देश में सबसे पुराने विदेशी बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) स्टैंडर्ड चार्टर्ड कैपिटल अपना गुणवत्तायुक्त खुदरा कारोबार बनाने के लिए भारत के उपभोक्ता आधार बढ़ाने की संभावना तलाश रही है। हालांकि गैर बैंक अपना कामकाज बैंक से इतर करता है, लेकिन एनबीएफसी के लिए बेहतरीन ग्राहकों की तलाश आसान होता है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की देश में 100 शाखाएं हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में 40 प्रतिशत शाखाएं खोलने की बाध्यता है। एनबीएफसी की ऐसी कोई बाध्यता नहीं है।
इसके पहले विदेशी बैंकों के एनबीएफसी ने भारत के खुदरा बाजार में कदम रखने की कोशिश की, लेकिन कुछ को परिचालन बंद करना पड़ा, जिसकी प्रमुख वजह स्थानीय निजी क्षेत्र के बैंकों से कड़ी प्रतिस्पर्धा है।
सिटी बैंक अपना ग्राहक कारोबार बेच रहा है, जबकि रॉयल बैंक आफ स्कॉटलैंड 2016 में भारत के खुदरा कारोबार से निकल चुका है। स्विस बैंक यूबीएस ने 2013 में अपना वाणिज्यिक बैंक लाइसेंस रिजर्व बैंक को वापस कर दिया था। बार्कलेज ने 2016 की शुरुआत में भारत में अपना इक्विटी और ब्रोकिंग कारोबार बंद कर दिया, जबकि 2011-12 में अपना खुदरा कारोबार बेच दिया था।
एचएसबीसी और बीएनपी पारिबाज ने की एनबीएफसी इकाई हैं, लेकिन खुदरा कारोबार में वे आक्रामक नहीं हैं।
भारत की सीईओ जरीन दारूवाला के नेतृत्व में स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने खुदरा कारोबार में बैंक की हिस्सेदारी बढ़ाकर कम से कम 40 प्रतिशत करने की योजना बनाई है, जो अभी 25 प्रतिशत है। एनबीएफसी इकाई के खुदरा ग्राहक इस लक्ष्य से अलग होंगे, लेकिन इसका पूरक असर होगा।
