डिजिटल बैंकिंग चैनल के जरिये अचानक से बड़े पैमाने पर जमा राशि निकाले जाने के कारण आरबीआई ने बैंकों के नकदी अनुपात ढांचे की समीक्षा करने का फैसला किया है। भारतीय रिजर्व बैंक शीघ्र ही इस बारे में लोगों की राय जानने के लिए मसौदा परिपत्र जारी करेगा।
नकदी कवरेज अनुपात (एलसीआर) के तहत आने वाले बैंकों को उच्च गुणवत्ता वाली तरल परिसंपत्तियों (एचक्यूएलए) का स्टॉक कायम रखना होता है, ताकि अगले 30 कैलेंडर दिनों में अपेक्षित शुद्ध नकदी बहिर्प्रवाह को संभाला जा सके।
वैधानिक नकदी अनुपात के लिए पात्र प्रतिभूतियों में केंद्र और राज्य के बॉन्ड शामिल हैं। इन प्रतिभूतियों को एलसीआर की गणना के लिए एचक्यूएलए के रूप में गिना जाता है। बैंकों को 100 फीसदी एलसीआर बनाए रखना होगा।
आरबीआई ने बैंकों के नकदी जोखिम के बेहतर प्रबंधन के लिए एलसीआर ढांचे में चुनिंदा बदलाव किए हैं।
आरबीआई ने कहा, ‘दबाव की स्थिति में डिजिटल चैनल के जरिये जमाकर्ताओं के त्वरित ढंग से धन निकालने या स्थानांतरण किया गया था। ऐसे उभरते जोखिमों से निपटने के लिए एलसीआर ढांचे में कुछ बदलाव किए जाए।’
कई क्षेत्रों में हाल में ऐसे प्रकरण देखे गए जिसमें जमाकर्ताओं की दबाव के समय डिजिटल बैंकिंग चैनलों का इस्तेमाल करते हुए तेजी से जमा निकाले या हस्तांतरित करने की क्षमता बढ़ी है।