योंकि बैंकिंग तंत्र में सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) बनाए रखना जरूरी होता है, जिसके लिए बैंकों को सरकारी बॉन्डों में निवेश करना होता है। इस समय SLR शुद्ध मांग और देनदारी या जमाओं का 18 फीसदी है। कोविड के दौरान बैंकों ने SLR जरूरतों को देखते हुए पहले ही काफी बॉन्ड की खरीद की थी क्योंकि उधारी मांग कम हो गई थी और बैंकिंग तंत्र में तरलता काफी बढ़ गई थी।

HTM पोर्टफोलियो बैंकों को ब्याज दर में बढ़ोतरी से सुरक्षा प्रदान करता है। महामारी के दौरान RBI ने HTM पोर्टफोलियो की सीमा बढ़ा दी थी ताकि बैंक बॉन्ड होल्डिंग्स का बेहतर प्रबंधन कर सकें।

मैक्वायरी रिसर्च के विश्लेषकों के अनुसार बैंक के निवेश में करीब 60 फीसदी HTM पोर्टफोलियो है। RBI के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि 24 फरवरी तक अनुसूचित वा​णि​ज्यिक बैंकों का केंद्र और राज्य सरकारों के बॉन्डों में 53.37 लाख करोड़ रुपये का निवेश था, जो एक साल पहले 46.69 लाख करोड़ रुपये था।

एक सूत्र ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक पता करना चाहता है कि बैंक के AFS पोर्टफोलियो का क्या होगा। हालांकि उसके लिहाज से अ​धिकतर बैंक मजबूत ​स्थिति में हैं।

First Published - March 23, 2023 | 9:25 PM IST

संबंधित पोस्ट