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ब्याज दरों से और छेड़छाड़ की उम्मीद नहीं

Last Updated- December 07, 2022 | 10:04 PM IST

ऐसी संभावना बनती नजर आ रही है कि केंद्रीय बैंक 24 अक्टूबर को होने वाली अपनी तिमाही मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है।

बैंकरों, आर्थिक विशेषज्ञों और एक वित्त मंत्रालय केअधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि केंद्रीय बैंक मंहगाई दर का विकास के साथ संतुलन स्थापित करने के प्रयासों के तहत ब्याज दरों को स्थिर रख सकती है।

गौरतलब है कि महंगाई में पिछले कुछ हफ्तों से गिरावट देखी जा रही है। कुछ आर्थिक विशेषज्ञों के मत से सहमति जताते हुए एक वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि महंगाई के पूरी तरह नियंत्रण में होने के बावजूद मेरा मानना है कि केंद्रीय बैंक घरेलू ब्याज दरों को अपरिवर्तित रख सकता है। एचडीएफसी बैंक के वरिष्ठ आर्थिक विशेषज्ञ अभीक बरुआ ने कहा कि मैं सोचता हूं कि आरबीआई घरेलू तरलता के बारे में चिंतित है।

मेरा मानना है कि ब्याज दरें अपरिवर्तित रहेंगी। मैक्वैरी कैपिटल सिक्योरिटीज के आर्थिक विशेषज्ञ राजीव मलिक का कहना है कि हम अब मानते हैं कि आरबीआई रेपो रेट को नौ फीसदी के स्तर पर अपरिवर्तित रखेगा जबकि पहले आशंका ब्यक्त की जा रही थी कि आरबीआई रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसी संभावना कम ही है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में आगे किसी भी प्रकार की कोई बढ़ोतरी करेगा क्योंकि सरकार उधारी को आसान बनाने के बारे में सोच रही है।

हमारे मत परिवर्तन की मुख्य वजह चल रहा वैश्विक वित्त्तीय संकट है। केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाता हुआ इसलिए भी नहीं दिखता है क्योंकि वह पहले से ही स्थानीय मनी मार्केट तरलता को आसान करने का प्रयास कर रहा है।

सितंबर को समाप्त हुए हफ्ते देश की महंगाई दर 12.14 फीसदी के स्तर पर रही। आरबीआई ने कहा कि उसकी योजना मंहगाई दर को गले मार्च तक घटाकर सात फीसदी के स्तर पर लाना है।

मलिक ने कहा कि महंगाई में मार्च 2009 के अंत तक इकाई अंकों तक गिरावट हो सकती है। गौरतलब है कि अगस्त के महीने में महंगाई की दर 16 सालों के उच्चतम स्तर 12.64 फीसदी पर पहुंच गई थी।

इसी क्रम में आरबीआई महंगाई को तेजी से नीचे लाने के क्रम में मौद्रिक नीति को कठोर करने की जगह नीतियों को अपरिवर्तित रखना अधिक पसंद करेगा। गोल्डमैन सैक्स में एशिया इकनॉमिक रिसर्च टीम के उपाध्यक्ष तुषार पोद्दार का कहना है कि ब्याज दरों में हाल में कोई कटौती करना संभव नहीं दिखता है क्योंकि महंगाई के पूरे साल के दौरान दोहरे अंकों में बने रहने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि ऊंची महंगाई से गिरती वृध्दि दर के एक मैक्रो सिफ्ट के रूप में केंद्रीय बैंक का अगला कदम साल 2009 की पहली तिमाही में रेपो दरों में कटौती करना होगा।

पोद्दार ने यह भी कहा कि मौजूदा वैश्विक वित्त्तीय संकट के माहौल में केंद्रीय बैंक लिक्विडिटी इंजेक्सन मोड में रहेगी।  सोमवार को आरबीआई ने इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों को विदेशी से की जाने वाली उधारी में कुछ राहत दी थी।

केंद्रीय बैंक के इस कदम के बारे में सिटी इंडिया की इकोनोमिस्ट रोहिनी मलकानी का कहना है कि जब ये पाबंदियां लगाई गई थीं तब से वित्त्तीय बाजार के हालातों में नाटकीय बदलाव आया है।

उधारी नियमों में मिली राहत से रुपए को कुछ सपोर्ट मिलने के साथ पूंजी के आवक में भी सुधार होगा। मलकानी का कहना है कि भारतीय रुपया फिर डॉलर की तुलना में 43 से 44 रुपए के स्तर पर पहुंच सकता है।



 

First Published - September 23, 2008 | 10:30 PM IST

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