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चेक बाउंस के मामलों के लिए पहली डिजिटल अदालत कोल्लम में शुरू, सुप्रीम कोर्ट के जज ने की शुरुआत

इस प्लेटफॉर्म को इस प्रकार डिजाइन किया गया है ताकि अंशधारकों के बीच ऑनलाइन विचार विमर्श आसान हो, विवाद निस्तारण प्रक्रिया को सुसंगत बनाया जा सके।

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- August 16, 2024 | 11:17 PM IST

Digital court for cheque bounce cases: चेक बाउंस के मामलों से निपटने के लिए देश की पहली डिजिटल अदालत केरल के कोल्लम में शुरू की गई है जिसे 24*7ऑनकोर्ट का नाम दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने शुक्रवार को इसकी शुरुआत की।

ऑनकोर्ट में मामलों की सुनवाई सितंबर 2024 से आरंभ होगी और यह पहल सुनिश्चित करेगी कि शुरुआती फाइलिंग से लेकर, केस दायर होने, स्वीकार होने, अदालत में हाजिरी, सुनवाई और निर्णय तक सारी प्रक्रियाएं ऑनलाइन पूरी की जाएं। यदि कामयाबी मिलती है तो प्रदेश भर में ऑन कोर्ट स्थापित किए जाएंगे।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इसे केरल की न्यायपालिका के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ जिन्हें न्यायपालिका में तकनीक के इस्तेमाल से संबंधित कुछ अन्य अहम पहलों की शुरुआत करनी थी वह कुछ अप्रत्याशित वजह से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके।

इन्फोसिस के सह-संस्थापक और गैर कार्यकारी चेयरमैन नंदन नीलेकणी ने इस अवसर पर कहा, ‘इस पहल से ऐसे मामले पूरी तरह स्वचालित हो जाएंगे। आमतौर पर कुल मामलों में तकरीबन 10 फीसदी चेक बाउंस के मामले होते हैं। ऐसे में स्वचालन का अर्थ यह है कि काम की गति तेज होगी और निर्भरता में कमी आएगी। इसी प्रकार मोटर व्हीकल ऐक्ट के मामले भी 10 फीसदी से कुछ अधिक होते हैं। अगर इन मामलों से निपटने की प्रक्रिया स्वचालित होती है तो 20-25 फीसदी मामले हल हो जाएंगे।’

इस बीच मुख्यमंत्री विजयन ने एर्णाकुलम और अलप्पुझा में विशेष अदालतों की शुरुआत की जहां अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम तथा अनियमित जमा योजना अधिनियम, 2019 से जुड़े मामलों की सुनवाई की जाएगी।

अदालतों को तकनीक से जोड़ने के विषय में केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन वी ने कहा कि इससे पूरी प्रक्रिया अधिक आसान और पूर्वानुमान योग्य बनती है। उन्होंने कहा, ‘एक बेहतर शेड्यूलिंग व्यवस्था होगी ताकि समय पर सुनवाई हो सके। इससे वादियों को एकदम वास्तविक समय पर अपने केस की स्थिति पता लग सकेगी और उन्हें मदद मिलेगी। अदालत को बैंकों तथा पुलिस जैसे अहम संस्थानों से जोड़ा जा सकेगा जिससे सूचनाओं का आदान-प्रदान आसान होगा। संचार और ट्रैकिंग आसान होगी। चार एपीआई (ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) होंगे जो केस की स्थिति, उसके मेटाडाटा, आदेशों और निर्णयों को कवर करेंगे। अगले महीने अदालतों के ऑनलाइन होते ही ये खुल जाएंगे। हमने सुरक्षा के लिए उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया है। हम 14 अदालतों के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे। यह न्यायमूर्ति मुस्ताक (केरल उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए मुहम्मद मुश्ताक) की परिकल्पना है। यह तो बस शुरुआत है।’

न्यायमूर्ति गवई ने केरल की न्यायपालिका द्वारा विकसित ऑनलाइन विवाद निस्तारण व्यवस्था ‘वी-सॉल्व विमल सॉल्युशन मेकर’ की भी शुरुआत की। इस प्लेटफॉर्म को इस प्रकार डिजाइन किया गया है ताकि अंशधारकों के बीच ऑनलाइन विचार विमर्श आसान हो, विवाद निस्तारण प्रक्रिया को सुसंगत बनाया जा सके और विवाद निस्तारण के मामलों में क्षमता, पहुंच और पारदर्शिता बढ़ाई जा सके।

First Published : August 16, 2024 | 11:17 PM IST