बैंक

सवाल: जवाब- अगले वित्त वर्ष के मध्य तक ब्याज दर घटने की उम्मीद: SBI चेयरमैन दिनेश खारा

रिजर्व बैंक का साफतौर पर घरेलू महंगाई दर पर ध्यान है। महंगाई दर अभी 5 प्रतिशत से ऊपर है

Published by
मनोजित साहा   
Last Updated- December 17, 2023 | 9:09 PM IST

भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा थोक ऋण की मांग को लेकर आश्वस्त हैं क्योंकि बैंक के पास 4.7 लाख करोड़ रुपये ऋण की मंजूरी विचाराधीन है। खारा ने मनोजित साहा से बातचीत में कहा कि इस वित्त वर्ष में बैंक का लाभ बढ़ेगा और इससे पूंजी पर्याप्तता अनुपात 140 आधार अंक बढ़ जाएगा। प्रमुख अंश…

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अगले साल दरों में कटौती के संकेत दिए हैं। क्या रिजर्व बैंक 2024 से रीपो रेट कम करने की स्थिति में होगा?

रिजर्व बैंक का साफतौर पर घरेलू महंगाई दर पर ध्यान है। महंगाई दर अभी 5 प्रतिशत से ऊपर है। हमने पहले भी देखा है कि हमारी मौद्रिक नीति अमेरिका से काफी अलग है। हां, यह सकारात्मक है कि फेडरल रिजर्व ने दरों में 3 कटौती के संकेत दिए हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगले वित्त वर्ष के मध्य तक ब्याज दरों में कुछ कमी आएगी। लेकिन यह महंगाई दर 4 प्रतिशत के नीचे आने पर निर्भर है। हम नजर रखे हुए हैं कि किस तरह से स्थितियां बदलती हैं।

नकदी की तंग स्थिति रहने की संभावना के बीच वैरिएबल रीपो रेट (वीआरआर) की नीलामी को लेकर आपका क्या विचार है?

मुझे लगता है कि यह व्यावहारिक दृष्टिकोण है। रिजर्व बैंक व्यवस्था पर अनावश्यक रूप से दबाव नहीं डालना चाहता क्योंकि अग्रिम कर एक हकीकत है और इससे व्यवस्था से नकदी निकलती है। पर्याप्त नकदी बहाल रखना व्यवस्था को बनाए रखना है और यह इस दिशा में सही कदम लगता है।

रिजर्व बैंक ने असुरक्षित ऋण का जोखिम अधिभार बढ़ा दिया है। बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है, इसलिए उन पर संभवतः कोई असर नहीं पड़ेगा। नियामक क्या संदेश देना चाहता है?

संदेश बहुत साफ है। वृद्धि अच्छी है। लेकिन स्वस्थ वृद्धि की कवायद की जानी चाहिए। अस्वास्थ्यकर वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिसका कोई इरादा नहीं है। इस संदेश को कोविड के पहले के असुरक्षित ऋण के हिसाब से देखा जाना चाहिए, जब जोखिम अधिभार 125 प्रतिशत था। कोविड के दौरान ही इसे घटाकर 100 प्रतिशत पर लाया गया। अब कोविड पीछे छूट गया है तो हम 125 प्रतिशत पर आ गए हैं।

क्या असुरक्षित ऋण की वृद्धि सुस्त होने की उम्मीद है?

व्यवस्था में असुरक्षित ऋण 30 से 33 प्रतिशत की तेज दर से बढ़ रहा था। हमने इसे जानबूझकर धीमा किया है और इसे 18 प्रतिशत पर लाए हैं। हमें उम्मीद है कि अब यह इस स्तर से बढ़ेगा। हम नहीं चाहते कि इस खास सेग्मेंट में अस्वास्थ्यकर वृद्धि हो।

क्या आप एनबीएफसी को दिया जाने वाला ऋण सुस्त करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि इस सेग्मेंट में भी जोखिम अधिभार बढ़ा है?

हम इसे सुस्त करने नहीं जा रहे हैं। इसके लिए हमारा 3 लाख करोड़ रुपये का पोर्टफोलियो है। इसमें से करीब 2.7 लाख करोड़ रुपये शानदार रेटिंग वाले एनबीएफसी को दिया गया है। इसमें से कुछ सरकारी हैं जबकि अन्य को मजबूत औद्योगिक समूहों का समर्थन है। हम एनबीएफसी को ऋण देते समय बहुत सचेत रहते हैं। हमने अंडरराइटिंग गतिविधियों को मजबूत किया है। इसलिए नहीं लगता कि हम पर कोई असर पड़ेगा।

क्या रिजर्व बैंक ने असुरक्षित ऋणों पर ब्याज बढ़ाया है?

इस मसले पर एएलसीओ (असेट-लाइबिलिटी कमेटी) में बहस हुई है और जल्द ही इस पर फैसला किया जाएगा।

जोखिम अधिभार में बढ़ोतरी का एसबीआई की पूंजी की स्थिति पर क्या असर होगा?

