भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों से जूझ रहे हैं। वरिष्ठ सरकारी आधिकारिक सूत्रों के अनुसार धोखाधड़ी के कुल मामलों में उधार खाते से जुड़ी धोखाधड़ी की हिस्सेदारी महज 10 प्रतिशत है, लेकिन अप्रैल 2020 से सितंबर 2024 तक धोखाधड़ी के कुल मूल्य में इनकी 98 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
बैंकों में उधारी से जुड़ी धोखाधड़ी को ऋण संबंधी धोखाधड़ी कहा जाता है। ऐसे मामलों में किसी इकाई या किसी व्यक्ति द्वारा गलत जानकारी देकर कर्ज ले लिया जाता है। ऐसे मामलों में अक्सर ऋणदाता को धोखा देने और सुरक्षित ऋण प्राप्त करने के लिए कर्ज लेने वाला अपनी आमदनी, संपत्ति या व्यवसाय के विवरण में हेरफेर करके ऋण लेता है, अन्यथा वह ऋण के लिए पात्र नहीं होता है।
इसके विपरीत गैर उधारी वाली धोखाधड़ी के मामलों में जालसाजी, धन का गलत इस्तेमाल, बही खाते में हेराफेरी, धन का दूसरी जगह इस्तेमाल और गलत कार्य के मामले कुल धोखाधड़ी का 90 प्रतिशत होते हैं, लेकिन इस अवधि के दौरान धोखाधड़ी में मूल्य के हिसाब से इनकी सिर्फ 2 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
गैर उधारी वाली धोखाधड़ी में डिजिटल और साइबर धोखाधड़ी सबसे ज्यादा है और मामलों की कुल संख्या में इनकी हिस्सेदारी 96 प्रतिशत है, हालांकि धोखाधड़ी के मूल्य के हिसाब से इनकी हिस्सेदारी महज 22 प्रतिशत है।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2020 से सितंबर 2024 के बीच ऋण से जुड़ी धोखाधड़ी के 10,928 मामलों का कुल मूल्य 1.7 लाख करोड़ रुपये है। बहरहाल इस अवधि के दौरान गैर उधारी वाली धोखाधड़ी के 98,503 मामले सामने आए हैं, जिनमें कुल 2,912.94 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है।
वित्त मंत्रालय ने बुधवार को सरकारी बैंकों के अधिकारियों, अन्य मंत्रालयों, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सहित जांच एजेंसियों के अधिकारियों के साथ बैठक कर बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मामलों की जांच में तेजी लाने को लेकर चर्चा की। मंत्रालय ने विभागों और एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया, जिससे फंसी हुई बैंकिंग संपत्तियों के मसलों के प्रभावी समाधान में तेजी लाने में मदद
मिल सकेगी।
वित्त मंत्रालय ने उल्लेख किया कि हाल के महीनों में धोखाधड़ी के मामलों में सरकारी बैंकों के कर्मचारियों की संलग्नता बढ़ी है। अप्रैल 2020 से सितंबर 2024 के बीच इस तरह के 1,810 मामले सामने आए हैं, जिनका मूल्य 1,820.74 करोड़ रुपये है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के धोखाधड़ी के वर्गीकरण और रिपोर्टिंग पर मास्टर सर्कुलर के मुताबिक संदेह होने की स्थिति में बैंकों को अपने कर्मचारियों से जुड़े मामलों की सूचना सीबीआई या स्थानीय पुलिस को देने की आवश्यकता होती है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि अंतर-विभागीय तालमेल में सुधार के लिए चल रहे प्रयास एक मजबूत निवारक के रूप में काम करेंगे और इससे मामलों के समाधान में तेजी आ सकती है।
मंत्रालय ने यह भी कहा है कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 में हुए हाल के संशोधनों का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जो बैंकरों को सद्भावपूर्ण निर्णयों के मामले में जांच या अभियोजन से बचाते हैं।