बॉन्ड

क्रेडिट सुइस संकट से भारतीय एटी-1 निवेशकों पर ज्यादा प्रभाव पड़ने के आसार नहीं

Published by   भास्कर दत्ता
- 22/03/2023 8:06 PM IST

क्रेडिट सुइस के 17 अरब डॉलर के परिवर्तनीय बॉन्डों को बट्टेखाते में डाले जाने से भारतीय एडीशनल टियर-1 (एटी-1) बॉन्डों को लेकर जो​खिम गहरा गया है।

विश्लेषकों का कहना है कि 2020 में येस बैंक संकट के बाद किए गए नियामकीय बदलाव से एटी-1 बॉन्डों के लिए घरेलू परिदृश्य में बड़ा सुधार आया है। इस वजह से क्रेडिट सुइस संकट से बैंकों द्वारा घरेलू एटी-1 बॉन्ड निर्गमों पर ज्यादा प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है।

सूत्रों का कहना है कि क्रेडिट सुइस घटनाक्रम के बाद ऐसी पहली बॉन्ड बिक्री में, सरकार का स्वामित्व वाले ऋणदाता पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) शुक्रवार को 2,000 करोड़ रुपये के एटी-1 बॉन्ड जारी करने को तैयार है।

ट्रेजरी अ​धिकारियों को पीएनबी के बॉन्डों के लिए कूपन दर करीब 8.50 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 8 मार्च को एसबीआई की पिछली एटी-1 बॉन्ड बिक्री के लिए तय 8.25 प्रतिशत से बहुत ज्यादा नहीं है।

वै​श्विक बैंकिंग क्षेत्र में मौजूदा समय में कमजोर धारणा को देखते हुए पीएनबी के आगामी एटी-1 निर्गम के लिए ब्याज की संभावित दर से संकेत मिलता है कि इन प्रतिभूतियों को लेकर घरेलू निवेशक ज्यादा चिंतित नहीं हैं।

इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में निदेशक (फाइनैं​शियल इंस्टीट्यूशंस) करण गुप्ता ने कहा, ‘क्रेडिट सुइस घटनाक्रम नकारात्मक है, भारत में हमने देखा है कि येस बैंक के एटी-1 बॉन्डों को पहले ही बट्टे खाते में डाला जा चुका है। इसलिए, ऐसा नहीं है कि यह हमारे लिए नया है। उस नजरिये से कोई बदलाव नहीं आया है।’

वर्ष 2000 के शुरू में आरबीआई ने येस बैंक का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था, जिसके बाद निजी क्षेत्र के इस ऋणदाता के 8,415 करोड़ रुपये के एटी-1 बॉन्डों को बट्टेखाते में डाला गया, जिससे निवेशकों के लिए नुकसान बढ़ गया था। जनवरी 2022 में, बंबई उच्च न्यायालय ने निर्णय में कहा कि बॉन्डों को बट्टेखाते में डालने के निर्णय में प्रक्रियागत खामियां थीं। हालांकि इस महीने सर्वोच्च न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगा दी।

बैंकों द्वारा इ​क्विटी बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एटी-1 बॉन्ड ऊंचा प्रतिफल दे सकते हैं। निवेशकों के लिए जो​खिम इस तथ्य से पैदा हुआ है कि जब किसी बैंक के बंद होने की आशंका हो तो बैंक ब्याज भुगतान बंद कर सकता है या ऐसे कर्ज को बट्टेखाते में डाल सकता है।

चालू वित्त वर्ष में अब तक बैंकों ने 33,420 करोड़ रुपये मूल्य के एटी-1 बॉन्ड जारी किए हैं, जबकि वित्त वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 42,800 करोड़ रुपये था।

आगामी राह

विश्लेषकों का कहना है कि एटी-1 बॉन्डों के जरिये कोष उगाही ज्यादा महंगी होने का अनुमान है। मुद्रास्फीति की रफ्तार ऊंची बने रहने से, आरबीआई द्वारा ज्यादा दर वृद्धि की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। सॉवरिन बॉन्ड बाजार में अप्रैल से बॉन्डों की रिकॉर्ड आपूर्ति दर्ज की जा सकती है।

विश्लेषकों का कहना है कि इसकी वजह से, बॉन्ड प्रतिफल में तेजी बनी रह सकती है। सरकारी बॉन्ड कॉरपोरेट डेट के मूल्य निर्धारण के लिए मानक होते हैं। 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड पर प्रतिफल 2023 में अब तक 14 आधार अंक तक चढ़ गया था, लेकिन पिछले कुछ सप्ताहों से इसमें नरमी आई है।