हमने एनबीएफसी व असुरक्षित ऋण पर जोखिम अधिभार के असर का आकलन किया है। यह कुल मिलाकर 70 आधार अंक होगा।

स्टेट बैंक के ऋण में वृद्धि सितंबर तक 12.4 प्रतिशत रही है। क्या शेष वित्त वर्ष में यह तेजी बरकरार रहेगी?

मुझे ऐसी उम्मीद है। जब मैं रोजाना के अपने आंकड़े देखता हूं भरोसा होता है कि यह तेजी बरकरार रहेगी।

चालू वित्त वर्ष में ऋण वृद्धि को लेकर क्या अनुमान है?

मुझे उम्मीद है कि यह 14 से 15फीसदी रहेगा।

स्टेट बैंक का ऋण जमा अनुपात करीब 71 प्रतिशत है। क्या आपको यह आंकड़ा ऊपर जाने की उम्मीद है?

अगर हम घरेलू सीडी रेशियो देखें तो यह करीब 66 प्रतिशत है। अगर हम घरेलू और विदेशी स्थिति देखें तो यह 72 प्रतिशत है। यह सुधरकर 100 प्रतिशत या इससे ऊपर हो सकता है।

थोक ऋण की मांग कैसी है?

हमारे पास मंजूरी के लिए 4.7 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव है। यह साफ संकेत है कि लोगों ने निवेश के अवसरों का मूल्यांकन किया है और प्रस्तावों के लिए ऋण मंजूरी के लिए संपर्क साधा है। जहां तक ऋण में बढ़ोतरी का सवाल है, यह तुरंत नहीं दिखेगा। इसमें से ज्यादातर सावधि ऋण है, निश्चित अवधि में दिया जाएगा। साथ ही ऋण को मंजूरी दिए जाने और ऋण जारी करने की अवधि में अंतर होता है।

वित्त वर्ष 2022-23 में निवेश प्रतिबद्धता 35 लाख करोड़ रुपये थी और उसके पहले 2022-22 में यह 22 लाख करोड़ रुपये थी। इस साल पहली छमाही में यह 20 लाख करोड़ रुपये है। जब मैं यह आंकड़ा देखता हूं तो तार्किक रूप से सामने आता है कि बैंक के ऋण खाते में यह नजर आएगा। लेकिन इसमें वक्त लगता है।

क्या आपको लगता है कि जमा दर बढ़ाने का दौर खत्म हो गया है? अगर ऐसा नहीं है तो इसका मुनाफे पर क्या असर होगा?

बड़ा हिस्सा पहले ही जमा हो चुका है, जिसका मुनाफे पर 3 से 5 आधार अंक असर होगा। यह एक साल की अवधि के लिए किया गया है। ऐसे में शुद्ध ब्याज लाभ पर अधिकतम 3 से 5 आधार अंक का असर होगा।

अगर जमा की बात करें तो स्टेट बैंक के जमा में 12 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हई है। वहीं निजी क्षेत्र के कई बैंक आक्रामक रूप से धन जुटा रहे हैं। क्या आप निजी क्षेत्र से प्रतिस्पर्धा को लेकर सचेत हैं? क्या आप अपनी बाजार हिस्सेदारी बरकरार रख पाएंगे?

जहां तक प्रतिस्पर्धा की बात है, हमारी कवायद अग्रणी बने रहने की है। हमने विभिन्न श्रेणियों में अपने ब्याज में बदलाव किया है। यह हमारे आकलन के आधार पर है कि जमाकर्ता उसमें धन जमा कर सकते हैं। हमें विश्वास है कि हम अपनी बाजार हिस्सेदारी बरकरार रख पाएंगे।

स्टेट बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 30 सितंबर को 14.28 प्रतिशत था। क्या आप इक्विटी पूंजी में चालू वित्त वर्ष के दौरान किसी बढ़ोतरी की जरूरत महसूस कर रहे हैं?

पिछले साल हमें 50,000 करोड़ रुपये मुनाफा हुआ था, जिसमें से 40,000 करोड़ रुपये कारोबार में लगा दिए। इसके पहले साल में 32,000 करोड़ रुपये मुनाफा हुआ और हमने 25,000 करोड़ रुपये लगाए।

इस साल पहली छमाही में 31,000 करोड़ रुपये मुनाफा हो चुका है और इसका बड़ा हिस्सा हम कारोबार में लगाएंगे। इससे भारतीय स्टेट बैंक के इक्विटी को मजबूती मिलती है। ऐसा करने पर पूंजी पर्याप्तता 140 आधार अंक बढ़ेगी।

आपने चेयरमैन के रूप में 3 साल पूरे कर लिए हैं। अभी क्या काम अधूरा है, जो आपकी प्राथमिकता में है?

योनो 2.0 का काम पूरा नहीं हुआ है। हम इस पर काम कर रहे हैं। काम प्रगति पर है। यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना है। मौजूदा योनो में लगातार सुधार हो रहा है।

First Published : December 17, 2023 | 9:09 PM IST