रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स (एसऐंडपी) के अनुसार भारत, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका जैसे उभरते बाजारों में कोविड-19 महामारी की वजह से प्रभावित हुई बैंकिंग व्यवस्था रिकवरी की रफ्तार धीमी रहेगी और यह वर्ष 2023 के बाद ही संभव हो पाएगी। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को देर से उबरने वाला माना जा रहा है। इसकी रिकवरी प्रक्रिया लंबी होगी। लेकिन बैंकिंग क्षेत्र में कुछ अनुपात में जल्दी सुधार आ सकता है, क्योंकि वे कोविड-19 से पहले भी कमजोर (कई क्षेत्रों के विपरीत) बने हुए थे।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कोविड-19 फैलने से पहले भारत में बैंकिंग क्षेत्र में परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर बड़ी समस्याएं थीं, जबकि कई अन्य क्षेत्रों में परिसंपत्ति गुणवत्ता सुधार की राह पर थी। रेटिंग एजेंसी ने आज ‘ग्लोबल बैंकिंग: रिकवरी विल स्ट्रेच टु 2023 ऐंड बियोंड’ रिपोर्ट जारी की। उभरते बाजारों के बैंकों को 2020 में ऋण नुकसान में बड़ी तेजी का सामना करना पड़ सकता है। यदि आर्थिक गतिविधि में सुधार आता है तो बाद के वर्षों में धीरे धीरे सुधार की संभावना है। बैंकों की अपेक्षाकृत मजबूत लाभप्रदता को देखते हुए, ऋण पोर्टफोलियो में संभावित कमजोर प्रदर्शन की भरपाई करने में कुछ हद तक मदद मिलने की संभावना है।
कोविड से पहले स्तरों पर सुधार के संदर्भ में चीन की बैंकिंग व्यवस्था को 2020 के अंत तक इसमें मदद मिल सकती है। अन्य उभरते बाजारों में यह सुधार 2023 या उसके बाद देखा जा सकता है। बैंकों की बैलेंस शीट पर परिसंपत्ति गुणवत्ता दबाव का पूरा प्रभाव वर्ष 2021 में दिखने का अनुमान है। उसने कहा है कि सुधार की राह भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगी। प्रमुख परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता अनुपातों के लिए दीर्घावधि औसत के लिए बैंकों की रिकवरी में कई वर्ष लगेंगे।
कोविड-19 और 2020 के तेल कीमतों के झटकों का वैश्विक बैंकों पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। एजेंसी ने महामारी की शुरुआत के बाद से वैश्विक रूप से 335 नकारात्मक रेटिंग फैसले लिए। उसने कहा, ‘हमारा मानना है कि वित्तीय संस्थानों के लिए अपनी वित्तीय मजबूती रेटिंग्स को महामारी से पहले जैसे स्तरों वापस लाना कठिन होगा।’
रेटिंग एजेंसी को दुनिया के सबसे बड़े बैंकिंग क्षेत्रों (जी 20 के 50 प्रतिशत से ज्यादा) के लिए वर्ष 2023 तक कोविड-19 से पहले जैसे स्तरों पर पहुंचने की संभावना नहीं दिख रही है। उनमें सुधार सभी बैंकिंग क्षेत्रों में अलग अलग होगा। उस वर्ष के मध्य तक टीका जारी होने के बाद 2021 में आर्थिक सुधार की उम्मीद की जा सकती है। एसऐंडपी ने कहा है, ‘आर्थिक सुधार होने और बैंकों की क्रेडिट क्षमता मजबूत होने के बीच हम बड़े अंतराल की उम्मीद जता रहे हैं।’
कम प्रभावित क्षेत्रों के लिए भी आर्थिक सुधार दिखने के बाद स्थायित्व और मजबूत सुधार में 18 महीने या इससे भी ज्यादा वक्त लग सकता है।
एक अलग विज्ञप्ति में इंडिया रेटिंग्स ने कहा है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए हालात सामान्य होने में अभी लंबा समय लगेगा और परिसंपत्ति गुणवत्ता से जुड़ी चिंताएं इस क्षेत्र को लगातार मुश्किल में बनाए रखेंगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा है, ‘हालांकि तरलता और वित्त पोषण परिवेश जुलाई के बाद बेहतर रेटिंग वाली कंपनियों के लिए सुधरा है, लेकिन परिसंपत्ति गुणवत्ता से जुड़ी समस्याएं वित्त वर्ष 2021 और उसके बाद इस क्षेत्र की संपूर्ण लाभप्रदता को प्रभावित कर रही हैं।’ एजेंसी ने एनबीएफसी और एचएफसी के लिए अपने नकारात्मक नजरिये को बरकरार रखा है।