देश भर में डिजिटल भुगान को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज कहा कि वह 500 करोड़ रुपये की पूंजी से पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (पीआईडीएफ) का गठन कर रहा है। इसके लिए रिजर्व बैंक ने 250 करोड़ रुपये का शुरुआती अंशदान किया है, जो फंड का आधा है। शेष राशि कार्ड जारी करने वाले बैंकों और देश में कार्ड नेटवर्क का परिचालन करने वालों की ओर से आएगी।
इस फंड का गठन टियर-3 से टियर-6 तक के केंद्रों व पूर्वोत्तर राज्यों में भौतिक व डिजिटल प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) बुनियादी ढांचा बढ़ाने के लिए किया गया है। यह भारत के भुगतान और समाधान व्यवस्था 2019-2021 के प्रस्तावित विजन दस्तावेज के अनुरूप है।
समर्पित फंड डिजिटल भुगतान बुनियादी ढांचा बढ़ाने के लिए है, जिस पर आने वाले खर्च का वहन कार्ड जारी रने वाले बैंक और कार्ड नेटवर्क करेंगे और अगर धन की कमी आती है तो जरूरत पडऩे पर केंद्रीय बैंक भी इसमें अंशदान करेगा। यह फंड सलाहकार परिषद द्वारा संचालित होगा, लेकिन इसका प्रबंधन एवं प्रशासन रिजर्व बैंक करेगा।
रिजर्व बैंक ने कहा, ‘कई साल से देश में भुगतान के तरीकों में विविधता आई है और बैंक खातों, मोबाइल फोन, कार्ड आदि का विकल्प इस्तेमाल होने लगा है। भुगतान प्रणाली में डिजिटलीकरण को आगे और बल देने के लिए यह जरूरी है कि देश भर में इसके लिए उचित बुनियादी ढांचा तैयार किया जाए। खासकर उन इलाकों में व्यवस्था की जरूरत है, जहां सेवाएं कम हैं।’
विजन दस्तावेज में कहा गया है कि पीओएस लेन देन में डेबिट कार्ड का इस्तेमाल 2021 तक इससे कुल लेन देन का 44 प्रतिशत हो जाएगा। देश भर में कार्ड की स्वीकार्यता के लिए बुनियादी ढांचा बढऩे के साथ खासकर छोटे केंद्रों सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है, जिससे कार्ड से संपर्करहित भुगतान की व्यवस्था हो सके।
पीओएस इन्फ्रास्ट्रक्चर बढऩे से कैश की मांग समय के साथ साथ बढऩे की संभावना है। विजन दस्तावेज में अनुमान लगाया गया है कि 2021 तक करीब 50 लाख सक्रिय पीओएस होंगे। पिछले साल रिजर्व बैंर ने एक्सेप्टेंस डेवलपमेंंट फंड का प्रस्ताव किया था, जिसका इस्तेमाल छोटे शहरों में कार्ड स्वीकार्यता संबंधी बुनियादी ढांचा के विकास में करना था।