सरकार जल्द ही सभी चूक वाले खातों के लिए नए फोरेंसिक एकाउंटिंग मानकों की घोषणा करेगी। कुछ खातों के मामले में एक बैंक ने उसे फ्रॉड के रूप में वर्गीकृत किया है, वहीं अन्य सरकारी बैंक ने उसी खाते को गैर फ्रॉड के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसे देखते हुए यह जरूरी हो गया है, जिसकी वजह से यह कदम आवश्यक हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक कंपनी मामलों का मंत्रालय जल्द ही नए फोरेंसिंक मानकों को अधिसूचित करेगा, जो सभी ऑडिटरों पर लागू होंगे, जो गैर सहकारी उधारी लेने वालों, जानबूझकर चूक करने वालों और धोखाधड़ी के मामलों के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक की अधिसूचनाओं के अनुपालन के हिसाब से बैंकों की फोरेंसिंक अकाउंटिंग कर रहे हैं।
साथ ही ऋणशोधन अक्षमता और दिवाला बोर्ड भी दिवाला कंपनियों की फोरेंसिक ऑडिट के लिे इन्हीं मानकों का इस्तेमाल करेगा। संपर्क किए जाने पर ऑडिटरों ने कहा कि यह सही कदम हैं कि मानक नियम हों। छाजेड ऐंड दोषी में वरिष्ठ पार्टनर और आईसीएआई प्रमाणित फोरेंसिक और धोखाधड़ी पहचान करने वाले पेशेवर महिंद्रा छाजेड ने कहा, ‘यह आईसीएआई का स्वागतयोग्य कदम है कि वह फोरेंसिंक स्टैंडर्ड जारी करे। इससे पेशेवरों को काम करने व जरूरी दस्तावेजों को जुटाने में मानक दिशानिर्देश स्थापित हो सकेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘इसके पहले फोरेंसिक पेशेवरों के निष्कर्षों पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन मानक जारी होने के बाद रिपोटिंग में ज्यादा स्थिरता रहेगी।’
कॉर्पोरेट वकीलों ने कहा कि भारत के विभिन्न न्यायालयों में सैकड़ों मुकदमे उधारी लेने वालों, कंपनियों और व्यक्तिगत लोगों द्वारा दायर किए गए हैं, जिसमें फोरेंसिक ऑडिट पर आपत्ति जताई गई है। पिछले साल दिसंबर में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए एक खाते को फ्रॉड घोषित करने पर रोक लगा दी थी कि रिजर्व बैंक की अधिसूचना के मुताबिक बैंकों द्वारा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बगैर फ्रॉड घोषित करना मनमाना और गैर कानूनी है। बाद में इस आदेश को स्टेट बैंक और अन्य बैंकों ने उच्चचम न्यायालय में चुनौती दी। भारतीय रिजर्व बैंक भी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने की प्रक्रिया में है।
