बैंकों के कर्ज में वृद्धि और जमा में वृद्धि का अंतर बढ़ रहा है। इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि जमा में 9 प्रतिशत से कम बढ़ोतरी से कर्जदाताओं के सामने वित्तपोषण की चुनौती आ सकती है क्योंकि अब त्योहारों का मौसम आ रहा है और इस दौरान कर्ज की मांग बढ़ेगी।बहरहाल विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकिंग व्यवस्था में नकदी अभी ठीक ठाक है क्योंकि बैंकों के पास 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसेलिटी (एसडीएफ) है और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिवर्स रीपो विंडो भी उपलब्ध है।
कर्ज की मांग ज्यादा होने की वजह से व्यवस्था में नकदी खत्म हो रही है। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि बैंक जल्द ही आक्रामक रूप से जमा आकर्षित करने की कवायद करेंगे और इससे जमा पर ब्याज दरें बढ़ेंगी।
भारतीय रिजर्व बैंक के हाल के आंकड़ों के मुताबिक 15 जुलाई को समाप्त पखवाड़े में कर्ज की वृद्धि दर 14 प्रतिशत थी। बहरहाल इस दौरान जमा में वृद्धि महज 8.4 प्रतिशत रही, इसकी वजह से ऋण जमा के बीच वृद्धि का अंतर 560 आधार अंक हो गया है।
मैक्वैरी रिसर्च के सुरेश गणपति और परम सुब्रमण्यन ने कहा, ‘जमा में वृद्धि 9 प्रतिशत से नीचे रहने के कारण हमारी चिंता बनी हुई है। वहीं ऋण में वृद्धि 15 प्रतिशत होने के कारण कर्ज और जमा में वृद्धि का अंतर 500 आधार अंक से ज्यादा हो गया है।’
उनके मुताबिक जमा में वृद्धि कम रहने की वजह रिजर्व बैंक द्वारा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में बढ़ोतरी है। इसकी वजह से नकदी घट रही है और आधार धन में वृद्धि प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा, ‘बैंकरों ने तमाम कॉर्पोरेट ट्रेजरी को सुझाव दिया है कि वे लिक्विड फंड में धन रखने को प्राथमिकता दें क्योंकि ओवरनाइट लिक्विडिटी पर दरें 7 दिन की जमा की तुलना में ज्यादा हैं।’
इसके अलावा रिजर्व बैंक द्वारा रीपो रेट बढ़ाए जाने के बाद से बैंकों की ओर से दिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज दर लगातार बढ़ रही है, लेकिन जमा पर ब्याज दर उस अनुपात में नहीं बढ़ी है।
रिजर्व बैंक ने जुलाई के बुलेटिन में कहा था, ‘दिए जा रहे ऋण पर बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं, जबकि जमा पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी तुलनात्मक रूप से सुस्त है। जमा दरें बैंकिंग व्यवस्था में कर्ज की मांग और नकदी की स्थिति पर निर्भर होती हैं। कर्ज की मांग को गति मिलने के साथ बैंक ज्यादा ब्याज पर धन जमा करने को बाध्य हो सकते हैं, जिससे कि अतिरिक्त मांग पूरी की जा सके।’