अगर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अपने दिशा-निर्देशों के मसौदे को वर्तमान रूप में ही जारी कर देता है, तो आने वाले दिनों में उन लोगों पर जुर्माना लगाया जाएगा जो कंपनी के भीतर के लोगों से अंदर की खबर लेकर शेयरों के बारे में टिप्स लेते हैं। हालांकि शेयर बाजार के प्रतिभागियों का मानना है कि इस तरह के नियम-कानून को लागू कर पाना काफी कठिन है।
शेयर बाजार के प्रहरियों ने गत मंगलवार को सेबी के नियम (भेदिया कारोबार निषेध) रेग्यूलेशन, 1992 में संशोधन करने के लिए कुछ दस्तावेज पेश किए थे।
मसौदे में कहा गया है कि ‘नियम की भाषा में सुधार लाना चाहिए। खास कर दंड के प्रावधानों और अधिक स्पष्ट किये जाने चाहिए।’
निवेश परामर्शदाता, एस पी तुलसियान ने बताया, ‘भेदिया कारोबारियों को धर दबोचना काफी मुश्किल काम है। यह सभी जानते हैं कि सारे टिप्स प्रबंधन द्वारा ही दिए जाते हैं। लेकिन अब देखना यह है कि नियमों को अंतिम रुप दिए जाने के बाद इसे किस तरह लागू किया जाता है।’
यह राज अब खुल चुका है कि निवेश बैंकर खुद ही ग्रे मार्केट को यह सूचना देते थे कि पहले पब्लिक ऑफर से पैसे जुटाने के बाद शेयर का कारोबार कितने अधिक मूल्य पर किया जाएगा। ऐसा वे कंपनी के शेयरों की मांग में वृध्दि के लिए करते हैं।
एक दलाल ने बताया, ‘कम से कोई कोई प्रबंधन इस बात से अनभिज्ञ नहीं होगा कि कंपनी के शेयर के साथ क्या कुछ हो रहा है।’
बहरहाल, सेबी के मसौदे में यह भी कहा गया है कि इसके दायरे में डेरिवेटिव को भी लाया जाए। वर्ष 1992 में पहली दफा जब भेदिया कारोबार से संबंधित कानून बने थे तो उस वक्त भारत में डेरिवेटिव कारोबार चलन में नहीं था।
पहले कोई भी टिप पाने वाला व्यक्ति डेरिवेटिव के माध्यम से काम कर सकता था। डेरिवेटिव कारोबार में शेयरों की खरीद-बिक्री बगैर शेयर का वास्तविक लेन-देन किए की जाती है।
इस प्रकार कोई व्यक्ति आसानी से कंपनी के इक्विटी शेयर से मिलता जुलता समान आर्थिक प्रभाव वाला सिंथेटिक शेयर तैयार कर सकता है।
इस समस्या के समाधान के लिए सेबी शेयरों के प्रतिभूति (सिक्योरिटीज) में पुनर्वर्गीकरण का प्रस्ताव प्रकटीकरण के लिए कर रही है। इस प्रकार इस समस्या का समाधान मिल जाता है क्योंकि सिक्योरिटीज को इक्विटी, क्वासी-इक्विटी, डेरिवेटिव और इनके किसी मिश्रण को शामिल करते हुए परिभाषित किया गया है।
सेबी का एक प्रस्ताव यह है कि विशुध्द ऋण उपकरणों को प्रकटीकरण के दायरे से बाहर रखा जाए जबकि उन्हें नियम तीन और चार के सब्सटैंसिव वायलेशन प्रोविजन के दायरे में रखा जाए।
पत्र में कहा गया है कि ‘इस प्रकार वैसा भेदिया जिसकी ऋण में हिस्सेदारी है और जो कंपनी की ऋण शोधन क्षमतारेटिंग की समस्याओं से अवगत है, अपनी ऋण प्रतिभूतियों को बेचता है उसे इस प्रत्यादेश के तहत लाया जाना जारी रहेगा।’
मुंबई स्थित एक शीर्षस्थ फर्म के कॉर्पोरेट वकील ने कहा, ‘एक बार अंतिम रुप दे दिए जाने के बाद ये नियम वैसे लोगों को डरा कर रोकने का काम करेगा जो तंत्र का लाभ उठाना चाहेंगे।
हालांकि संबंधित व्यक्ति को नोटिस भेजने से पहले सेबी को मामला पुख्ता बना लेना चाहिए।’ अभी तक इस मामले में किसी को अपराधी सिध्द नहीं किया गया है लेकिन बंद हुए मामलों (केस) के कई मामले हैं।
भारत में सामान्य या प्रक्रिया-उन्मुख प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में किसी को दस वर्षों की जेल हो सकती है लेकिन सेबी अब उसमें बदलाव का प्रस्ताव ला रही है।
पत्र में इस बात का भी प्रस्ताव है कि भेदिया कारोबार से संबंधित नियमों को और मुनासिब और प्रभावकारी बनाया जाए।
उपायों में अधिग्रहण के प्रावधानों को आसान बनाना शामिल है ताकि प्रकटीकरण के मामले में भेदिया के ऊपर कोई अतिरिक्त बोझ न रहे।
नियामक यह प्रस्ताव भी करता है कि ‘हानिरहित’ कार्य जैसे बोनस या राइट्स इश्यू जारी करने को भेदिया कारोबार के नियमों के दायरे से बाहर रखा जाए जो मूल्य-संवेदनशील नहीं हैं।
जनवरी में सेबी ने एक पत्र में यह प्रस्ताव किया था कि कंपनी के भेदिए को इक्विटी आधारित प्रतिभूतियों के लेन देन से अर्जित मुनाफा सरेंडर कर देना चाहिए अगर खरीद और बिक्री दोनों तरह के लेन देन एक दूसरे के छह महीने के भीतर किए जाते हैं।
‘शॉर्ट स्विंग प्रॉफिट’ के नाम से प्रस्तावित दिशानिर्देश वैसे भेदिए पर अंकुश लगाएंगे जिनकी पहुंच कंपनी के मूल्य-संवेदनशील सूचनाओं तक आसान है।
राज्यसभा में दिए गए एक बयान में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘पिछले दो सालों के दौरान सेबी ने भेदिया कारोबार के 39 मामलों पर कार्रवाई की है।’
भेदिया कारोबार के लिए हाल में जिस कंपनी पर जुर्माना किया गया था वह इन्फोसिस थी। जिस पर अमेरिकी नियामक, सिक्योरिटीज एेंड एक्सचेंज कमीशन, ने जुर्माना किया था।
मुख्य कार्याधिकारी, क्रिस गोपालकृष्णन पर शेयरधारिता में बदलाव की सूचना कंपनी को एक व्यावसायिक दिन के भीतर न दिए जाने की वजह से जुर्माना किया गया था। 24 दिसंबर 2007 को गोपालकृष्णन ने अपनी मां से कंपनी के 12,800 इक्विटी शेयर हासिल किए थे।
अमेरिका में भेदिया कारोबार एक गंभीर अपराध है जिसका निपटान उपयुक्त प्रकटीकरण तंत्र के जरिए किया जाता है।
उदाहरण के लिए, आईएमक्लोन सिस्टम के मुख्य कार्याधिकारी सैम वक्साल को भेदिया कारोबार नियम के उल्लंघन के लिए सात साल तीन महीने की सजा हुई थी।
उसने अपने भाई जो कंपनी में मुख्य वित्तीय अधिकारी था से सीखा था कि फूड ड्रग एडमिन्सट्रेशन उसके आवेदन को अस्वीकार करेगी और इस आधार पर उसने काम को अंजाम दिया था।
