प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
जियो फाइनैंशियल सर्विसेज के चेयरमैन केवी कामत ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की घोषित हालिया नीतियों से बैंकों को अपने पूंजी का पूरा इस्तेमाल करने की अनुमति मिलेगी। इससे बैंक धन जुटाने के प्रोफाइल से लेकर कारोबार तक को संतुलन के स्तर पर रख सकेंगे। दरअसल, धन जुटाना का रुझान खुदरा क्षेत्र की ओर हो रहा था।
रिजर्व बैंक ने बीते सप्ताह 22 उपायों की घोषणा की थी। इन उपायों का उद्देश्य वास्तविक अर्थव्यवस्था में उधारी का प्रवाह बढ़ाना और कारोबार करने की आसानी से बढ़ाना था। हालांकि इस दौरान बैंकों की लागत भी कम रहेगी। इन उपायों के तहत भारत की गैर वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों को बैंक से धन जुटाने, प्रतिभूतियों व आईपीओ के लिए धन मुहैया कराने के लिए ऋण की सीमा बढ़ाने और आवास ऋणों पर जोखिम भारांश को करने सहित मंजूरियां शामिल थीं।
भारत के बैंकों को गैर बैंकिंग इकाइयों के अधिग्रहण और जमीन अधिग्रहण के लिए विशेष प्रयोजन के तरीकों की अनुमति दी जाएगी। इससे बैंकों की दीर्घावधि से लंबित मांगें हल होंगी। भारत में धन का प्रवाह बढ़ाने के लिए अन्य महत्त्वपूर्ण उपायों में भारत की बैंकिंग प्रणाली में 10,000 करोड़ रुपये की उधारी की सीमा को हटाना भी शामिल है जबकि बैंक-वार प्रतिबंध शामिल रहेंगे। बैंक द्वारा ऋण एक विशेष उधारकर्ता को उसकी नेट वर्थ का 20 प्रतिशत और एक समूह के 25 प्रतिशत तक शामिल है।
विशेषज्ञों और बैंकरों ने इन इंतजामों पर कहा कि इससे कॉरपोरेट क्षेत्र में बैंक से धन जुटाए जाने की मांग बढ़ेगी। दरअसल कॉरपोरेट क्षेत्र धन जुटाने के लिए बैंक से धन लेने की जगह पूंजी बाजार व विदेशी से धन जुटा रहा है। इसके अलावा कामत ने उजागर किया कि भारत वह अर्थव्यवस्था नहीं है जो विदेशी पूंजी से निर्धारित होती है।