अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का बढ़ता दबाव देखकर भारतीय रिजर्व बैंक बैंकिंग तंत्र से नकदी खींचने में जुट गया है। मगर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा का कहना है कि अगले हफ्ते होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में बैंकों के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआआर) की जरूरत और बढ़ाए जाने की संभावना नहीं है।
पिछले महीने छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने तय बैठक के बगैर ही अचानक रीपो दर में बढ़ोतरी कर सबको चकित कर दिया था। केंद्रीय बैंक ने 50 आधार अंक बढ़ोतरी कर सीआरआर 4.5 फीसदी कर दिया था और बैंकिंग तंत्र से 87,000 करोड़ रुपये खींच लिए। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में खारा ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि सीआरआर में और इजाफा होगा। 50 आधार अंक की बढ़ोतरी से 87,000 करोड़ रुपये पहले ही खींचे जा चुके हैं। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि आगे सीआरआर में वृद्धि की जाएगी।’
रिजर्व बैंक द्वारा तरलता खींचे जाने के बाद आज 3.27 लाख करोड़ रुपये नकदी रह गई, जो अपैल के अंत में 5 लाख करोड़ रुपये थी। इससे संकेत मिलता है कि बैंकिंग तंत्र में अब पहले जैसी अतिरिक्त तरलता नहीं रहेगी।
हालांकि खारा ने कहा कि अत्यधिक नकदी खींचे जाने के बावजूद एसबीआई की ऋण वृद्धि पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘जहां तक एसबीआई की बात है तो हम सहज स्थित में हैं। हमारी एएफएस बुक बेहतर है, जिससे पर्याप्त तरलता सुनिश्चत होती है। अगर हमें उधार में अच्छी वृद्धि दिखती है तो हम इसे उपलब्ध करा सकते हैं। जमा और उधारी में साल भर पहले की तुलना मेंअच्छी वृद्धि दिख रही है। इससे भरोसा बढ़ा है। जहां तक एसबीआई की बात है तो कोई चुनौती नजर नहीं आती।’
खारा ने कहा कि चौथी तिमाही में कर्ज की मांग में अच्छी वृद्धि देखी गई, जो चालू वित्त वर्ष में भी जारी रहनी चाहिए। एसबीआई को उम्मीद है कि उधारी में ज्यादा तेजी बेशक नहीं आए मगर बैंक की उधारी वृद्धि 2022-23 के समान रह सकती है। उन्होंने कहा, ‘पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में उधारी वृद्धि देखें तो यह कार्यशील पूंजी के बेहतर उपयोग के लिए थी, जो बड़ी कंपनियों तक सीमित था और टर्म लोन सुविधा का भी उन्होंने लाभ उठाया। यह रुझान आगे भी जारी रहेगा। हमारे पास कर्ज के काफी प्रस्ताव भी हैं, जिन पर काम चल रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि कंपनियों की ओर से कर्ज की अच्छी मांग है।’
वित्त वर्ष 2023 में उधारी वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर खारा ने कहा कि आंकड़ा बेहतर नहीं रहा तो कम से कम पिछले साल जितना रहेगा। यह उससे बेहतर भी हो सकता है।
