दुन ऐंड ब्राडस्ट्रीट द्वारा मंगलवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के पुराने भारतीय बैंकों की बाजार हिस्सेदारी तेजी से घटती जा रही है।
इसकी जगह नए प्रतिस्पर्ध्दियों की हिस्सेदारी बढ़ रही है। निजी क्षेत्र के पुराने बैंकों को व्यावसायिक ग्रोथ में मंदी का सामना करना पड़ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के पुराने बैकों की जमाओं में वर्ष मार्च 2007 को समाप्त हुए वर्ष के दौरान छह प्रतिशत की वृध्दि हुई जबकि इसी अवधि में अग्रिम में 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
रिपोर्ट के मुताबिक इसी अवधि के लिए औसत औद्योगिक ग्रोथ जमाओं के लिए 25 प्रतिशत और अग्रिमों के लिए 31 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में 80 अनूसूचित वाणिज्यिक बैंकों को शामिल किया गया। इनमें 23 निजी क्षेत्र के बैंक भी शामिल थे।
निजी क्षेत्र के बैंकों में पुराने बैंकों जैसे फेडेरल बैंक, साउथ इंडियन बैंक, करूर वैश्य बैंक, सिटी यूनियन बैंक एवं अन्य शामिल किए गए थे।
निजी क्षेत्र के नए आक्रामक बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, ऐक्सिस बैंक एवं कोटक महिन्द्रा बैंक आदि को शामिल किया गया था।
दुन ऐंड ब्राडस्ट्रीट ने इंगित किया है कि एकीकरण आने वाले समय में भारतीय बैंकिंग उद्योग में एक महत्वपूर्ण विषय बन कर उभरेगा।
इसने कहा है कि भारतीय बैंकिंग उद्योग वैश्विक मानकों के हिसाब से काफी बिखड़ा हुआ माना गया था क्योंकि बैंकिंग परिसंपत्ति का 65 प्रतिशत शीर्ष के 10 था और परिसंपत्तियों के 27 प्रतिशत में लगभग 40 बैंकों की हिस्सेदारी थी।