प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ई-रुपी नाम के एक डिजिटल प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) मंच की शुरुआत की जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि इस मामले में उपयोगकर्ताओं द्वारा ट्रांसफर किए गए पैसे का इस्तेमाल ठीक उसी मकसद के लिए किया जाए जो उसका लक्ष्य है। प्रधानमंत्री मोदी ने दिसंबर 2016 में भीम-यूपीआई भुगतान प्रणाली के शुभारंभ की तरह ही ई-रुपी को ‘बड़ा सुधार’ करार दिया। यूपीआई प्रणाली ने वास्तव में भारत में भुगतान की पूरी प्रक्रिया ही बदल दी है और कई मामलों में यह भुगतान का पसंदीदा तरीका बन गया है। अकेले जुलाई में ही यूपीआई ने 3 अरब लेन-देन किए और यह करीब 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक थी।
ई-रुपी भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा तैयार की गई एक वाउचर भुगतान प्रणाली है जिसका इस्तेमाल डीबीटी योजनाओं के लाभार्थियों से सीधे जुडऩे के लिए किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय की योजनाओं की रकम के हस्तांतरण के लिए ई-रुपी की शुरुआत की गई हैं। डीबीटी राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा होती है लेकिन इसके बजाय ई-रुपी के माध्यम से एक समान राशि वाला वाउचर सीधे लाभार्थी के मोबाइल फोन पर एसएमएस स्ट्रिंग या क्यूआर कोड के रूप में भेजा जाएगा।
लाभार्थी को एसएमएस या क्यूआर कोड विशिष्ट केंद्रों को दिखाना होगा जहां उसे मोबाइल नंबर पर भेजे गए कोड के साथ भुनाया जा सकता है। इसे किसी खास मकसद से लक्षित किया जाएगा और किसी भी अन्य चीज के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर ई-रुपी को टीकाकरण का लाभ उठाने के लिए लाभार्थी के पास भेजा गया है तो केवल टीकाकरण केंद्र पर ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
पीएम मोदी ने इस सुविधा का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘इससे यह सुनिश्चित होगा कि धन का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए किया जाता है जिसके लिए यह दिया जाता है।’ इससे पहले, लाभ की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में जमा होती थी और फिर इसे निकालकर उपभोग आदि के मकसद से इसका इस्तेमाल करना संभव था। नई हस्तांतरण की योजना में यह खत्म किया जा सकता है।
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उन लाभार्थियों का क्या होगा जिनके पास मोबाइल फोन तक नहीं है। एक बैंकर ने कहा, ‘ऐसे मामलों में डीबीटी योजना कुछ और समय तक जारी रहने की संभावना होगी।’ प्रधानमंत्री मोदी ने आगे ई-रुपी का इस्तेमाल सरकार की अन्य प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजनाओं के लिए भी किया जाएगा। फिलहाल सरकार के 54 मंत्रालयों द्वारा 315 डीबीटी योजनाएं संचालित होती हैं। हालांकि सभी योजनाएं हर किसी के लिए नहीं हैं। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के आंकड़ों केमुताबिक अब तक इसमें 7.32 लाख करोड़ लेन-देन हुए हैं और लाभार्थियों को लगभग 1.42 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में बैंकों और भुगतान प्रणालियों की बड़ी भूमिका है और अस्पतालों तथा कॉरपोरेट संस्थाओं ने भी इस तकनीक को अपनाने में रुचि दिखाई है। उन्होंने क’हा, ‘राज्य सरकारों को भी एक ईमानदार प्रणाली तैयार करने के लिए अपनी कल्याणकारी योजनाओं के लिए मंच का उपयोग जरूर करना चाहिए।’
हालांकि ई-रुपी का इस्तेमाल निजी कंपनियों द्वारा भी अपनी कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के लिए किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने एक निजी अस्पताल में 100 लोगों के टीकाकरण की जिम्मेदारी लेने वाले कॉरपोरेट प्रायोजन टीकाकरण का उदाहरण दिया। इस मामले में लाभार्थी को अस्पताल से मुफ्त टीके मिलेंगे लेकिन वह भी ई-रुपी एसएमएस या क्यूआर कोड दिखाने के बाद ही संभव है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि डीबीटी यह सुनिश्चित करता है कि पैसा लाभार्थी तक पहुंचे और किसी गलत हाथों में न चला जाए जिसकी वजह से कम से कम 1.75 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। डीबीटी के जरिये 90 करोड़ से अधिक नागरिकों को फायदा मिला है जिनमें पीएम किसान सम्मान निधि, सार्वजनिक वितरण सेवाएं, एलपीजी गैस सब्सिडी आदि योजनाएं शामिल हैं।